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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by Shivendra on Thu, 01/08/2015 - 16:23
Source:
यथावत, जनवरी 2015
कहा जरूर जाता था कि भारत की आत्मा गाँव में बसती है। पर गाँव ही सबसे उपेक्षित रहे। बार-बार गाँव की धरती और किसान के नाम पर वोट माँगे गए। पर धरातल पर कुछ हुआ नहीं। गाँव और किसान पिछड़ते चले गए। अब गाँवों को आदर्श बनाने की शुरुआत हुई है। सांसद आदर्श ग्राम योजना का हश्र क्या होगा, भविष्य ही बताएगा। पर उसका क्या स्वरूप हो सकता है, यह जानना जरूरी है। यथावत संवाददाता ने प्रधानमन्त्री मोदी द्वारा गोद लिए गए गाँव की वर्तमान स्थिति का जायजा लिया। जब जयापुर ‘आदर्श गाँव’ घोषित हो जाएगा, तब उस परिवर्तन पर भी हमारी नजर रहेगी।

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से अपने प्रथम सम्बोधन में ‘सांसद आदर्श ग्राम जना’ की बात कही थी। तब ऐसा लगा कि महात्मा गाँधी के ग्राम स्वराज की अवधारणा अब मूर्त रूप लेगी। इस बात के संकेत दिए गए कि अगर यह महात्वाकांक्षी योजना सफल रही तो निश्चित रूप से भारत में ग्राम स्वराज का नया मॉडल प्रस्तुत होगा।
Submitted by Shivendra on Mon, 01/05/2015 - 15:56
Source:
परिषद साक्ष्य, नदियों की आग, सितंबर 2004
(यहाँ जो दस्तावेज दिया जा रहा है, वह सरकार के आंकड़ों पर आधारित है, इस आलेख का उद्देश्य मात्र भारतीय नदीजोड़ योजना से परिचय कराने का है। इसमें भारतीय नदीजोड़ योजना से पड़ने वाले प्रभावों के बारे में भी सरकार का कथन ही दिया गया है। )

भारत में नदियों को जोड़ने का विचार, जो बहुत दिनों से शांत पड़ा था, खासकर 2002 के कावेरी विवाद एवं उसी वर्ष देशभर के विभिन्न हिस्सों में पड़े सूखे के कारण एक बार फिर चर्चा में आ गया है। एक जनहित याचिका के जवाब में उच्चतम न्यायालय ने इच्छा जतायी है कि भारत में नदियों को जोड़ने की परियोजना आगे बढ़ायी जा सकती है।

प्रधानमन्त्री ने परियोजना के अमलीकरण के तौर-तरीके पर विचार करने के लिए एक कार्यदल के गठन की घोषणा की एवं घोषित किया कि इस काम को ‘युद्ध गति’ से आगे बढ़ाया जाएगा। सरकार द्वारा इसे भावी जल समस्या के स्थायी हल के प्रयास के तौर पर प्रस्तुत किया गया। इस निर्णय पर बहुत गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है एवं इस पर आगे बढ़ने से पहले सरकार द्वारा बहुत सावधानीपूर्वक पुनर्विचार की आवश्यकता है।
Submitted by Shivendra on Mon, 01/05/2015 - 12:12
Source:
drinking water

सारी दुनिया में अधिकांश बीमारियाँ अशुद्ध पानी पीने के कारण होती हैं। इस बात को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने पीने के पानी की शुद्धता के मापदण्ड (¼ Indian Standard Drinking Water Specification (BIS 10500 : 2009) तय किए हैं। इन मापदण्डों की कुल संख्या 34 है। उनमें पानी के भौतिक गुण, रासायनिक गुण और

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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प्रधानमन्त्री का आदर्श गाँव

Submitted by Shivendra on Thu, 01/08/2015 - 16:23
Author
सौरभ राय
Source
यथावत, जनवरी 2015
कहा जरूर जाता था कि भारत की आत्मा गाँव में बसती है। पर गाँव ही सबसे उपेक्षित रहे। बार-बार गाँव की धरती और किसान के नाम पर वोट माँगे गए। पर धरातल पर कुछ हुआ नहीं। गाँव और किसान पिछड़ते चले गए। अब गाँवों को आदर्श बनाने की शुरुआत हुई है। सांसद आदर्श ग्राम योजना का हश्र क्या होगा, भविष्य ही बताएगा। पर उसका क्या स्वरूप हो सकता है, यह जानना जरूरी है। यथावत संवाददाता ने प्रधानमन्त्री मोदी द्वारा गोद लिए गए गाँव की वर्तमान स्थिति का जायजा लिया। जब जयापुर ‘आदर्श गाँव’ घोषित हो जाएगा, तब उस परिवर्तन पर भी हमारी नजर रहेगी।

.प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से अपने प्रथम सम्बोधन में ‘सांसद आदर्श ग्राम जना’ की बात कही थी। तब ऐसा लगा कि महात्मा गाँधी के ग्राम स्वराज की अवधारणा अब मूर्त रूप लेगी। इस बात के संकेत दिए गए कि अगर यह महात्वाकांक्षी योजना सफल रही तो निश्चित रूप से भारत में ग्राम स्वराज का नया मॉडल प्रस्तुत होगा।

भारतीय नदीजोड़ योजना : एक परिचय

Submitted by Shivendra on Mon, 01/05/2015 - 15:56
Author
परिषद साक्ष्य
Source
परिषद साक्ष्य, नदियों की आग, सितंबर 2004
(यहाँ जो दस्तावेज दिया जा रहा है, वह सरकार के आंकड़ों पर आधारित है, इस आलेख का उद्देश्य मात्र भारतीय नदीजोड़ योजना से परिचय कराने का है। इसमें भारतीय नदीजोड़ योजना से पड़ने वाले प्रभावों के बारे में भी सरकार का कथन ही दिया गया है। )

.भारत में नदियों को जोड़ने का विचार, जो बहुत दिनों से शांत पड़ा था, खासकर 2002 के कावेरी विवाद एवं उसी वर्ष देशभर के विभिन्न हिस्सों में पड़े सूखे के कारण एक बार फिर चर्चा में आ गया है। एक जनहित याचिका के जवाब में उच्चतम न्यायालय ने इच्छा जतायी है कि भारत में नदियों को जोड़ने की परियोजना आगे बढ़ायी जा सकती है।

प्रधानमन्त्री ने परियोजना के अमलीकरण के तौर-तरीके पर विचार करने के लिए एक कार्यदल के गठन की घोषणा की एवं घोषित किया कि इस काम को ‘युद्ध गति’ से आगे बढ़ाया जाएगा। सरकार द्वारा इसे भावी जल समस्या के स्थायी हल के प्रयास के तौर पर प्रस्तुत किया गया। इस निर्णय पर बहुत गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है एवं इस पर आगे बढ़ने से पहले सरकार द्वारा बहुत सावधानीपूर्वक पुनर्विचार की आवश्यकता है।

पेयजल मानक : समझने की दुश्वारियाँ

Submitted by Shivendra on Mon, 01/05/2015 - 12:12
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
drinking water

. सारी दुनिया में अधिकांश बीमारियाँ अशुद्ध पानी पीने के कारण होती हैं। इस बात को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने पीने के पानी की शुद्धता के मापदण्ड (¼ Indian Standard Drinking Water Specification (BIS 10500 : 2009) तय किए हैं। इन मापदण्डों की कुल संख्या 34 है। उनमें पानी के भौतिक गुण, रासायनिक गुण और

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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