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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

Submitted by Hindi on Sun, 10/26/2014 - 12:36
Source:
जनसत्ता, 26 अक्टूबर 2014
भारत को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए विज्ञापनों पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। उसी का अध्यक्ष पत्रकारों के सवालों के जवाब में यह कह रहा हो कि अभी यह समय मुख्यमंत्री कौन पर बात करने का नहीं, पटाखे जलाने का है। और हमने देखा कि लगभग सभी न्यूज चैनलों के स्क्रीन पटाखे के धुएँ से भर गए। आस्थावान समाज के लिए बेहतर है कि वह टेलीविजन की सारी सामग्री को अभियान का दूसरा संस्करण ही मानेस्वच्छता अभियान के तहत दीपिका पादुकोण, शाहरुख खान और अभिषेक बच्चन ने ‘कॉमेडी नाइट्स विद कपिल’ के प्रस्तोता कपिल शर्मा की झाडू से सफाई की। फिल्म ‘हैप्पी न्यू इयर’ के प्रमोशन में आए इन सितारों ने पहले स्टूडियो के फर्स पर झाड़ू फिराई फिर एक-एक करके कपिल शर्मा के शरीर पर। जाहिर है, यह सब मनोरंजन के लिए किया गया। जो स्टूडियो में मौजूद दर्शक और खुद कपिल शर्मा लगातार हंसते रहे।

नरेंद्र मोदी सरकार के स्वच्छता अभियान की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ‘कॉमेडी नाइट्स विद कपिल’ और ‘बिग बॉस’ जैसे आधा दर्जन टेलीविजन कार्यक्रमों में इसकी चर्चा किसी न किसी रूप में हुई। कुछ में तो सीधे-सीधे पूरी टीम को सफाई करते दिखाया गया, तो कुछ में संवादों के जरिए यह बताने की कोशिश की गई कि देश में स्वच्छता अभियान चल रहा है।

Submitted by Shivendra on Wed, 10/22/2014 - 15:50
Source:
कुरुक्षेत्र, अक्टूबर 2014
Swachh Bharat
“स्वच्छता स्वतंत्रता से ज्यादा महत्वपूर्ण है” महात्मा गांधी

आजादी के 64 वर्ष बाद भी देश की आधी से अधिक आबादी खुले में शौच करती है जोकि वाकई में चिंता का विषय है। शौचालयों का नहीं होना, पानी का अभाव या अपर्याप्त प्रौद्योगिक के कारण संचालन और रखरखाव के अभाव के कारण हालात नहीं सुधर रहे हैं।

ऐसा नहीं है कि शौचालय बनाने की दिशा में अभी तक कोई कार्य नहीं किया गया लेकिन यह कार्य बेहद धीमी गति से हुआ और जो हुआ वह भी गुणवत्ता या रखरखाव में कमी या संचालन के अभाव के कारण लोगों के जीवन-स्तर में उतना परिवर्तन नहीं ला पाया जितना कि इतने वर्षों में आना चाहिए था। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में 590 मिलियन लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं।
Submitted by Shivendra on Tue, 10/21/2014 - 16:20
Source:
Miralam Jhil
हैदराबाद महानगर सीमा के भीतर 10 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल की 169 झीलों की सूची तो हम यहां प्रस्तुत करेंगे ही, इसके अलावा भी कई सौ तालाब यहां हुआ करते थे, जो देखते-ही-देखते कालोनी, सड़क, या बाजार के रूप में गुम हो गए। सनद रहे इन 169 झीलों का कुल क्षेत्रफल ही 90.56 वर्ग किलोमीटर होता है। जाहिर है कि यदि इनमें साफ पानी होता तो हैदराबाद का गला साल भर तर रह सकता है।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

सफाई और मनोरंजन

Submitted by Hindi on Sun, 10/26/2014 - 12:36
Author
विनीत कुमार
Source
जनसत्ता, 26 अक्टूबर 2014
भारत को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए विज्ञापनों पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। उसी का अध्यक्ष पत्रकारों के सवालों के जवाब में यह कह रहा हो कि अभी यह समय मुख्यमंत्री कौन पर बात करने का नहीं, पटाखे जलाने का है। और हमने देखा कि लगभग सभी न्यूज चैनलों के स्क्रीन पटाखे के धुएँ से भर गए। आस्थावान समाज के लिए बेहतर है कि वह टेलीविजन की सारी सामग्री को अभियान का दूसरा संस्करण ही मानेस्वच्छता अभियान के तहत दीपिका पादुकोण, शाहरुख खान और अभिषेक बच्चन ने ‘कॉमेडी नाइट्स विद कपिल’ के प्रस्तोता कपिल शर्मा की झाडू से सफाई की। फिल्म ‘हैप्पी न्यू इयर’ के प्रमोशन में आए इन सितारों ने पहले स्टूडियो के फर्स पर झाड़ू फिराई फिर एक-एक करके कपिल शर्मा के शरीर पर। जाहिर है, यह सब मनोरंजन के लिए किया गया। जो स्टूडियो में मौजूद दर्शक और खुद कपिल शर्मा लगातार हंसते रहे।

नरेंद्र मोदी सरकार के स्वच्छता अभियान की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ‘कॉमेडी नाइट्स विद कपिल’ और ‘बिग बॉस’ जैसे आधा दर्जन टेलीविजन कार्यक्रमों में इसकी चर्चा किसी न किसी रूप में हुई। कुछ में तो सीधे-सीधे पूरी टीम को सफाई करते दिखाया गया, तो कुछ में संवादों के जरिए यह बताने की कोशिश की गई कि देश में स्वच्छता अभियान चल रहा है।

गांधीजी का स्वच्छ भारत का सपना बनेगा हकीकत

Submitted by Shivendra on Wed, 10/22/2014 - 15:50
Author
कुरुक्षेत्र पत्रिका
Source
कुरुक्षेत्र, अक्टूबर 2014
Swachh Bharat
“स्वच्छता स्वतंत्रता से ज्यादा महत्वपूर्ण है” महात्मा गांधी

.आजादी के 64 वर्ष बाद भी देश की आधी से अधिक आबादी खुले में शौच करती है जोकि वाकई में चिंता का विषय है। शौचालयों का नहीं होना, पानी का अभाव या अपर्याप्त प्रौद्योगिक के कारण संचालन और रखरखाव के अभाव के कारण हालात नहीं सुधर रहे हैं।

ऐसा नहीं है कि शौचालय बनाने की दिशा में अभी तक कोई कार्य नहीं किया गया लेकिन यह कार्य बेहद धीमी गति से हुआ और जो हुआ वह भी गुणवत्ता या रखरखाव में कमी या संचालन के अभाव के कारण लोगों के जीवन-स्तर में उतना परिवर्तन नहीं ला पाया जितना कि इतने वर्षों में आना चाहिए था। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में 590 मिलियन लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं।

हैदराबाद: शहरीकरण के सुरसामुख में समाई झीलें

Submitted by Shivendra on Tue, 10/21/2014 - 16:20
Author
पंकज चतुर्वेदी
hyderabad:-shaharikaran-ke-sursamukh-mein-samai-jhilen
Miralam Jhil
हैदराबाद महानगर सीमा के भीतर 10 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल की 169 झीलों की सूची तो हम यहां प्रस्तुत करेंगे ही, इसके अलावा भी कई सौ तालाब यहां हुआ करते थे, जो देखते-ही-देखते कालोनी, सड़क, या बाजार के रूप में गुम हो गए। सनद रहे इन 169 झीलों का कुल क्षेत्रफल ही 90.56 वर्ग किलोमीटर होता है। जाहिर है कि यदि इनमें साफ पानी होता तो हैदराबाद का गला साल भर तर रह सकता है।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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