ऐसी सरिता जिसका जल आंतरिक स्थलीय भाग में ही लुप्त हो जाता है और उसका निकास बाहर की ओर नहीं होता है। अर्द्धशुष्क मरुस्थलीय भागों में इस प्रकार की सरिताएं पायी जाती हैं जिनका जल कुछ दूरी तक प्रवाहित होकर सूख जाता है अथवा लुप्त हो जाता है। इसके अंतर्गत उन सरिताओं को भी सम्मिलित किया जाता है जिनका जल पहाड़ी से नीचे उतरने पर पथरीली तथा बड़े-बड़े कंकड़ों तथा शैलखंडों वाली भूमि में लुप्त हो जाता है और कुछ दूरी के बाद पुनः स्थल पर प्रकट होता है।
अन्य स्रोतों से
वेबस्टर शब्दकोश ( Meaning With Webster's Online Dictionary )
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