आर्सेनिक : पैर पसारता जहर
यूपी में आर्सेनिक पांव पसारता ही जा रहा है। पहले जहां बिहार से सटे इलाकों में ही ये दिक्कत थी, अब समस्या यूपी के 30 जिलों तक पहुंच गई है। इन तीस जिलों के पानी में आर्सेनिक की मात्रा ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स पर्मिसिबल लिमिट (0.01mg/lt) को पार कर चुकी है। बीस जिलों के पानी में आर्सेनिक की लिमिट पांच गुना से ज्यादा है। इन्हें रोकने का उपाय करने के लिए सरकारों को काम करना चाहिए, लेकिन सरकारें इस मुद्दे पर सुस्त हैं। आर्सेनिक प्रभावित इलाकों में लोगों को बचाने से लेकर इनकी रोकथाम के लिए केंद्र सरकार द्वारा भेजा गया पैसा कई मर्तबा बिना इस्तेमाल हुए वापस हो चुका है।
मैं पानी कें आर्सेनिक से उपजती दिक्कतों, बढ़ती मात्रा के कारण पर रिपोर्ट करना चाहता हूं। साथ ही आर्सेनिक की समस्याओं से जूझते लोगों का स्टेटस और उनके मामले में शिथिल सरकारी एजेंसियों की नाकामी पर ग्राउंड रिपोर्ट होगी। आर्सेनिक की उपज से लेकर इससे होने वाली दिक्कतें और बचने के तौर तरीकों के सारे आयाम रिपोर्ट का अहम हिस्सा होंगे।
जिले जो बड़े स्तर पर प्रभावित हैं : बलिया, लखीमपुर-खीरी, बहराइच, गाजीपुर, गोरखपुर, बरेली, सिद्धार्थनगर, बस्ती, चंदौली, उन्नाव, मुरादाबाद, संत कबीर नगर, संत रविदास नगर, गोंडा, बिजनौर, मिर्जापुर, शाहजहांपुर, बलरामपुर, मरेठ, रायबरेली, फैजाबाद, कानपुर नगर, सीतापुर, अंबेडकरनगर, बागपत, बदायूं, लखनऊ और पीलीभीत समेत अन्य।