बंगाल में आर्सेनिक का दुष्प्रभाव

Submitted by Anonymous (not verified) on Thu, 03/03/2016 - 16:05
नाम
उमेश कुमार राय
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डाक पता/ Postal Address
48 Asutosh chowdhury Avenue, Kolkata-700019, West Bengal
Language
हिन्दी
Story Idea Theme
आर्सेनिक (Arsenic)
Story Language
4 - हिन्दी

 

आर्सेनिक रासायनिक तत्व है जिसका इस्तेमाल मिश्र धातुअों को मजबूती देने में किया जाता है। इसके अलावा दूसरी धातुअों में भी इसका प्रयोग होता है लेकिन अगर यही तत्व पेयजल में घुलकर आम लोगों तक पहुँच जाए तो यह जानलेवा हो जाता है। 

आर्सेनिक युक्त पानी के सेवन से चर्म रोग, हार्ट अटैक, गैस संबंधी समस्या, एनेमिया, मानसिक रोग व अन्य कई गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं। इन खतरों से अवगत होने के बावजूद भारत के करोड़ों लोग आज भी आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर हैं।
भारत के गंगा, ब्रह्मपुत्र और इंफाल नदी के मैदानी क्षेत्रों में स्थित राज्यों के कई जिलों में रहने वाले लोगों के लिए यही जहरीला पानी जीवन है। दूसरे राज्यों में तो फिर भी कम इलाके आर्सेनिक युक्त पानी की चपेट में है लेकिन पश्चिम बंगाल में हालात चिंतनीय हैं। पश्चिम बंगाल के कई जिलों में लोग आर्सेनिक युक्त पानी पीकर बीमारियों को दावत दे रहे हैं। वर्ष 2005 में योजना आयोग ने इस समस्या के निराकरण के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया था। टास्क फोर्स के अनुसार पश्चिम बंगाल के 79 ब्लॉकों में रहने वाले लोग आर्सेनिक के शिकंजे में हैं। यहाँ एक लीटर पानी में आर्सेनिक की मात्रा कम से कम 0.05 मिलीग्राम है हालांकि कुछ जिलों में यह मात्रा 50 मिलीग्राम से भी अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि अगर एक लीटर पानी में 0.01 मिलीग्राम से अधिक आर्सेनिक है तो वह खतरनाक है। 
बताया जाता है कि भूगर्भ के बहुत गहरे से पानी  निकाले जाने के कारण पानी के साथ आर्सेनिक भी निकल जाता है। चूंकि पानी के ट्रीटमेंट के लिए कोई व्यवस्था नहीं है इसलिए लोगों को यही पानी पीना पड़ता है। 
चूंकि इसी पानी से सिंचाई भी की जाती है तो एक और समस्या दरपेश हो रही है। वह है इन खेतों में उगने वाले अन्न में भी आर्सेनिक की मौजूदगी। वर्ष 2013 में जापा के कोची विश्वविद्यालय के प्रोफेसर यूमे कांग ने पश्चिम बंगाल में एक शोध किया था और इसी शोध के आधार पर उन्होंने कहा था कि बंगाल के आर्सेनिक प्रभावित जिलों में उगने वाले चावल में आर्सेनिक की मात्रा बढ़ रही है जिसका सेवन लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है। इस शोध के आधार पर कहा जा सकता है कि पश्चिम बंगाल के चावल जहाँ भेजे जा रहे हैं और जो इसका सेवन कर रहे हैं वे भी अनजाने ही आर्सेनिक से होने वाली बीमारियों को दावत दे रहे हैं। 
केंद्र और राज्य सरकारों को इस खतरे को गंभीरता से लेनी चाहिए और इसके समाधान के लिए दीर्घकालिक और प्रभावी उपाय तलाशने चाहिए। 
Story Theme
आर्सेनिक