बंगलूरू पिछले कई सालों से कचरा प्रबंधन की समस्या से जुझ रहा है, कोशिशों के बाद भी अब तक बहुत प्रभावशाली हल नहीं निकल सका है, अब भी शहर के कई इलाकों में सड़कों पर कचरे के ढ़ेर देखे जा सकते हैं, कचरा के अलावा दूसरी सबसे बड़ी समस्या झुग्गी में रहने वाले लोगो

Submitted by Anonymous (not verified) on Tue, 03/01/2016 - 21:22
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मनोरमा
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Manorma c/o Ajay kumar
Language
​हिन्दी
Story Idea Theme
स्वच्छता (Sanitation)
Story Language
4 - हिन्दी
बंगलूरू पिछले कई सालों से कचरा प्रबंधन की समस्या से जुझ रहा है, कोशिशों के बाद भी अब तक बहुत प्रभावशाली हल नहीं निकल सका है, अब भी शहर के कई इलाकों में सड़कों पर कचरे के ढ़ेर देखे जा सकते हैं, कचरा के अलावा दूसरी सबसे बड़ी समस्या झुग्गी में रहने वाले लोगों के पास शौचालय नहीं होना है जिसके कारण वो खुले में शौच जाते हैं खासतौर शहर की बाहरी सीमा पर बसे ग्रामीण बंगलूरू में अभी भी बहुत से घरों में शौचालय नहीं है और आईटी सिटी होने के बावजूद एक पहलू ये भी है कि यहां ​अब भी कुछ लोग हाथों से मैला ढ़ोने के काम में लगे हैं हालांकि ये संख्या धीरे धीरे कम हो रही है। इसके अलावा बंगलूरू के कुल 1 करोड़ की आबादी में केवल चालीस प्रतिशत आबादी के घर सीवेज नेटवर्क से जुड़े हैं बाकी आबादी के शौचालय अस्थायी और सीवेज से नहीं जुड़े हैं या फिर वो खुले में शौच जाते हैं। ये शहर की स्वच्छता के साथ साथ झीलों और जल निकायों के लिए बहुत प्रदूषणकारी है। ऐसे में बंगलूरू में 'हनी सकर्स' ट्रक स्वच्छता की एक नया तरीका लेकर सामने आया है। इनकी सेवा उन इलाकों और लोगों के घरों ली जाती है जो सीवेज से नहीं जुड़े हैं और जहां सेप्टिक टैंक होते हैं। 'हनी सकर्स' ट्रक के मार्फत मानव मल को खाद में बदल कर बेच दिया जाता है या किसान अपने खेतों में इस्तेमाल करते हैं। 'हनी सकर्स' ट्रक प्रणाली का इस्तेमाल कर रहे कुछ किसानों की सलाना आमदनी 15 लाख तक है।   
 
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स्वच्छता (Sanitation)