भोपाल की गरीब बस्तियों में पानी के लिए धींगामुश्ती

Submitted by Anonymous (not verified) on Thu, 03/03/2016 - 16:01
नाम
रूबी सरकार
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9630875936
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फेसबुक आईडी
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डाक पता/ Postal Address
10/119, sarita complex, Shivaji Nagar, Bhopal
Language
Hindi
Story Idea Theme
शहरी क्षेत्र में पानी की समस्या और प्रबन्धन (Urban Waters)
Story Language
4 - हिन्दी



भोपाल की गरीब बस्तियों में पानी के लिए धींगामुश्ती

अवधारणा
वर्तमान परिदृश्य में बढ़ते शहरीकरण तथा जनसंख्या वृद्धि के कारण नगरों की अधोसंरचना व्यवस्था पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा है। देशभर में पेयजल की समस्या प्रमुख चुनौती बन कर उभर रही है। अधिकांश नगरीय निकाय अल्प वर्षा अथवा पेयजल स्रोत की कमी जैसी समस्या से जूझ रहे हैं।  मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल शहर भी इन्ही में से एक है।  हालांकि परिवहन व्यवस्था द्वारा की जा रही आपूर्ति एक अस्थाई तथा अपर्याप्त प्रयास है। फिर भी शहर की आबादी को देखते हुए यह नाकाफी है।

भोपाल शहर की आबादी लगभग 23 लाख है और यहां की जल व्यवस्था नगर निगम के पास है। निगम  स्थानीय संसाधनों से इसकी पूर्ति कर रहा है।  वर्तमान में नगर निगम तीन तरह से  नागरिकों को जल उपलब्ध कराता है। कोलार डेम परियोजना से लगभग 60 फीसदी घरों , भोपाल की पहचान बड़ा तालाब से 30 फीसदी घरों और 10 फीसदी घरों को नर्मदा जल परियोजना के तहत पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।  बड़े तालाब की खूबसूरती बरकरार रखने के लिए नगर निगम पर यह दबाव बराबर बना है, कि यहां से पानी का दोहन न किया जाये। अगर यहां से पानी का दोहन रोक दिया गया, तो कोलार डेम पर लगभग 90 फीसदी घरों में जल उपलब्ध कराने का भार  आयेगा।  नल-जल व्यवस्था सुदृढ़ रखने जैसे वित्तीय प्रबंधन के लिए निगम घरों से पानी कर वसूलता है।
मेरी रिपोर्ट इस शहर की गरीब बस्तियों में पानी उपलब्धता पर आधारित होगी।  यहां कुल 366 बस्तियां हैं और एक लाख 35 हजार परिवार इन बस्तियों में रहतेे हैं। इनमें से केवल 30 फीसदी घरों में ही नर्मदा जल परियोजना के तहत पानी पहुॅचाया जा रहा है । शेष 70 फीसदी परिवार  फिलहाल बोरवेल, ट्यूबवेल आदि से पानी ले रहे हैं। जबकि प्रति व्यक्ति को 135 लीटर पानी उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है। आज भी एक बोरवेल पर 400-500 परिवार निर्भर है। गर्मी के दिनों में  अन्ना नगर, पुराना शिवनगर और नया शिवनगर आदि बस्तियों में पानी के लिए झगड़ा-फसाद मामूली बात है। बस्तियों के रहवासी घरेलू नल कनेक्शन के लिए पैसे देने को  तैयार है, लेकिन नगर निगम की ओर से इसके लिए कोई पहल नहीं की जा रही है।
दूसरी ओर पानी की गुणवत्ता पर  अक्सर बैठकों में पार्षद सवाल खड़े करते हैं। बस्तियों में  दूषित पेयजल से दस्त, चमड़े की बीमारी, पेट की बीमारी होना कोई नई बात नहीं है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है, कि यहां की जलप्रदाय की स्थिति असंतोषजनक है। आधे से अधिक बस्तियों में प्रतिदिन पेयजल आपूर्ति नहीं की जा रही है। वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री पेयजल योजना का स्लोगन -  Óहर घर में नल ........ हर नल में जल Óके तहत प्रत्येक घरों में नल द्वारा 24 घण्टे 7 दिन पानी पहुॅचने की बात की गई है , लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद मात्रा आधारित साफ पेयजल का एक भी उदाहरण हमारे सामने नहीं आया है।   


                                                                      रूबी सरकार
                                                                                        
 

Story Theme
भोपाल की बस्तियों में पानी की उपलब्धता और उसकी गुणवत्ता