भोपाल शहर में हजारों लोग प्रदूषित पानी से गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. 31 साल पहले दुनिया की सबसे भीषणतम औद्योगिक दुर्घटना (भोपाल गैस काण्ड) में हजारों लोगों की मौतें हुई थी और हजारों लोग जिन्दगीभर पीछा न छोड़ने वाली बीमारियों से पीड़ित हो गए लेकिन अब भी हालात नहीं सुधरे हैं| यूनियन कार्बाइड कारखाने में जमा कई टन कचरे की वजह से आसपास( करीब चार किमी की परिधि ) में रहने वाले लोगों के जिन्दगी पर अब भी इसका बुरा साया बरकरार है| कचरे के जमीन में रिसने से यहाँ का भूमिगत पानी इतनी बुरी तरह प्रदूषित हो चुका है कि यहाँ हर दिन एक व्यक्ति गम्भीर बीमारियों की चपेट में आ रहा है| यहाँ के पानी की जांच में खतरनाक तत्व मिले हैं और यह पानी प्रतिबंधित भी कर दिया है, वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने से लोगों को यही पानी पीने को मजबूर होना पड रहा है| चौंक जाएंगें कि इसकी जांच रिपोर्ट में आर्गेनो क्लोरिन, डाईक्लोरो बेंजिन औऱ ट्राई क्लोरो बेंजिन जैसे खतरनाक तत्व मौजूद मिले हैं। इनसे खून का कैंसर लीवर, गुर्दे, ब्रेन औऱ जन्मजात कई सारी बीमारियां पनपती हैं। यह जहरीला कचरा बरसाती पानी में सडकर जमीन के भीतर उतर रहा है। कारखाने से 3 किलोमीटर के दायरे में बसी 22 बस्तियों के 10 हजार से ज्यादा लोग प्रदूषित पानी से प्रभावित है। यह प्रदूषण भीतर ही भीतर जमीन में लगातार फैलता जा रहा है। हर दिन यहां मरीजों के आंकडों में बढोतरी हो रही है। 84 से पहले कंपनी के तीन बडे-बडे तालाबनुमा सोलर ईवेपोरेशन पौंड, जिनमें जहरीले केमिकल को छोड़ा जाता था, उसकी मल्टीपल पॉली लेयर हादसे के कुछ साल पहले ही डेमेज हो गई थी औऱ खतरनाक रसायन का रिसाव जमीन के भीतर होने लगा था। तभी से यहां का पानी प्रदूषित होने लगा। पडताल में टेलेक्स के वो दस्तावेज भी हाथ लगे हैं जिनके जरिये कंपनी ने अपने अमेरिका स्थित हेड आफिस को भी इस लीकेज के खतरे से आगाह किया था।
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पुष्पेन्द्र वैद्य
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विशेष संवाददाता, इंडिया टीवी, भीमसेन जोशी अपार्टमेंट, साकेत नगर-2सी, भोपाल (मप्र)
Language
हिन्दी
Story Idea Theme
भूजल (Ground Water)
Story Language
4 - हिन्दी
Story Theme
भूजल