इंदौर शहर में पानी बना चुनौती

Submitted by Anonymous (not verified) on Thu, 03/10/2016 - 14:41
नाम
पुष्पेन्द्र वैद्य
फोन न.
9425049501
ईमेल
indiatvbhopal@gmail.com
फेसबुक आईडी
pvindore@gmail.com
डाक पता/ Postal Address
विशेष संवाददाता, इंडिया टीवी, एच-106, भीमसेन जोशी अपार्टमेंट, साकेत नगर-2सी, भोपाल (मप्र)
Language
हिन्दी
Story Idea Theme
शहरी क्षेत्र में पानी की समस्या और प्रबन्धन (Urban Waters)
Story Language
4 - हिन्दी

मध्यप्रदेश के महानगर इंदौर की तेजी से बढती हुई आबादी को पानी देने में नगर निगम के हाथ –पाँव फूल रहे हैं| बीते साल 600 करोड़ की भारी भरकम राशि खर्चकर 50 किमी दूर नर्मदा के तृतीय चरण से भी अपेक्षित पानी नहीं मिल पा रहा है| इससे केवल 90 एमएलडी पानी ही अतिरिक्त मिल सका, जबकि इसकी क्षमता 360 एमएलडी पानी अतिरिक्त देने की है| इससे पहले ही नर्मदा प्रथम और द्वितीय चरण से भी 180 एमएलडी पानी मिल रहा था| यहाँ एक परिवार को महीने में औसत 15 घनमीटर पानी की जरूरत होती है|  2001 की जनसंख्या के मान से शहर को 311 एमएलडी पानी की जरूरत थी, 2011 में यह बढ़कर 444.53 एमएलडी तक पंहुच गई है| 2021 में यह 638 एमएलडी तक पंहुच जाएगी| नगर निगम की चिंता है कि अभी जनसंख्या 25 लाख से ज्यादा है, 2024 तक यह बढ़कर 35 लाख के आंकड़े को छू सकती है, ऐसे में अभी किये जा रहे तमाम जतन भी छोटे पड सकते हैं| जबकि अभी ही पानी नहीं मिल पा रहा है| इंदौर को जलापूर्ति के लिए अपने संसाधन दूगने और आने वाले कुछ सालों में तीन गुना तक करना पड़ेंगे| यहाँ नल जल योजना की शुरुआत होलकर राज्य के समय 1878 में यहीं स्थित सिरपुर तालाब से हुई थी| इसके बाद 1885 में बिलावली तालाब से और 1895 में गंभीर नदी से और आज़ादी के बाद 1948 में यशवंत सागर बाँध से पानी दिया गया| इस पर भी पानी की कमी महसूस होने लगी तो 1978 में पहली और 1992 में दूसरे चरण की नर्मदा परियोजना से शहर को पानी दिया गया| शहर का क्षेत्रफल 103.17 वर्ग किमी है इसमें 107. 17 वर्गमीटर क्षेत्र में पाइपलाइन डाल पानी वितरण हो रहा है| इस तरह कुल क्षेत्रफल के 78 .85 फीसदी तथा कुल आबादी के 75.69 फीसदी को पाइप लाइन के जरिये पानी दिया जा रहा है| इसमें अधिकाँश जल वितरण नर्मदा से मिले पानी के ही जरिये होता है और 76 फीसदी आबादी नर्मदा जल पर ही आश्रित है जबकि यशवंत सागर से 11.9, बिलावली तालाब से 2.30 तथा कुँए -बावडियो और ट्यूबवेलों से 9.53 फीसदी पानी दिया जा रहा है| इसमें 98.5 प्रतिशत पानी घरेलू उपयोग में आता है| यहाँ भूजल स्तर भी तेजी से घट रहा है| शहर में पिछले सालों में यह करीब 100 फीट से भी ज्यादा घटा है| हालत यह है कि गर्मी के मौसम में 100 से 150 मीटर गहरे कुँए भी सूख जाते हैं| और इसके बड़े कारणों में से एक कुँए – बावडियों के मलबे में बदल जाना भी है| नगर निगम अपनी भूल का अब प्रायश्चित करने का मन बना चुकी है| इन तमाम आंकड़ों और तथ्यों से साफ़ है कि अब हमें शहरों में पानी के मुद्दे पर गंभीरता से सोचने और विकल्प तलाशें की जरूरत है| भारी भरकम बजट वाली बड़ी योजनाएं ही रास्ता नहीं है, अन्य विकल्पों पर भी पुनर्विचार की अब जरूरत है। 

Story Theme
शहरी क्षेत्र में पानी की समस्या और प्रबन्धन