जैविक शोचलयों से संवरेगी देश की तक़दीर

Submitted by Anonymous (not verified) on Thu, 03/03/2016 - 15:45
नाम
सिद्धार्थ झा
फोन न.
9013347617
ईमेल
jha.air.sidharath@gmail.com
फेसबुक आईडी
https://www.facebook.com/sidharath.jha
डाक पता/ Postal Address
rd 255,dharam pura ext,najaf garh,new delhi
Language
हिन्दी
Story Idea Theme
स्वच्छता (Sanitation)
Story Language
4 - हिन्दी

आज हम 21 वी सदी मे हैं बहुत से छेत्रों मे हमने काफी तरक्की की हाय जिसने हमराई सबयता संस्कृति के साथ हमारे जीवन जीने के तरीके को ओर बेहतर किया है /लेकिन ये हमारी बदकिस्मती ही है की पानी ओर स्वच्छता के विषय मे जितना काम होना चाहिए उसका आशानुरुप प्रदर्शन नहीं रह है/खासकर भारत मे प्रछींकाल से हे नदियो की प्रधानता थी उसकी पूजा की जाती थी उसके मुहाने पर जाने कितनी हे सभ्यता संस्कृतिया बसी लेकिन ये नदिया कब नालो मे तब्दील हुई पता भी नहीं चला/ ओर आज गंगा यमुना की सफाई को लेकर देशव्यापी अभियान चलाये जा रहे है/ दूसरी तरह हम देखे  स्वच्छ भारत अभियान की शुरुवात हुई है प्रधानमंत्री जी के नेत्र्व्त मे पूरा देश आज एक जुट होकर स्वच्छता का महत्व समझ रह है ओर अपनी भागीदारी दे रह है लेकिन देश मे आज भी एक बड़ा तबका है जो मैला सर पर धोने के लिए मजबूर है हलकी अब ये गैरकानूनी है ओर सरकार ने इसे प्रतिबंधित किया है/ आज भी देश मे जो शोचलयों की दशा ओर दिशा है उससे हम आप अनिभिज्ञ नहीं है शायद हरप्पा काल की सेवर प्रथा ओर मलमूत्र को नालो के द्वारा शहरो से बाहर निकालने की प्रथा को हे हहुम आजतक जारी राके हुए है/वाजिब से बात है जब देश मे बहुत से इलाको मे पानी नहीं होगा तो वह सीवर  सिस्टम किस तरह से काम करेगा/ दूसरी बात भले हे सरकार अपने कई उपायों द्वारा शोचल्य निर्माण मे अपिसा दे रही है लेकिन आज भी हमरोई बड़ी ग्रामीण आबादी विवश है खुले मे शोच करने के लिए/आखिर किसकी ज़िम्मेदारी है ये ओर हुमसे कहाँ पर चूक हुई है/दरअसल शोच जाना बहुत जरूरी भी है ओर जाने के बाद बहुत फालतू भी प्रतीत होता है जो हमारी मानसिकता है/ शायद इसील्ये इस छेत्र मे उस तरह के भागीरथी प्रयास नहीं हुए जिसकी आज अवयशकता थी/हम नदियों मे मलमूत्र विसर्जित करते है फिर उसको साफ करके पीने लायक बनाते है आखिर क्यों/ सुलभ शोचल्य जैसे कुछ संस्थानो ने शोचलयों का महत्व जन जन तक पाहुचने मे बहुत मदद की है वरना आज गाँव की खेत और पगदंडिया ही नहीं आज शहरो की सदको और फूटपथभी माल से अटा हुआ मिलता/ इस बीच एक अच्छी खबर भी आए जब पता चला डीआरडीओ ने जैव शोचल्य विकसित किया है ये खबर बहुत धीरे से आए क्योंकि ज्यादातर के मतलब की नहीं थी/लेकिन ये शायद इस सदी के बहुत बड़े आविष्कारों मे से एक है जिसने माल मूत्र विसर्जन काय परंपरिकी तौर तरीके को ही बादल दिया है/ सोचिए डीआरडीओ को आखिर ऐसे क्या समस्या या मुश्किल आए होगी जिसने उसको इस बारे   सोचने को विवश कर दिया होगा/ दरअसल सियाचिन जहा पर हमारी फ़ौजे सरहदों की रक्षा करती है वह से जैविक शोचलय के उधभव की कहानी शुरू होती है जिसने आज बिआओ टॉइलेट के रूप मे दुनिया को एक नए तरीके से मलमूत्र निपटान की दिशा दिखाये है 

Story Theme
बायो टॉइलेट