मप्र का मंडला जिला फ्लोराइड मानचित्र पर रह रह कर उभरता रहता है। यह समस्या वहां तकरीबन पिछले डेढ़ दो दशक से मौजूद है लेकिन इसे लेकर अब तक राष्टव्यापी स्तर पर शायद बहुत गंभीर रिपोर्टिंग नहीं की गई है। अपने इस अध्ययन में मैं मंडला जिले तथा उसके आसपास के इलाके में फ्लोराइड की समस्या की मूल वजह, वहां के पेय जल तथा भूजल में फ्लोराइड के स्तर, इस समस्या के क्षेत्र, इससे निपटने के लिये अब तक किये गये उपायों, इन उपायोंं की बदौलत हासिल किये गये परिणामो आदि पर ध्यान केंद्रित करूंगी।
देश की तकरीबन 7 प्रतिशत आबादी पेयजल मेंं फ्लोराइड के संक्रमण से जूझ रही है। स्पष्ट है कि अगर लोगों को इस समस्या से निजात मिलती है या उनको फ्लोराइड के साथ जीना आ जाता है तो यह क्षेत्र विशेष के लिये नहीं बल्कि बहुत बड़े इलाके के लिये राहत की बात होगी।
मंडला तथा उसके आसपास के फ्लोराइड ग्रस्त इलाकों में मैं कुछ सक्सेस स्टोरी भी तलाश करूंगी यदि वे मौजूद हों तो। इसके अलावा अध्ययन में मेरा प्रयास फ्लोराइड के कारण उत्पन्न दिक्कतों से निपटने के आधुनिक तरीकों को कवर करना तो होगा ही, आदिवासी अंचल होने के नाते यह जानने की उत्सुकता भी रहेगी कि क्या पारंपरिक तौर भी फ्लोराइड की समस्या से निपटने के कुछ उपाय वहां आजमाये जाते रहे हैं।