प्रकृति को बिना छेड़-छाड़ के ही बचेंगे नौले-धारे

Submitted by Anonymous (not verified) on Fri, 03/25/2016 - 20:45
नाम
प्रेम पंचोली
फोन न.
9411734789
ईमेल
pancholi.prem5@gmail.com
फेसबुक आईडी
https://www.facebook.com/prem.pancholi.37
डाक पता/ Postal Address
140, Raipur dhal Dehradun-248008
Language
Hindi
Story Idea Theme
नौले-धारे (Water Springs)
Story Language
4 - हिन्दी
 
प्रकृति को बिना छेड़-छाड़ के ही बचेंगे नौले-धारे
प्रस्तावना -
हिमालय ही पानी का मुख्य स्रोत है। परन्तु यहां के बासिन्दे पानी की किल्लत से सदैव जूझते रहते हैं। प्राकृतिक जल स्रोत तेजी सूख रहे है। वडिया भूवैज्ञानिक संस्थान की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखण्ड राज्य के 40 प्रतिशत प्राकृतिक जल स्रोत सूख चुके हैं। पहाड़ में उद्योग तो नही मगर निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजनाओं के कारण एक तरफ जल सा्रेत सूख रहे है वहीं दूसरी तरफ जल स्रोत अपनी धारा बदल रहे हैं। 
पानी के प्रकार -
उतराखण्ड राज्य में पानी की उपलब्धता तीन प्रकार से होती है। गलेशियर का पानी, बरसात का पानी और प्राकृतिक जल धाराओं का पानी। गलेशियर का पानी यहां पर बड़ी-बड़ी नदियों का स्रोत है। गंगा, यमुना, काली, पिण्डर, सरयू, टौंस आदि नदियां गलेशियर से ही निकलती है। जबकि कोसी, कमल नदी, गरूड़, हेंवल जैसी दर्जनों नदियां जंगलो से निकलती है। इसके अलावा राज्य में जो पेयजल की आपूर्ती करतें हैं वे गांव-गांव में मौजूद नौले-धारे ही है। परन्तु हमारी बढती उपभोग की प्रवृति के कारण ये प्राकृतिक जल स्रोत (नौले-धारे) सूखने की कगार पर आ गये हैं। राज्य की यमुनाघाटी में गांव-गांव लोगो ने अपने नौले-धारे पारम्परिक ज्ञान से बचाये हुए है। इस घाटी में प्राकृतिक जल स्रोत को लोग पन्यारा, धारा, बावड़ी, कुईं, बायका नौला आदि विभिन्न नामों से जानते हैं।
स्थिति -
राज्य में बहने वाली बड़ी-बड़ी नदियों के किनारे अब बड़ी मात्रा में शहर-कस्बे तेजी से विकसित हो रहे हैं। इस कारण भी नौले-धारो पर अतिक्रमण हो रहा है। यमुनाघाटी के कफनौल, सरनौल, विसोई, पैंसर, जखोल, सर-बडियाड़ जैसे 100 से भी अधिक गांव ऐसे हैं जहां नौले-धारे बचे हैं।
उपसंहार -
वर्तमान की चकाचैंध के कारण हम लोग पानी को एक वस्तु के रूप में देखने लग गये हैं। इसलिए आज आवश्यकता है कि जल संरक्षण के लोक ज्ञान को जन-जन तक पंहुचाने के लिए मीडिया अभियान, नुक्कड़-नाटक, चर्चा-परिचर्चा, अध्ययन के अलावा जो लोग जल संरक्षण के कार्यो में लगे हैं उन्हे भी प्रोत्साहित करा जाना चाहिए, ताकि जल संरक्षण के इस पुरातन संस्कृति से भविष्य की पीढी जुड़ सके।
 
प्रेम पंचोली
 
Story Theme
नौले-धारे