फ्लोराइड से ग्रस्त कटा हुआ कटारा एरिया

Submitted by Anonymous (not verified) on Thu, 03/10/2016 - 22:59
नाम
अखिलेश पाठक
फोन न.
8435914848
ईमेल
akhileshpathak1988@gmail.com
फेसबुक आईडी
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डाक पता/ Postal Address
203, Pathak Niketan, Pragati Nagar, Pratapgarh (Rajasthan)
Language
Hindi
Story Idea Theme
फ्लोराइड (Fluoride)
स्वच्छता (Sanitation)
Story Language
4 - हिन्दी

मेरी स्टोरी का मुख्य विषय पानी में फ्लोराइड की अधिकता और उससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं हैं। दक्षिणी राजस्थान में गुजरात सीमा से लगते हुए दो जिलों डूंगरपुर और बांसवाड़ा उसी से लगते हुए मध्यप्रदेश के झाबुआ और गुजरात के दाहोद जिले में भूजल में फ्लोराइड की मात्रा अनुशंसित 1.2 मिलीग्राम/लीटर से अधिक है। डूंगरपुर जिले में आने वाली आसपुर तहसील जिसे स्थानीय बागड़ी बोली में कटारा क्षेत्र कहा जाता है वहां पर फ्लोराइड की समस्या इतनी भीषण है कि क्षेत्र के हर दूसरे-तीसरे आदमी के दांतों में फ्लोराइड से प्रभावित पीलापन देखा जा सकता है। एक आयु के बाद इस क्षेत्र में घुटनों में दर्द की समस्या बेहद आम है। संयोगवश प्रकृति ने जिस क्षेत्र के भूजल में फ्लोराइड अधिकता से डाला है वह क्षेत्र मीणा और भील जैसी जनजातियों से बहुल क्षेत्र है, जो उनकी समस्याओं को और जटील बना देता है क्योंकि जीवन की मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहें उन लोगों के पास इतना पैसा नहीं कि वो जल संशोधन जैसी सुविधाओं के लिए खर्च उठा पाए।

      ऊपर उल्लेखित कटारा क्षेत्र में कई कपूआ पत्थर (सोप स्टोन) की खदाने हैं। ये खदाने भी कहीं न कहीं पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाती हैं। मसलन खदानों में कई बार खुदाई से पहले डायनामाइट से विस्फोट किए जाते हैं और जमीन को खोद कपुआ पत्थर के चूरे के कई टीले बना दिए गए हैं। बारिश में जब पानी उनसे गुजर कर जमीन में जाता है तो वह आस-पास के भूजल को और दूषित कर देता है।

      इस प्रकार से इस क्षेत्र गहनता से में अध्ययन कर फ्लोराइड और उससे जुड़ी मानवीय व्यथाओं पर एक अच्छी खबर की जा सकती है। साथ ही खनन आदि का इनपुट देकर यह बताया जा सकता है कि किस तरह से मनुष्य स्वयं भी अपनी समस्याओं को और बढ़ा रहा है।

Story Theme
फ्लोराइड और जलीय अशुद्धियां