स्वच्छता सरकार की नहीं, समाज की जिम्मेदारी

Submitted by Anonymous (not verified) on Wed, 03/09/2016 - 19:08
नाम
शक्ति वैद्य
फोन न.
99937 17018
ईमेल
tanishkavaidya98@gmail.com
फेसबुक आईडी
tanishkavaidya98@gmail.com
डाक पता/ Postal Address
11 ए, मुखर्जीनगर, पायनियर स्कूल चौराहा, देवास (मप्र) पिन 455 001
Language
हिंदी
Story Idea Theme
स्वच्छता (Sanitation)
Story Language
4 - हिन्दी

विडम्बना है कि स्वच्छता का सीधा संबंध हमारी सेहत से होने के बाद भी हमारे समाज में इसे लेकर कभी कोई गंभीर किस्म का काम तो दूर, सार्थक चर्चा तक नहीं होती| कभी कभार कुछ बातें जरूर होती है पर वे भी ज्यादातर रस्मी| सरकारों ने स्वच्छता पर फोकस करना शुरू तो किया है पर अब भी यह सरकारीकरण से बाहर जन अभियान का रूप नहीं ले पा रहा है|लगता है, हम अपनी सेहत की चिंता  का काम भी सरकार के हवाले कर चुके हैं|  अपने आसपास  स्वच्छता के लिए भी हम सरकार की तरफ टकटकी लगाए देखते रहते हैं कि एक दिन सरकार आएगी, सफाई  करेगी और इस झूठी आस में हम बीमार पर बीमार होते रहते हैं. हमारे नदी – नालों सहित जल स्रोत लगातार प्रदूषित होते जा रहे हैं| अब भूगर्भीय जल भंडार भी इससे अछूता नहीं  है| कई स्थानों पर भूमिगत जलस्रोत गंदा या प्रदूषित पानी उलीच रहे हैं| इनमें उद्योगों के  रासायनिक अपशिष्ट  को बिना उपचारित किए जमीन में छोड़ देने या नालों में बहा देने जैसी स्थितियां भी शामिल हैं| सीवर  को पेयजल में मिलने से भी हम नहीं रोक पा रहे हैं| नदियों की सफाई की जगह हम उनमें प्रतिमाएं और पूजन सामग्री डाल  रहे हैं| उनके किनारों को हमने सार्वजनिक शौचालयों में बदल दिया है| साल दर साल बढ़ते जल संकट से स्थितियां और विकराल होती जा रही है| विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि भारत में 80 फीसदी से ज्यादा बीमारियाँ सिर्फ प्रदूषित पानी से होती हैं| देश के स्वास्थ्य बजट का करीब 80 फीसदी हिस्सा केवल जलजनित बीमारियों के इलाज और रोकथाम पर ही खर्च होता है| बार – बार पानी उबाल कर पीने के पैगामों के बाद भी अब तक लोग इसे अमल नहीं कर पाते हैं| सरकारें कुछ हद तक काम कर सकती हैं पर जब हमारी सरकारें स्वच्छता का निदान कर साफ़ सफाई के काम भी  खुद करने लगती है तो समस्या की भयावहता और भी बढ़ जाती है| इस तरह हम लोगों को और भी पंगु बनाते जा रहे हैं| पहले ही लोगों में किसी के लिए कुछ करने का जज्बा नहीं है और ऐसे में हम उनकी सफाई जैसे काम को भी करने लगें तो कैसे चलेगा| दूसरा सरकारी  संसाधन भी इतने नहीं है कि हम आगे यह काम सरकारी इंतजामों से करते रहने की उम्मीद कर सकें| सरकारें सिर्फ लोगों में जन चेतना के प्रयास कर सकती है या यह बता सकती है कि उनकी सेहत के लिए स्वच्छता कितनी जरूरी है| इसे हमें शिक्षा और स्वास्थ्य से जोड़ने की महती जरूरत है| इसे देश से पहले अपने खुद की  सेहत के लिए जरूरी साबित करने से  लोगों को भी इसका महत्व ज्यादा अच्छी तरह समझ आ सकेगा| उन्हें लगेगा कि आज उनके इलाके और उनके घरों में जो डेंगू, स्वाइन फ्लू, मलेरिया जैसी बीमारियों से लेकर घातक बीमारियों तक के लिए जिम्मेदार अस्वच्छता है तो वे एक मुहिम की तरह इसके खिलाफ खड़े हो सकेंगे| 

Story Theme
स्वच्छता