उत्स्रुत कूप या पातालतोड़ कुआँ (Artesian well)

Submitted by Hindi on Thu, 04/21/2011 - 10:42
एक प्रकार का कुआँ जिससे जल स्वतः धरातल पर निकलने लगता है। जब कुएं का मार्ग (outlet) जलस्रोत तल के कुछ नीचे तक होता है, भूगर्भ में स्थित जलभंडार का दबाव ऊपर की ओर पड़ता है और जल धरातल पर निकलने लगता है। ऐसी अभिनति या बेसिन तुल्य संरचना अथवा एकदिग्रत संरचना जहाँ दो अप्रवेश्य या अभेद्य शैलों के मध्य में प्रवेश्य या भेद्य शैल संस्तर पाया जाता है तथा इसके छोर धरातल पर खुले होते हैं, वहाँ वर्षा का जल प्रवेश्य शैलों से होता हुआ शैल की द्रोणी में एकत्रित होता रहता है क्योंकि इसके ऊपर तथा नीचे दोनों ओर अभेद्य शैलों के स्थित होने के कारण जल न तो नीचे रिस पाता है और न ऊपर ही आ पाता है। इस प्रकार अप्रवेश्य शैलों के मध्य जल भंडार (aquifer) का उद्भव होता है। जब कभी इस जलभंडार के ऊपर अभेद्य शैल को काटकर कुआँ खोदा जाता है तब उस जलभंडार के दबाव के कारण जल स्वतः धरातल पर निकलने लगता है। इस प्रकार के कुछ कुएँ सर्वप्रथम फ्रांस के अरटोज (Artoes)प्रांत में खोदे गये थे अतः इसी प्रांत के नाम पर इस प्रकार के कुएं आर्टीजन कूप कहलाने लगे। आस्ट्रेलिया के क्वीन्स लैंड, न्यूसाउथ वेल्स तथा दक्षिणी आस्ट्रेलिया के अधिक विस्तृत क्षेत्र (लगभग 15 लाख वर्ग किमी.) में अनेक उत्स्रुत कूप पाये जाते हैं। भारत में हिमालय की तलहटी, अफ्रीका में सहारा, लंदन बेसिन, तथा उत्तरी अमेरिकी के डैकोटा राज्य में इस प्रकार के कुएं पाये गये हैं। विभिन्न प्रदेशों में इन कुओं की गहराई सामान्यतः 15 मीटर से लेकर 150 मीटर तक पायी गयी है। शुष्क तथा अर्द्धशुष्क भागों में जहाँ उत्स्रुत कूप पाये जाते हैं, ये जलापूर्ति तथा सिंचाई के प्रमुख साधन हैं।

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वेबस्टर शब्दकोश ( Meaning With Webster's Online Dictionary )
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