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श्रीनगर से सात कि.मी. दूर आंचर अथवा खुशालसर झील भी दर्शनीय है। यह झील साल भर प्याले के समान पत्ते और कमल से ढंकी रहती है। चार कि.मी. लम्बी तथा तीन कि.मी. चौड़ी इस झील तक मार कैनाल (मार नहर) से पहुंचने में यात्रा का आनंद मन प्रफुल्लित कर देता है। वैसे बस में भी यहां पहुंचा जा सकता है, बड़े-बड़े विलो वृक्षों से आच्छादित छोटे-छोटे द्वीप तथा तैरते हुए बगीचे इस झील की शोभा द्विगुणित कर देते हैं।इस झील के पूर्व में महादीव, उत्तर में हरमुख और पश्चिम में पंतसल पहाड़ हैं। कहा जाता है कि इस स्थान से जहां तक हरमुख पर्वत दिखाई देता है, उतने भू-भाग पर सर्प काटने से भी जहर का असर नहीं होता। इसके सामने ग्लेशियर का भी दृश्य मोहक है। पर्वत माला का प्रतिबिम्ब जल में मनोहर लगता है तथा दर्शकों की ओर उछलता सा प्रतीत होता है। इस झील में सिंध नदी मिलती है। अन्य जीवों के लिए आरक्षित बछीगाम जो कभी शाही खेलों का स्थल भी रहा है, दर्शनीय स्थल है। सबसे अच्छा कमल के फूलों का दृश्य, आंचर झील के दक्षिण भाग में जिसे खुशालसर कहते हैं, दिखाई देता है।
Hindi Title
आंचर अथवा खुशालसर झील
अन्य स्रोतों से
2 - आंचर झील

संदर्भ
1 - प्रकाशन विभाग की पुस्तक - हमारी झीलें और नदियां - लेखक - राजेन्द्र मिलन - पृष्ठ -
2 - http://wallpapers.kashmironline.net/anchar_lake