कल सुब एक नया पृथ्वी का आकलन करने वाला उपकरण जिसे भूतल जल और महासागर स्थलाकृति मिशन, या एसडब्ल्यूओटी कहा जाता है उसे स्पेसएक्स रॉकेट पर अंतरिक्ष में लॉन्च किया जायेगा । यह उपग्रह न केवल महासागरों बल्कि झीलों, नदियों और तटीय क्षेत्रों का अवलोकन करते हुए अंतरिक्ष से पृथ्वी में पानी की विभिन्न प्रणालियों का पहला वैश्विक सर्वेक्षण के साथ ही इनमें पानी की ऊंचाई मापने का काम करेगा
नासा के मुख्य वैज्ञानिक और वरिष्ठ जलवायु सलाहकार कैथरीन कैल्विन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "इससे हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि पानी कहां है, कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है।" उपग्रह
यह उपग्रह पृथ्वी में पानी की स्थिति को समझने और दीर्घकालिक जलवायु परिवर्तन को मॉडलिंग करने के साथ बाढ़ और सूखे जैसी तत्काल घटनाओं से निपटने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। चूँकि ये घटनाएँ वैश्विक महासागरीय धाराओं और मौसम की घटनाओं से संचालित होती हैं, इसलिए उन्हें समझने में सक्षम होने के लिए एक वैश्विक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है. यह एक अंतरराष्ट्रीय उपग्रह है। जिसमें नासा के साथ फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी (CNES) और कनाडा, यूके के वैज्ञानिक भी सहयोग कर रहे है
वही नॉर्थ कैरोलिना विश्वविद्यालय में एसडब्ल्यूओटी हाइड्रोलॉजी साइंस लीड टैमलिन पावेल्स्की कहते है कि अभी उपग्रह की तस्वीरों के साथ हम बहुत अच्छी तरह से देख सकते हैं कि नदियाँ और झीलें कहाँ स्थित हैं। हम उनके क्षेत्र को बहुत अच्छी तरह से देख सकते हैं , लेकिन हम उनमें पानी की ऊंचाई देखने में अभी भी सक्षम नहीं है
एक बार जब SWOT पृथ्वी में अपना आकलन करना शुरू कर देगा तो शोधकर्ताओं को पानी की ऊंचाई के साथ-साथ उसके क्षेत्र पर भी डेटा एकत्र करने में आसानी होगी। क्योंकि उन्हें किसी विशेष स्थान से पानी की मात्रा की पूरी तस्वीर मिल जाएगी । समय के साथ उस पानी की मात्रा को मापा जायेगा तो उन्हें जल प्रणालियों की गतिशीलता को जानने में मदद मिलेगी।
पावेल्स्की ने आगे कहा। "हम यह देखने में सक्षम होंगे कि समय के साथ झीलों और जलाशयों की मात्रा कैसे बढ़ती और घटती है। और नदियों के लिए, हम अंतरिक्ष से नदियों के माध्यम से बहने वाले पानी की मात्रा को ट्रैक करने में सक्षम होंगे,"
यह अनुगमन लगाया जा रहा है कि एसडब्ल्यूओटी पानी के बड़े निकायों पर ध्यान केंद्रित करेगा साथ ही 15 एकड़ से बड़ी झीलों और 330 फीट से अधिक चौड़ी नदियों की परस्पर निगरानी भी करेगा। जिसमें दुनिया भर में लाखों झीलें और लाखों मील की नदियाँ शामिल होंगी और सभी का डेटा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होगा। वर्तमान में अधिकांश नदियों की निगरानी ग्राउंड-आधारित गेज का उपयोग करके की जाती है, जो अधिक नियमित रीडिंग लेने में सक्षम है , लेकिन इसमें नुकसान यह है कि वे स्थापित करने के लिए महंगे हैं और सभी स्थानों पर उपलब्ध नहीं हैं।
पर्यावरण वैज्ञानिक पहले से ही झीलों और नदियों में पानी की निगरानी के लिए उपग्रह डेटा का उपयोग करते हैं, लेकिन वे इस उद्देश्य के लिए तैयार नहीं किए गए उपग्रहों के साथ काम कर सके । SWOT को विशेष रूप से के -बैंड रडार इंटरफेरोमीटर (Ka-band Radar Interferometer) या करिन ( KaRIn ). जैसे उपकरणों का उपयोग करके पानी की ऊंचाई को मापने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
रडार इंटरफेरोमेट्री रडार सिग्नल के दो सेट भेजकर काम करती है, जो पृथ्वी से होकर वापस ट्रांसमीटर पर आ जाती है, फिर इन दो सिग्नल के हस्तक्षेप का विश्लेषण करती है। इन संकेतों में से एक को थोड़े लंबे रास्ते पर भेजा जाता है, इसलिए एक बार जब दो सिग्नल डिटेक्टर पर वापस आ जाते हैं, तो शोधकर्ता दोनों के बीच के अंतर को देख सकते हैं और उस जानकारी का उपयोग सटीक दूरी की गणना करने के लिए कर सकते हैं। इससे शोधकर्ताओं को पानी की गहराई के बारे में विवरण देखने में मदद मिलती है ।
कैरिन की एक महत्वपूर्ण विशेषता इसका आकार है। इसके एंटीना SWOT अंतरिक्ष यान के दोनों ओर 5-मीटर लंबे हैं। चूंकि वे व्यापक रूप से अलग-अलग फैले हुए हैं, उनका उपयोग पृथ्वी की सतह के बड़े क्षेत्रों को देखने के लिए किया जा सकता है, जिससे उपकरण बड़े हिस्सों से अधिक तेज़ी से माप ले सके। SWOT के उपकरणों का रिज़ॉल्यूशन वर्तमान तकनीकों की तुलना में 10 गुना अधिक है यानि वह अधिक विस्तृत डेटा देने के साथ-साथ अधिक लक्ष्यों को कवर करेगा।
पावेल्स्की ने कहते है "यह बहुत मायने रखता है कि क्या आप वास्तव में पारिस्थितिक असुरक्षित झील के बारे में सोच रहे हैं, या आप भारत के एक ग्रामीण हिस्से में एक झील के बारे में सोच रहे हैं जहाँ लोग अपनी फसलों की सिंचाई के लिए उस पानी पर निर्भर हैं," । SWOT मुफ्त और खुला डेटा प्रदान करने जा रहा है जिसकी आवश्यकता सभी को महत्वपूर्ण संसाधनों को ट्रैक करने में सक्षम होगा "