चेन्नई की रूफ वाटर हार्वेस्टिंग की कहानी

Submitted by Shivendra on Mon, 10/07/2019 - 11:44

 प्रतीकात्मक फोटो। फोटो स्त्रोत-दि इंडियन एक्सप्रेस। प्रतीकात्मक फोटो। फोटो स्त्रोत-दि इंडियन एक्सप्रेस।

कुछ दिन पहले तक तमिलनाडु के चेन्नई नगर को रूफवाटर हार्वेेस्टिंग के सबसे अच्छे उदाहरण के तौर पर जाना जाता था। इस शहर में हुये रूफ वाटर हार्वेेस्टिंग की कहानी 1992-93 के गंभीर सूखे से प्रारंभ होती है। इस अवधि में चेन्नई मेट्रो की जल शाखा ने चेन्नई मेट्रोपोलिटन डेव्लपमेंट अथॉरिटी और चेन्नई कार्पोरेशन को विश्वास में लेकर तीन मंजिल से अधिक ऊँचाई वाले भवनों में रूफ वाटर हार्वेेस्टिंग को आवश्यक बनाने के लिये सहमति बनाने का प्रयास किया। यह प्रयास कारगर नहीं हुआ।

2019 की गर्मी के मौसम में पानी की गंभीर कमी से साक्षात्कार का है। इस कमी को अखबारों ने पूरी संजीदगी से पेश किया। अखबारों में छपी खबरों के अनुसार पिछले साल गर्मी में चेन्नई में कहीं कहीं भूजल का स्तर 2000 फुट नीचे तक चला गया। यह हकीकत इंगित करती है कि समय की कसौटी पर रूफ वाटर हार्वेस्टिंग की पद्धति बौनी सिद्ध हुई। रूफ वाटर हार्वेस्टिंग की टिकाऊ और उल्लेखनीय सफलता पर प्रश्न चिन्ह लगा।

सन् 2001-02 में तामिलनाडु में पुनः गंभीर सूखा पड़ा। पानी की गंभीर कमी को ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने चेन्नई मेट्रोपोलिटन एरिया ग्राउन्ड वाटर (रेगुलेशन) एक्ट 1987 में संशोधन किया। इस संशोधन के बाद पूरा चेन्नई मेट्रोपोलिटन एरिया तथा आसपास के 243 राजस्व ग्राम उस एक्ट के दायरे में आये। उस नियम के तहत नये एवं पुराने मकानों/भवनों में रूफ वाटर हार्वेेस्टिंग को अनिवार्य किया गया। जुलाई 2003 में तामिलनाडु म्युनिसिपल कानून अध्यादेश जारी किया। इसके अन्तर्गत प्रावधान के अनुसार जो व्यक्ति रूफ वाटर हार्वेेस्टिंग नहीं करेगा, उसके आवास पर नगरीय निकाय काम करेगा और लागत की वसूली भवन स्वामी से की जायेगी। उसके भवन का नल कनेक्शन भी काटा जा सकेगा। इसके बाद सरकार तामिलनाडु जिला म्युनिसिपलटीज बिल्डिंग रूल 1972 को संशोधित कर सारे राज्य को उसके दायरे में लाई। ग्रामीण इलाकों के लिये तामिलनाडु पंचायत बिल्डिंग रूल 1972  पारित कर ग्रामीण क्षेत्रों को इसके दायरे में लाया गया। इसके बाद खारे पानी के प्रवेश और जल कष्ट में कमी हुई है। यह शुभ संकेत था। जल कष्ट से मुक्ति का संभावित विकल्प था। आशा की किरण थी।

चेन्नई मेट्रोपोलिटन डेव्लपमेंट अथॉरिटी ने रूफ वाटर हार्वेेस्टिंग के लिये विस्तृत दिशा निर्देश और मार्गदर्शिका जारी की। इसके अतिरिक्त उनके कार्यालय में रूफ वाटर हार्वेेस्टिंग सेल स्थापित किया गया है। यह सेल नागरिकों के लिये मुफ्त सलाह, तकनीकी मार्गदर्शन एवं उपयुक्त तथा सस्ते डिजायन उपलब्ध कराता है तथा रूफ वाटर हार्वेेस्टिंग से जुड़ा साहित्य भी प्रकाशित करता है। कार्यशालाओं और प्रदर्शनियों का आयोजन तथा समाज को जोड़ने के लिये प्रयास करता है। अनुमान है कि नवम्बर 2011 के अन्त तक चेन्नई के 92 प्रतिशत मकानों में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग हो चुकी थी।  सरकार ने अनेक कानूनी प्रावधान लागू किए। उन प्रावधानों के अनुसार सभी प्रकार के सरकारी, अर्द्ध-सरकारी, निजी मकानों, भवनों, काॅलोनियों, ग्रुप-हाउसिंग भवनों, मल्टी स्टोरी बिल्डिंगों इत्यादि के लिये रूफ वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य किया गया। नियम लागू कराए गए। नगर निकायों ने नए भवनों के निर्माण की अनुमति तभी प्रदान की जब आवेदक ने निर्माण प्लान के साथ रूफवाटर हार्वेस्टिंग का प्लान लगाया। यदि किसी ने नियमों का पालन नहीं किया और यदि निरीक्षण के दौरान किसी भवन में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग संरचना नहीं पाई गई तो नगरीय निकाय उसका निर्माण कर भवन स्वामी/भवन निवासी से पूरी लागत वसूल करेगा। इसके अलावा, नये भवन में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित होने के बाद ही पानी और सीवर का कनेक्शन दिया। यदि भवन निर्माण के बाद रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं पाया जाता तो उस भवन के पानी का कनेक्शन काटने का प्रावधान था। उपरोक्त नियम भवन स्वामी या भवन में निवास करने वाले व्यक्ति पर लागू हैं। इन नए नियमों ने परिणाम देना भी प्रारंभ किया। 

चेन्नई महानगर में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग के कारण भूजल स्टोरेज बढ़ा। यही उसकी प्रारंभिक सफलता का संकेत था। रूफ वाटर हार्वेस्टिंग ने स्थानीय वाटर टेबिल को ऊपर उठाया। इस कारण समुद्र का खारे पानी पीछे हटा। लोगों को साफ पानी मिला। यह उन सब इलाकों में हुआ जहाँ इस कार्यक्रम को प्रारंभिक सफलता मिली थी। स्पष्ट है कि वाटर टेबिल की समुद्र सतह से ऊँचाई बढ़ने से साफ पानी तथा खारे पानी के सम्पर्क तल में बदलाव आया। बदलाव के कारण पानी के सम्पर्क तल की गहराई बढ़ी। गहराई बढ़ने से स्टोरेज स्पेस विकसित हुई और बेहतर रीचार्ज संभव हुआ। जाहिर है, उपर्युक्त कारणों से रूफ वाटर हार्वेस्टिंग ने चेन्नई के भूजल भंडारों को समृद्ध किया। भंडारों के समृद्ध होने के कारण लोगों को पानी मिला। यह चेन्नई की कहानी का पहला भाग है। 

चेन्नई की कहानी के दूसरा भाग, 2019 की गर्मी के मौसम में पानी की गंभीर कमी से साक्षात्कार का है। इस कमी को अखबारों ने पूरी संजीदगी से पेश किया। अखबारों में छपी खबरों के अनुसार पिछले साल गर्मी में चेन्नई में कहीं कहीं भूजल का स्तर 2000 फुट नीचे तक चला गया। यह हकीकत इंगित करती है कि समय की कसौटी पर रूफ वाटर हार्वेस्टिंग की पद्धति बौनी सिद्ध हुई। रूफ वाटर हार्वेस्टिंग की टिकाऊ और उल्लेखनीय सफलता पर प्रश्न चिन्ह लगा। यदि ऐसा चेन्नई जैसे जागरुक नगर में हो सकता है तो बाकी जगह भी हो सकता है। चेन्नई का सबक टिकाऊ विधि अपनाने की पैरवी करता है। बरसात के बाद, अखबारों में छपी खबरों से पता चल रहा है कि चेन्नई में लोगों ने छत के पानी को धरती में उतारने के स्थान पर पक्की टंकियों में जमा करना प्रारंभ किया कर दिया है। यह चेन्नई की कहानी में आया पहला बदलाव है। इस बदलाव का श्रीगणेश समाज ने किया है। उल्लेखनीय है कि रूफ वाटर हार्वेस्टिंग राजस्थान के मरुस्थलीय इलाके में अपनाई जाने वाली परम्परागत प्रणाली है। यह टिकाऊ विधि है। जनमानस में उसकी स्वीकार्यता है। चेन्नई में परिलक्षित बदलाव, राजस्थान की तर्ज पर स्थायित्व की ओर बढ़ने का प्रमाण है। रूफ वाटर हार्वेस्टिंग करने वालों को यही हकीकत समझने की आवश्यकता है। उन्हे छत के पानी को धरती में उतारने के स्थान पर पक्के टैंकों में सुरक्षित रखने की पुख्ता व्यवस्था की पैरवी करने की आवश्यकता है। 

राजस्थान के मरुस्थलीय इलाके की दूसरी पद्धति रेन वाटर हार्वेस्टिंग थी। इस पद्धति के पैरोकारों ने बरसाती पानी को व्यवस्थित तरीके से अपारगम्य जिप्सम की परत के ऊपर स्थित पारगम्य रेत में उतारा। इस विधि का लब्बोलुआब केवल इतना है कि उन्होंने बरसात के पानी को सीधे एक्वीफर में उतारा। भूजल रीचार्ज को सुनिश्चित किया। उन्होंने रेन वाटर हार्वेस्टिंग करते समय पानी को गलत जगह नहीं उतारा। इसी हकीकत को समझने और उसकी पैरवी की आवश्यकता है। यही मार्ग तामिलनाडु के परम्परागत समाज ने तालाब निर्माण कर अपनाया था। अर्थात उन्होंने इतना पानी जमा किया जिससे उनकी आवश्यकता पूरी हुई। पानी के काम का ऐसा तरीका विकसित किया जिसे समाज अपना सका। उन्होंने पानी जमा करने की ऐसी पद्धति अपनाई जो संभावनाओं पर नहीं परिणामों पर आधारित थी। चेन्नई के जल संकट का स्पष्ट सन्देश है कि छत के पानी के संचय के सही विकल्प को अपनाया जाए। समाज के टूटते विश्वास को बहाल किया जाए। उसकी दिशा को संवारा जाए। यही वह समस्या है जिसे समाधान की आवश्यकता है।  

 

TAGS

types of rainwater harvesting, rainwater harvesting in india, importance of rainwater harvesting, rainwater harvesting project, rainwater harvesting diagram, rainwater harvesting system, advantages of rainwater harvesting, what is rainwater harvesting answer, methods of rainwater harvesting wikipedia, different types of rainwater harvesting systems, water harvesting techniques, rain water harvesting, rooftop rainwater harvesting in hindi, water harvesting sysytem model, rain water harvesting model, rain water harvesting project, water crisis in india, effects of water scarcity, what are the main causes of water scarcity, scarcity of water in hindi, water crisis in india facts, water scarcity solutions, causes of water scarcity in india, water crisis meaning in hindi, water scarcity essay, water crisis in india, effects of water scarcity, what are the main causes of water scarcity, scarcity of water in hindi, water scarcity solutions, causes of water scarcity in india, water crisis article, what are the main causes of water scarcity, causes of water scarcity in india, water scarcity essay, effects of water scarcity, water scarcity solutions, what is water scarcity in english, scarcity of water in hindi, water scarcity meaning in hindi, rooftop rainwater harvesting diagram, roof water harvesting system, roof water harvesting in hindi, roof water harvesting structure, roof water harvesting in marathi, roof water harvesting calculator, roof water harvesting model, roof water harvesting chennai, story of roof water harvesting chennai, water crisis in chennai, gypsum, water crisis, roof water harvesting hindi, roof water harvesting technique hind, roof water harvesting, water crisis in india, water crisis in chennai, water crisis in india upsc, water crisis in the world, water crisis in uttarakhand, water crisis in india solution, water crisis in india essay, water crisis article, rooftop rainwater harvesting in hindi.