अभियांत्रिकी

Submitted by Hindi on Fri, 07/29/2011 - 09:43
अभियांत्रिकी तथा प्राविधिक शिक्षा किसी वाणिज्य या व्यवसाय में, विशेषकर अभियांत्रिकी (इंजीनियरी) के कार्यों की आधारभूत कलाओं और विज्ञानों में व्यक्तियों को प्रशिक्षित करना प्राविधिक शिक्षा कहलाता है। अभियांत्रिकी शिक्षा में आज अभियांत्रिकी की केवल पुरानी शाखाएँ--नागरिक (सिविल), यांत्रिक (मिकैनिकल), खनिज (माइनिंग) और वैद्युत (इलेक्ट्रिकल), अभियांत्रिकी और उसके विभाग, जैसे सड़क अभियांत्रिकी, पत्तन अभियांत्रिकी, मोटरकार (ऑटोमोबाइल) अभियांत्रिकी, यंत्रनिमार्ण अभियांत्रिकी, भवन अभियांत्रिकी, प्रभासन (इल्यूमिनेटिंग) अभियांत्रिकी इत्यादि---ही सम्मिलित नहीं हैं, प्रत्युत ऐसी संगत शाखाएँ भी सम्मिलित हैं, जैसे रासायनिक अभियांत्रिकी और धातुकार्मिक (मेटालर्जिकल) अभियांत्रिकी।

आधुनिक विशेषीकरण के होते हुए भी अभियांत्रिकी की सब शाखाओं के लिए सामान्य विज्ञान तथा गणित की पक्की नींव पहले से डाल रखने की नितांत आवश्यकता रहती है।

अभियांत्रिकी शिक्षा के उद्देश्य और स्तर---अभियांत्रिकी शिक्षा के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित होने चाहिए:

(1) उनको प्रशिक्षित करना जो भविष्य में उद्योग के नायक होंगे;
(2) औद्योगिक कार्यकर्ताओं को इस प्रकार प्रशिक्षित करना कि वे बताया हुआ अपना अधिक दक्षता और लगन से कर सकें;
(3) उन व्यक्तियों को प्रशिक्षित करना जो सरकार के भवन तथा सड़क निर्माण, नहर तथा सिंचाई और अन्य अभियांत्रिकी विभागों की देखभाल करेंगे।

प्रारंभिक सामान्य शिक्षा---औद्योगिक श्रमिक सेवा के अधिकांश व्यक्तियों के लिय अच्छी प्राथमिक शिक्षा, जिसमें विज्ञान, गणित और प्रकृतिअध्ययन का समावेश हो, व्यावसायिक पाठशालाओं में भरती होने के लिए पर्याप्त होगी।

अभियांत्रिकी शिक्षा में उपाधिपत्र (डिप्लोमा अथवा सर्टिफ़िकेट) उन लोगों के लिए उपयुक्त होता है जो अभियांत्रिकी विश्वविद्यालयों में नहीं अध्ययन कर सकते। ऐसे व्यक्तियों के लिए हाई स्कूल तक विज्ञान और गणित का ज्ञान न्यूनतम योग्यता समझी जानी चाहिए। उपाधिपत्र का पाठ्यक्रम तीन वर्षों का होना चाहिए और उसके बाद लगभग दो वर्षों तक किसी कारखाने अथवा सरकारी निर्माण विभाग में क्रियात्मक प्रशिक्षण लेना चाहिए। भारत में ऐसी कई उपाधिपत्र पाठशालाएँ सरकार ने अथवा गैरसरकारी संस्थाओं ने हाल में खोली हैं।

अभियांत्रिकी में विश्वविद्यालय तक की शिक्षा---इस शिक्षा के लिए न्यूनतम योग्यता विज्ञान सहित इंटरमीडिएट समझी जानी चाहिए। विश्वविद्यालय में अथवा किसी प्रौद्योगिक संस्थान (टेकनोलॉजिकल इंस्टिट्यूट) में चार वर्षों का पाठ्यक्रम होना चाहिए और उसके बाद एक वर्ष तक अपरेंटिसी (शिक्षा)।

भारत में अभियांत्रिकी शिक्षा का इतिहास---भारत में अभियांत्रिकी का सबसे पुराना विद्यालय टौमसन कालेज है जाए रुड़की (उत्तर प्रदेश) में सन्‌ 1847 ई. में स्थापित किया गया था। सन्‌ 1949 में इसे रुड़की इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय में रूपांतरित कर दिया गया। अब अधिकांश भारतीय विश्वविद्यालयों में अभियांत्रिकी शिक्षण विभाग है। इनके अतिरिक्त हाल में कई प्रौद्योगिक संस्थान खोले गए हैं, उदाहरणत: खड़गपुर और बंबई में।

सामान्य---बहुत से लोगों में शंका बनी रहती है कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली अभियांत्रिकी के लिए समुचित और पर्याप्त है या नहीं। अभियांत्रिकी की प्रकृति ही ऐसी है कि इस प्रकार की शंका उठती है। मौलिक रूप से अभियांत्रिकी ही उपयोगी परिणामों के निमित्त, उपयोगी रीति से सामग्री और शक्ति लगाने का वैज्ञानिक ज्ञान देती है। परंतु वैज्ञानिक खोजों से सदा नवीन रीतियाँ निकलती रहती हैं और नवीन आर्थिक परिस्थितियों के कारण यांत्रिकी शिक्षा में परिवर्तन की अपेक्षा सदा बनी रहती है।

शिक्षा संस्थाएँ---अभियांत्रिकी तथा प्रौद्योगिकी की स्नातक स्तर तक शिक्षा की सुविधा अब भारत के सभी राज्यों में उपलब्ध है। उदाहरणार्थ---पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़; गुरु नानक इंजीनियरिंग कॉलेज, लुधियाना; थापर इंजीनियरिंग कॉलेज, पटियाला; रुड़की यूनिवर्सिटी, रुड़की; दयालबाग इंजीनियरिंग कॉलेज, दयालबाग, आगरा; इंजीनियरिंग कॉलेज मुस्लिम युनिवर्सिटी, अलीगढ़; इंजीनियरिंग कॉलेज, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी; दिल्ली पॉलिटेक्नीक, दिल्ली; बिड़ला इंजीनियरिंग कॉलेज, पिलानी; जोधपुर इंजीनियरिंग कॉलेज, जोधपुर; गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, जबलपुर; माधव इंजीनियरिंग कॉलेज, ग्वालियर; सेकसरिया इंजीनियरिंग कॉलेज, इंदौर; पटना इंजीनियरिंग कॉलेज, पटना; मेसर इंस्टिट्यूट ऑव टेकनॉलोजी, राँची; सिघरी इंस्टिट्यूट ऑव टेकनॉलोजी, सिंघरी; इंजीनियरिंग कॉलेज, मुजफ्फरपुर; स्कूल ऑव माइनिंग, धनबाद; शिवपुर इंजीनियरिंग कॉलेज, शिवपुर (कलकत्ता); जादवपुर यूनिवर्सिटी, जादवपुर, कलकत्ता; इंस्टिट्यूट ऑव टेकनालॉजी, खड्गपुर; इंजीनियरिंग कॉलेज, आंध्र यूनिवर्सिटी; इंजीनियरिंग कॉलेज, अन्नामलई यूनिवर्सिटी; गुदंडी कॉलेज, मद्रास; हायर इंस्टिट्यूट ऑव टेक्नॉलोजी, मद्रास; मद्रास इंस्टिट्यूट ऑव टेक्नोलॉजी, मद्रास; इंस्टिट्यूट ऑव साईसं, बँगलोर; इंजीनियरिंग कॉलेज, मैसूर; इंजीनियरिंग कॉलेज, ट्रावनकोर; इंजीनियरिंग कॉलेज, उस्मानिया यूनिवर्सिटी हैदराबाद; विक्टोरिया जुबिली टेक्निकल इंस्टिट्यूट, बंबई; हायर इंस्टिट्यूट ऑव टेक्नोलॉजी, बंबई; इंजीनियरिंग कॉलेज, पूना; इंजीनियरिंग कॉलेज, नागपुर; इंजीनियरिंग कॉलेज, बड़ोदा यूनिवर्सिटी, बड़ोदा; इंजीनियरिंग कॉलेज, आनंद।

वर्तमान पंचवर्षीय योजना में अनेक नए कॉलेज खोलने की व्यवस्था है। भारत सरकार द्वारा स्थापित सभी उच्च प्रौद्योगिक संस्थानों में और उपयुक्त कई संस्थाओं में स्नातकोत्तर शिक्षा की सुविधा है।

डिप्लोमा स्तर तक प्राविधिक शिक्षा की सुविधा के संबंध में जानकारी भारत सरकार द्वारा स्थापित और नियोजित प्रादेशिक प्राविधिक शिक्षा कार्यालयों और परामर्शदाताओं से प्राप्त की जा सकती है।

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अन्य स्रोतों से




संदर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
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