आदि न बरसे अद्रा

Submitted by Hindi on Wed, 03/17/2010 - 08:29
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घाघ और भड्डरी

आदि न बरसे अद्रा, हस्त न बरसे निदान।
कहै घाघ सुनु घाघिनी, भये किसान-पिसान।।


भावार्थ- आर्द्रा नक्षत्र के आरम्भ और हस्त नक्षत्र के अन्त में वर्षा न हुई तो घाघ कवि अपनी स्त्री को सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि ऐसी दशा में किसान पिस जाता है अर्थात् बर्बाद हो जाता हैं।