अदरक जिंजीबरेसी कुस का पौधा है। इस कुस में लगभग 47 जेनरा और 1,150 जातियाँ (स्पीशीज़) पाई जाती हैं। इसका पौधा अधिकतर उष्णकटिबंधीय (ट्रापिकल्स) और शीतोष्ण कटिबंध (सबट्रापिकल) भागों में पाया जाता है। अदरक इन्दोमलाया, चीन, जापान, मसकराइन और प्रशांत महासागर के द्वीपों में भी मिलता है। इसका पौधा शाकीय वर्षानुवर्षी होता है। इसके पौधे में सिमपोडियल राइजोम पाया जाता है। इसमें गाँठ होती हैं।
इसका पुष्प एक युग्मसंमित या असंमित इपिगाइनस होता है। यह औषधियों में प्रयुक्त होता है। इसका भूमिगत तना खाने के काम आता है। इसकी प्रकृति गर्म होती है अतः खाँसी, जुकाम जैसे रोगों में इसे चाय में डालकर प्रयोग किया जाता है। अदरक को सुखाकर सोंठ बनती है। यह पेट की बीमारियों को भी दूर करता है। अदरक से जिंजर बनाया जाता है इसलिए इसको जिंजर भी कहते हैं। सरदर्द में भी यह लाभकर सिद्ध होता है। इसे पीसकर मस्तक पर लगाने से सरदर्द लगभग ठीक हो जाता है। इसके राइजोम पर कबक (फंजाइ) की बीमारी पाई जाती है जिसे ड्राइ राट कहते हैं।
इसका पुष्प एक युग्मसंमित या असंमित इपिगाइनस होता है। यह औषधियों में प्रयुक्त होता है। इसका भूमिगत तना खाने के काम आता है। इसकी प्रकृति गर्म होती है अतः खाँसी, जुकाम जैसे रोगों में इसे चाय में डालकर प्रयोग किया जाता है। अदरक को सुखाकर सोंठ बनती है। यह पेट की बीमारियों को भी दूर करता है। अदरक से जिंजर बनाया जाता है इसलिए इसको जिंजर भी कहते हैं। सरदर्द में भी यह लाभकर सिद्ध होता है। इसे पीसकर मस्तक पर लगाने से सरदर्द लगभग ठीक हो जाता है। इसके राइजोम पर कबक (फंजाइ) की बीमारी पाई जाती है जिसे ड्राइ राट कहते हैं।
Hindi Title
विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia)
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संदर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
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