अगस्त्य 1. प्रख्यात ऋषि। वैदिक साहित्य तथा पुराणों में इनके जीवन की विशिष्ट रूपरेखा अंकित की गई है। मित्र वरुण ने अपना तेज कुंभ (घड़े) के भीतर डाल रखा था जिससे इनका जन्म हुआ और इसीलिए ये मैत्रावरुणि तथा कुंभ योनि के नाम से भी अभिहित हैं। वसिष्ठ ऋषि इनके अनुज थे। अगस्त्य ने विदर्भ देश की राजकुमारी लोपामुद्रा के साथ विवाह किया था जिनसे इन्हें दो पुत्र उत्पन्न हुए- दृढस्यु और दृढास्य। अगस्त्य के अलौकिक कार्यों में तीन विशेष महत्व रखते हैं- वापाति राक्षस का संहार, समुद्र का पी जाना तथा विंध्याचल की बाढ़ को रोक देना। दक्षिण भारत में आर्य सभ्यता के विस्तार का श्रेय ऋषि अगस्त्य को ही दिया जाता है। बृहत्तर भारत में भी भारतीय संस्कृति और सभ्यता के प्रसार का महनीय कार्य अगस्त्य के ही नेतृत्व में संपन्न हुआ था। इसीलिए जावा, सुमात्रा आदि द्वीपों में अगस्त्य की अर्चना मूर्ति के रूप में आज भी की जाती है।
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