राजीव शर्मा
बच्चों, हम लोग तरह-तरह के फल, सब्ज़ियाँ, दालें व अन्न वगैरह तो बड़े चाव से खाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी यह भी सोचा है कि जिस मिट्टी में ये उगते हैं वह कैसे बनती है? चलिए, आज इसी बारे में बात करते हैं। जमीन के अंदर गहराई तक मिलने वाली और बहुत मामूली-सी दिखने वाली यह मिट्टी असल में बहुत जटिल प्रक्रिया के दौरान कई लाख सालों में बनकर तैयार हुई है। अभी हमें भले ही यह बारीक चूर्ण के रूप में दिखाई देती हो, लेकिन लाखों साल पहले यह बड़े-बड़े चट्टानों के रूप में हुआ करती थी। हवा, पानी, बर्फ, गर्मी, सर्दी और कार्बनिक अम्लों की प्राकृतिक-जैविक क्रियाओं-प्रतिक्रियाओं के कारण इन चट्टानों का धीरे-धीरे क्षरण होता रहा और ये छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटते रहे। आगे चलकर ये छोटे टुकड़े और छोटे होकर रेत में बदल गए। इस दौरान बीच-बीच में इनमें कई जैविक चीजें भी शामिल होती रहीं। पेड़-पौधे, उनकी पत्तियां, टहनियां और जानवरों के अवशेष वगैरह भी इनमें सड़-गलकर मिलते रहे। इसी तरह, बैक्टीरिया व दूसरे सूक्ष्म जीव भी इस रेत में मौजूद खनिज तत्वों के साथ मिलकर दूसरे जटिल व उपयोगी पदार्थ बनाते रहे। हजारों-लाखों सालों तक लगातार इस क्रम के चलते रहने से मिट्टी तैयार होती है।
मिट्टी बनने की यह प्रक्रिया अब भी चल रही है लेकिन बहुत धीमी होने के कारण हमें इसका सीधा-सीधा अनुभव ही नहीं हो पाता है। आपने अक्सर देखा होगा कि समुद्र या नदियों के आस-पास खूब सारा रेत होता है। यह रेत वास्तव में पानी के द्वारा चट्टानों को 'काटने' या 'घिसने' के कारण बनता है, लेकिन चट्टानों से रेत बनने की यह प्रक्रिया भी बहुत मंद गति से होती है। प्रकृति में चट्टानों से रेत और फिर रेत से मिट्टी बनने का यह जटिल काम एक प्रकार से किसी प्रयोगशाला में किए जाने वाले काम की तरह ही लगता है। हम लोग भी मिट्टी की ऊर्वरा शक्ति बढ़ाने यानी इसे और ज्यादा उपजाऊ बनाने के लिए इसमें तरह-तरह की जैविक-रासायनिक खादों का मिश्रण डालते हैं ताकि मिट्टी में जो कमियाँ रह गई हों, वे पूरी हो जाएं और हमें अच्छी फसल मिल सके। तो बच्चों, अब आप समझ ही गए होंगे कि हम अपने आस-पास जो बहुत सामान्य-सी मिट्टी देखते हैं वह बेकार नहीं होती, बल्कि बहुत काम की होती है और पेड़-पौधों के सड़े-गले भाग भी मिट्टी के लिए लाभदायक होते हैं। इसलिए हमें भी अपना वातावरण हरा-भरा बनाए रखने के लिए पेड़-पौधे लगाने चाहिए। ऐसा करने से हमारी भी सेहत अच्छी रहेगी और मिट्टी की भी।
बच्चों, हम लोग तरह-तरह के फल, सब्ज़ियाँ, दालें व अन्न वगैरह तो बड़े चाव से खाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी यह भी सोचा है कि जिस मिट्टी में ये उगते हैं वह कैसे बनती है? चलिए, आज इसी बारे में बात करते हैं। जमीन के अंदर गहराई तक मिलने वाली और बहुत मामूली-सी दिखने वाली यह मिट्टी असल में बहुत जटिल प्रक्रिया के दौरान कई लाख सालों में बनकर तैयार हुई है। अभी हमें भले ही यह बारीक चूर्ण के रूप में दिखाई देती हो, लेकिन लाखों साल पहले यह बड़े-बड़े चट्टानों के रूप में हुआ करती थी। हवा, पानी, बर्फ, गर्मी, सर्दी और कार्बनिक अम्लों की प्राकृतिक-जैविक क्रियाओं-प्रतिक्रियाओं के कारण इन चट्टानों का धीरे-धीरे क्षरण होता रहा और ये छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटते रहे। आगे चलकर ये छोटे टुकड़े और छोटे होकर रेत में बदल गए। इस दौरान बीच-बीच में इनमें कई जैविक चीजें भी शामिल होती रहीं। पेड़-पौधे, उनकी पत्तियां, टहनियां और जानवरों के अवशेष वगैरह भी इनमें सड़-गलकर मिलते रहे। इसी तरह, बैक्टीरिया व दूसरे सूक्ष्म जीव भी इस रेत में मौजूद खनिज तत्वों के साथ मिलकर दूसरे जटिल व उपयोगी पदार्थ बनाते रहे। हजारों-लाखों सालों तक लगातार इस क्रम के चलते रहने से मिट्टी तैयार होती है।
मिट्टी बनने की यह प्रक्रिया अब भी चल रही है लेकिन बहुत धीमी होने के कारण हमें इसका सीधा-सीधा अनुभव ही नहीं हो पाता है। आपने अक्सर देखा होगा कि समुद्र या नदियों के आस-पास खूब सारा रेत होता है। यह रेत वास्तव में पानी के द्वारा चट्टानों को 'काटने' या 'घिसने' के कारण बनता है, लेकिन चट्टानों से रेत बनने की यह प्रक्रिया भी बहुत मंद गति से होती है। प्रकृति में चट्टानों से रेत और फिर रेत से मिट्टी बनने का यह जटिल काम एक प्रकार से किसी प्रयोगशाला में किए जाने वाले काम की तरह ही लगता है। हम लोग भी मिट्टी की ऊर्वरा शक्ति बढ़ाने यानी इसे और ज्यादा उपजाऊ बनाने के लिए इसमें तरह-तरह की जैविक-रासायनिक खादों का मिश्रण डालते हैं ताकि मिट्टी में जो कमियाँ रह गई हों, वे पूरी हो जाएं और हमें अच्छी फसल मिल सके। तो बच्चों, अब आप समझ ही गए होंगे कि हम अपने आस-पास जो बहुत सामान्य-सी मिट्टी देखते हैं वह बेकार नहीं होती, बल्कि बहुत काम की होती है और पेड़-पौधों के सड़े-गले भाग भी मिट्टी के लिए लाभदायक होते हैं। इसलिए हमें भी अपना वातावरण हरा-भरा बनाए रखने के लिए पेड़-पौधे लगाने चाहिए। ऐसा करने से हमारी भी सेहत अच्छी रहेगी और मिट्टी की भी।
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विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia)
अन्य स्रोतों से
संदर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
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