पेशे से डेवलपमेंटल एनालिस्ट, अमितांग्षु ने टाटा इंस्टीट्यूट फॉर सोशल साइंसेज से एमए किया और उसके बाद से ही जल प्रबंधन के मुद्दे से सक्रिय रूप से जुड़ गए।
पहले उदयपुर और राजस्थान में यूएनडीपी के एक कार्यक्रम में लिंग और पानी के मुद्दों पर काम किया और अब वे अर्घ्यम् फाउंडेशन,बंगलौर के लिए पूर्वोत्तर भारत में प्रोजेक्ट डेवलपमेंट की अगुआई कर रहे हैं।
उन्हें देश भर में यात्रा करना और ग्रासरूट समुदाय से प्राकृतिक संसाधनों का बुद्धिमत्ता से प्रयोग करना सीखना अच्छा लगता है। भूजल, आगौर और पारंपरिक जल संग्रहण तकनीकों पर काम उनके प्रिय मुद्दे हैं।
पहले उदयपुर और राजस्थान में यूएनडीपी के एक कार्यक्रम में लिंग और पानी के मुद्दों पर काम किया और अब वे अर्घ्यम् फाउंडेशन,बंगलौर के लिए पूर्वोत्तर भारत में प्रोजेक्ट डेवलपमेंट की अगुआई कर रहे हैं।
उन्हें देश भर में यात्रा करना और ग्रासरूट समुदाय से प्राकृतिक संसाधनों का बुद्धिमत्ता से प्रयोग करना सीखना अच्छा लगता है। भूजल, आगौर और पारंपरिक जल संग्रहण तकनीकों पर काम उनके प्रिय मुद्दे हैं।