अमोनिया अवशोषण यंत्र

Submitted by Hindi on Thu, 10/28/2010 - 09:32
अमोनिया अवशोषण यंत्र एक प्रकार का प्रशीतक (रिफ़िजरेटर) यंत्र है। जो घरों और कारखानों में ठंडक उत्पन्न करने के काम आता है। अवशोषण यंत्रों की उपयोगिता का क्षेत्र बहुत सीमित है लेकिन जब बहुत निम्न ताप अपेक्षित हो तो ऐसे यंत्रों का महत्व अधिक हो जाता है।

इस यंत्र की कार्यप्रणाली चित्र द्वारा समझाई गई है। जनित्र (जेनेरेटर) (क) में अमोनिया का सांद्र (कांसेंट्रेटेड) जलीय (ऐकुअस) घोल भरा होता है, और ज्वालक से या भाप की नलियों से इसको गरम किया जाता है। घोल में से अमोनिया गैस निकलकर संघनित्र (ख) में डूबी सर्पिल में से जाती है। (ख) में शीतल पानी निरंतर प्रवाहित होता रहता है। अत: सर्पिल में गैस स्वयं अपनी ही दाब से संघनित हो जाती है। यह द्रव एक सँकरे नियामक (रेगुलेटिंग) वाल्व (च) के मार्ग से शीत संग्रहागार (कोल्ड स्टोरेज) (ग) में रखी सर्पिल में प्रवेश करता है जिसमें निम्न दाब के कारण द्रव वाष्पित हो जाता है। वाल्व (ब) को इस तरह से समायोजित (ऐडजस्ट) किया जाता है कि उसके दोनों सिरों के बीच दाब का अभीष्ट अंतर बना रहे। शीतसंग्रहागार (ग) में से नमक का घोल प्रवाहित होता रहता है, जो सर्पिल में अमोनिया के वाष्पन से शीतल होता जाता है, और फिर कहीं भी जाकर प्रशीतन का काम करता है।

सर्पिल (ग) में बनी अमोनिया गौस अवशोषक (घ) में रखे पानी या अमोनिया के तनु (हल्के) घोल द्वारा अवशोषित होती रहती है और इस प्रकार अल्प दाब बना रहता है।

चित्र : अमोनिया अवशोषण यंत्र

(घ) में घोल सांद्र होता जाता है और पंप (ङ) द्वारा जनित्र (क) के ऊपरी भाग में पहुँचाया जाता है। इसके विपरीत जनित्र के पेंदे से तनु घोल अवशेषक (घ) में आता जाता है। इस तरह पूर्ण चक्रीय प्रक्रम (साइक्लिक प्रासेस) से निरंतर प्रशीतन होता रहता है। (नि.सिं.)

Hindi Title

अमोनिया अवशोषण यंत्र