Amar sagar, Mool sagar and Jagroop sagar in Hindi / अमर सागर, मूल सागर व जगरूप सागर

Submitted by Hindi on Mon, 01/10/2011 - 17:07
जैसलमेर से 40 कि.मी. दूर प्रसिद्ध जैन तीर्थ लोद्रवा के रास्ते में महाराणा अमरसिंह द्वारा निर्मित अमर सागर झील पड़ती है। इसके आसपास कई बाग-बगीचे तथा जैन मंदिर बने हुए हैं। अमर सागर झील का निर्माण 1712 में हुआ था। महारावल मूल राज द्वारा मूल-सागर झील और जैसलमेर ही में महारावल जगरूप द्वारा निर्मित जगरूप-सागर झील है।

अमर सागर


जैसलमेर और लौद्रवा के बीच अमरसागर एक रमणिक स्थान है। अमरसागर मंदिर, तालाब तथा उद्यान का निर्माण महारावल अमरसिंह द्वारा विक्रम संवत् १७२१ से १७५१ के बीच किया गया था। यहाँ आदिश्वर भगवान के तीन जैन मंदिर है। ये सभी १९ वीं शताब्दी की कृतियां हैं। इनसे यह तो स्पष्ट है कि जैसलमेर क्षेत्रा में जैन स्थापत्य परंपरा का अनुसरण १९ वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक होता रहा। अमर सागर के किनारे भगवान आदिश्वर का दो मंजिला जैन मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण सेठ हिम्मत राम बाफना द्वारा १८७१ ई. में हुआ था। यहाँ इस मंदिर के स्थापत्य पर कुछ अंशों में हिन्दु-मुगल शैली का सामंजस्य है। मंदिर में बने गवाक्ष, झरोखें, तिबारियाँ तथा बरामदों पर उत्कीर्ण अलंकरण बङ्े मनमोह है, यहाँ मुख चतुस्कि के स्थान पर जालीदार बरामदा स्थित है और रंगमंडप की जगह अलंकरणों से युक्त बरामदा का निर्माण हुआ है। दूसरी मंजिल पर चक्ररेखी शिखर के दोनो पाश्वों में मुख-चतुस्कि जोड् दी गई है।

Hindi Title

अमर सागर, मूल सागर व जगरूप सागर


गुगल मैप (Google Map)
विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia)

अमर सागर, जैसलमेर


जैसलमेर और लौद्रवा के बीच अमरसागर एक रमणिक स्थान है। अमरसागर मंदिर, तालाब तथा उद्यान का निर्माण महारावल अमरसिंह द्वारा विक्रम संवत् १७२१ से १७५१ के बीच किया गया था। यहाँ आदिश्वर भगवान के तीन जैन मंदिर है। ये सभी १९ वीं शताब्दी की कृतियां हैं। इनसे यह तो स्पष्ट है कि जैसलमेर क्षेत्रा में जैन स्थापत्य परंपरा का अनुसरण १९ वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक होता रहा। अमर सागर के किनारे भगवान आदिश्वर का दो मंजिला जैन मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण सेठ हिम्मत राम बाफना द्वारा १८७१ ई. में हुआ था। यहाँ इस मंदिर के स्थापत्य पर कुछ अंशों में हिन्दु-मुगल शैली का सामंजस्य है। मंदिर में बने गवाक्ष, झरोखें, तिबारियाँ तथा बरामदों पर उत्कीर्ण अलंकरण बङ्े मनमोह है, यहाँ मुख चतुस्कि के स्थान पर जालीदार बरामदा स्थित है और रंगमंडप की जगह अलंकरणों से युक्त बरामदा का निर्माण हुआ है। दूसरी मंजिल पर चक्ररेखी शिखर के दोनो पाश्वों में मुख-चतुस्कि जोड् दी गई है।

अन्य स्रोतों से

अमर झा के ब्लॉग से


जैसलमेर का अमर सागरजैसलमेर का अमर सागर