अमृतसर पंजाब का एक जिला है और इसी नाम का वहाँ एक प्रसिद्ध नगर भी है। जिले की स्थिति ३१ ४से ३२ ३ अ.उ. तक, ७४ २९से ७५ २४पू.दे. तक; क्षेत्रफल : १,९६२ वर्ग मील।
अमृतसर जिला नए पंजाब प्रांत के पश्चिमोत्तर में जालंधर कमिश्नरी के सारे जिलों में प्रमुख है। लगभग संपूर्ण भाग मैदान है। रावी और व्यास नदियाँ इसकी पश्चिमोत्तर और दक्षिण पूर्व सीमा क्रम से बनाती हैं। इनके अतिरिक्त साकी नदी जो जिला गुरदासपुर से आती है, इसके उत्तर पश्चिम भाग में बहती हुई रावी नदी में मिल जाती है। इस नदी में पूरे वर्ष जल रहता है। यहाँ की जलवायु शीतकाल में अधिक ठंडी और ग्रीष्मऋतु में गरम रहती है। औसत वार्षिक वर्षा लगभग २१ इंच होती है। लोगों का मुख्य धंधा खेती बारी है और अपर बारी दोआब नहर द्वारा सिंचाई की अच्छी सुविधा प्राप्त है। गेहूँ, मक्का, ज्वार, बाजरा, दाल, कपास, और गझा यहाँ की मुख्य उपज है।
अमृतसर (नगर)स्थिति : ३१ ३८उ.अ. तथा ७४५३पू.दे.; जनसंख्या : ४,३२,६६३ (१९७१)। यह सिक्खों का प्रमुख नगर तथा तीर्थस्थान है। एक प्रकार से इसकी नींव सिक्खों के चौथे गुरु रामदास ने सन् १५७७ ई. में डाली। उनकी इच्छा थी कि सिक्ख जाति के लिए एक सुंदर मंदिर का निर्माण किया जाए। मंदिर का निर्माणकार्य आरंभ होने से पूर्व उसके चारों ओर उन्होंने एक ताल खुदवाना आरंभ किया। परन्तु उनकी मृत्यु हो जाने के कारण यह कार्य उनके पुत्र तथा पाँचवें गुरु अर्जुनदेव ने स्वर्णमंदिर बनवाकर पूर्ण किया। धीरे-धीरे इसी मंदिर के चारों ओर अमृतसर नगर बस गया। महाराजा रणजीतसिंह ने मंदिर की शोभा बढ़ाने में बहुत धन व्यय किया और उसी समय से यह नगर व्यापारिक केंद्र बन गया। आज भी व्यापार और उद्योग की दृष्टि से अमृतसर बहुत आगे बढ़ा हुआ है। सूती, ऊनी, और रेशमी कपड़ा बुनने एवं दरी और शाल बनाने के उद्योग मुख्य हैं। इनके अतिरिक्त कपड़े की रँगाई, छपाई और कढ़ाई के उद्योग भी अधिक उन्नति कर गए हैं। बिजली के पंखे, कलें, रासायनिक वस्तुएँ बनाने का भी यह एक प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है। यहाँ खालसा कालेज १८९३ ई. में खोला गया। गुरुनानक देव विश्वविद्यालय की स्थापना इसी नगर में हुई है। यह नगर रेल द्वारा कलकत्ता से १२३२ मील, बंबई से १२६० मील और दिल्ली से २७८ मील पर है। ऐतिहासिक दृष्टि से अमृतसर विशेष महत्व का है। दरबार साहिब (स्वर्णमंदिर) से लगभग दो फर्लांग की दूरी पर ही विख्यात जलियाँवाला बाग है जहाँ जनरल डायर ने १३ अप्रैल, सन १९१९ ई. को एक सार्वजनिक सभा पर गोली चलवाई थी, जिसमें लगभग डेढ़ हजार व्यक्ति घायल हुए और मारे गए थे। १९४७ ई. में पंजाब प्रांत के बँटवारे से नगर की उन्नति को विशेष ठेस लगी; पर अब भी यह पंजाब राज्य का सबसे बड़ा नगर है। (आ.स्व.जौ.)
अमृतसर जिला नए पंजाब प्रांत के पश्चिमोत्तर में जालंधर कमिश्नरी के सारे जिलों में प्रमुख है। लगभग संपूर्ण भाग मैदान है। रावी और व्यास नदियाँ इसकी पश्चिमोत्तर और दक्षिण पूर्व सीमा क्रम से बनाती हैं। इनके अतिरिक्त साकी नदी जो जिला गुरदासपुर से आती है, इसके उत्तर पश्चिम भाग में बहती हुई रावी नदी में मिल जाती है। इस नदी में पूरे वर्ष जल रहता है। यहाँ की जलवायु शीतकाल में अधिक ठंडी और ग्रीष्मऋतु में गरम रहती है। औसत वार्षिक वर्षा लगभग २१ इंच होती है। लोगों का मुख्य धंधा खेती बारी है और अपर बारी दोआब नहर द्वारा सिंचाई की अच्छी सुविधा प्राप्त है। गेहूँ, मक्का, ज्वार, बाजरा, दाल, कपास, और गझा यहाँ की मुख्य उपज है।
अमृतसर (नगर)स्थिति : ३१ ३८उ.अ. तथा ७४५३पू.दे.; जनसंख्या : ४,३२,६६३ (१९७१)। यह सिक्खों का प्रमुख नगर तथा तीर्थस्थान है। एक प्रकार से इसकी नींव सिक्खों के चौथे गुरु रामदास ने सन् १५७७ ई. में डाली। उनकी इच्छा थी कि सिक्ख जाति के लिए एक सुंदर मंदिर का निर्माण किया जाए। मंदिर का निर्माणकार्य आरंभ होने से पूर्व उसके चारों ओर उन्होंने एक ताल खुदवाना आरंभ किया। परन्तु उनकी मृत्यु हो जाने के कारण यह कार्य उनके पुत्र तथा पाँचवें गुरु अर्जुनदेव ने स्वर्णमंदिर बनवाकर पूर्ण किया। धीरे-धीरे इसी मंदिर के चारों ओर अमृतसर नगर बस गया। महाराजा रणजीतसिंह ने मंदिर की शोभा बढ़ाने में बहुत धन व्यय किया और उसी समय से यह नगर व्यापारिक केंद्र बन गया। आज भी व्यापार और उद्योग की दृष्टि से अमृतसर बहुत आगे बढ़ा हुआ है। सूती, ऊनी, और रेशमी कपड़ा बुनने एवं दरी और शाल बनाने के उद्योग मुख्य हैं। इनके अतिरिक्त कपड़े की रँगाई, छपाई और कढ़ाई के उद्योग भी अधिक उन्नति कर गए हैं। बिजली के पंखे, कलें, रासायनिक वस्तुएँ बनाने का भी यह एक प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है। यहाँ खालसा कालेज १८९३ ई. में खोला गया। गुरुनानक देव विश्वविद्यालय की स्थापना इसी नगर में हुई है। यह नगर रेल द्वारा कलकत्ता से १२३२ मील, बंबई से १२६० मील और दिल्ली से २७८ मील पर है। ऐतिहासिक दृष्टि से अमृतसर विशेष महत्व का है। दरबार साहिब (स्वर्णमंदिर) से लगभग दो फर्लांग की दूरी पर ही विख्यात जलियाँवाला बाग है जहाँ जनरल डायर ने १३ अप्रैल, सन १९१९ ई. को एक सार्वजनिक सभा पर गोली चलवाई थी, जिसमें लगभग डेढ़ हजार व्यक्ति घायल हुए और मारे गए थे। १९४७ ई. में पंजाब प्रांत के बँटवारे से नगर की उन्नति को विशेष ठेस लगी; पर अब भी यह पंजाब राज्य का सबसे बड़ा नगर है। (आ.स्व.जौ.)
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