अपरांत

Submitted by Hindi on Thu, 07/28/2011 - 11:50
अपरांत भारतवर्ष की पश्चिम दिशा का देशविशेष। 'अपरांत' (अपर-अंत) का अर्थ है पश्चिम का अंत। आजकल यह बंबई प्रांत का 'कोंकण' प्रदेश माना जाता है। तालेमी नामक भूगोलवेता ने इस प्रदेश को,लिसे वह 'अरिआके' या 'अबरातिके' के नाम से पुकारा है, चार भागों मे विभक्त बतलया है। समुद्रतट से लगा हुआ उत्तरी भाग थाणा और कोलांबो जिलों से । इसी प्रका समुद्र से भीतरी प्रदेश के भी दो भाग हैं। उत्तरी भाग में गोदावरी नदी बहती है और दक्षिणी में कन्नड़ भाषाभाषियों का निवास है। महाभारत (आदिपर्व) तथा मार्कडेय-पुराण के अनूसार यह समस्त प्रदेश 'अपरांत' के अंतर्गत है। बृहत्‌संहिता (14/20) ने इस प्रदेश के निवासियों का 'अपरांतक' नाम से उल्लेख किया है जिनका निर्देश रूद्रदामन्‌ जूनागढ़ शिलालेखों में भी है। रधुवंश (4/53) से भी स्पष्ट है कि अपरांत स्ह्रा पर्वत तथा पश्चिम सागर मे बीच का वह सँकरा भूभाग है जिसे परशुराम ने पुराणानुसार समुद्र को दूर हटाकर अपने निवास के लिए प्रस्तुत किया था।

Hindi Title


विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia)




अन्य स्रोतों से




संदर्भ
1 -

2 -

बाहरी कड़ियाँ
1 -
2 -
3 -