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राष्ट्रीय सहारा, 04 जनवरी, 2018
ग्रेटर नोएडा (एसएनबी)। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में बना सूरजपुर वेटलैण्ड (पक्षी विहार) अतिक्रमण की चपेट में आ गया है। वेटलैण्ड के चारों ओर लोगों ने अवैध निर्माण कर लिया है जिससे प्रवासी पक्षियों ने आना ही बन्द कर दिया है। जिस जगह पर लोगों ने अवैध निर्माण किया है वह प्राधिकरण का अधिसूचित क्षेत्र है। हालाँकि प्राधिकरण के अधिकारियों का दावा है कि अभियान चलाकर जल्द अवैध निर्माण ध्वस्त कर दिये जाएँगे। हालाँकि वेटलैण्ड का रख-रखाव वन विभाग करता है। इसके लिये प्राधिकरण प्रतिवर्ष लाखों रुपये वन विभाग को जारी करता है। प्राधिकरण ने वेटलैण्ड की सफाई के लिये वन विभाग को नवम्बर 2017 में 14 लाख रुपये जारी किए थे।
आश्चर्य की बात है कि वेटलैण्ड की सफाई बहुत पहले हो जानी चाहिए थी लेकिन वन विभाग अब वहाँ से जलकुम्भी निकाल रहा है। जिसके चलते प्रवासी पक्षी नहीं आ रहे हैं। उधर प्राधिकरण के सीईओ देवाशीष पंडा ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए ओएसडी (लैण्ड) को निर्देश दिये हैं कि सूरजपुर वेटलैण्ड की जमीन पर अवैध निर्माण करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
सूरजपुर-दादरी मार्ग पर देवला के पास 140 हेक्टेयर में सूरजपुर वेटलैण्ड है। जहाँ पर हर वर्ष प्रवासी पक्षी आते हैं। वन विभाग की लापरवाही से वेटलैण्ड में जलकुम्भी बहुत हो गई है। यही नहीं वेटलैण्ड की जमीन पर लोगों ने अवैध निर्माण भी कर लिया है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण प्रतिवर्ष लाखों रुपये वन विभाग को वित्त पोषित करता है। इस वर्ष प्राधिकरण ने वन विभाग को नवम्बर में ही 14 लाख रुपये की धनराशि जारी कर दी थी लेकिन वन विभाग ने उसकी सफाई नहीं कराई। जब पक्षियों के आने का समय हुआ तब वन विभाग उसकी सफाई करा रहा है। इस पर प्राधिकरण के सीईओ ने नाराजगी व्यक्त की है। वेटलैण्ड के चारों ओर देवला गाँव का क्षेत्र है।
प्राधिकरण ने पहले इस गाँव की जमीन अधिग्रहीत की थी लेकिन मामला कोर्ट में चला गया लिहाजा अधिग्रहण रद्द कर दिया गया। अधिग्रहण रद्द होने के बाद उस जमीन पर कॉलोनाइजरों ने अवैध कॉलोनी काट दी हैं। वेटलैण्ड के आस-पास मकान बनने से पक्षियों ने आना ही बन्द कर दिया है। कुछ साल पहले डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया ने भी वेटलैण्ड को संरक्षित करने की पहल की थी। उधर प्राधिकरण के सीईओ देवाशीष पंडा का कहना है कि सूरजपुर वेटलैण्ड का विकसित कर इसे पर्यटक स्थल बनाने का प्रयास किया जाएगा। अवैध निर्माण करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश जारी कर दिये गये हैं। वन विभाग के अधिकारियों से भी वेटलैण्ड को विकसित करने को कहा गया है।