अटलस

Submitted by Hindi on Wed, 10/27/2010 - 09:30
अटलस पर्वत (अंग्रेजी में ऐटलैस) पर्वत कई पहाड़ों का समूह है जो उत्तर-पश्चिम तथा उत्तर अफ्रीका में है। अटलस नाम यूनान के एक पौराणिक देवता के आधार पर पड़ा जिनका निवास स्थान अनुमानत इसी पर्वत पर था। यह पर्वत बर्बर जाति के लोगों का वास स्थान है। इसके अगम्य भागों के निवासियों का जीवन सदा स्वतंत्र रहा है।

अटलस पर्वत के अंतर्गत श्रृंखलाओं की दिशा उत्तर-पश्चिमी अफ्रीका के समुद्र तट के लगभग समानांतर है। ये श्रृंखलाएँ १,५०० मील लंबी हैं जो पश्चिम में जूबो अंतरीप से आरंभ होकर पूर्व में गेब्स की खाड़ी तक मोरक्को, अलजीरिया और ट्यूनीशीया में फैला है। इनकी उत्तरी और दक्षिणी सीमाएँ क्रमश रूमसागर और सहारा मरुस्थल हैं। इनके दो मुख्य उपविभाग हैं: (१) समुद्रतटीय श्रेणी- क्यूटा से बीन अंतरीप तक, (२) अंतरस्थ श्रेणी, जो ग्विर अंतरीप से आरंभ होती है और समुद्र तटीय श्रेणी के दक्षिण ओर फैली हुई है। इन दोनों के बीच शाट्स का उच्च पठारी प्रदेश है।

अटलस पर्वत की अंतरस्थ श्रेणी, जिसे महान्‌ अटलस भी कहते हैं, मोरक्को में स्थित है। यह सबसे लंबी और ऊँची श्रेणी है। इसकी औसत ऊँचाई ११,००० फुट है। इसकी उत्तरी ढाल पर जलसिंचित उपजाऊ घाटियाँ हैं जिनमें छोटे-छोटे खेतों में बर्बर लोग खेती करते हैं। यहाँ बाँझ (ओक), चोड़, कार्क, सोडार इत्यादि के घने वन पाए जाते हैं।

भूगर्भ विज्ञान अटलस पर्वत का निर्माण ऐल्प्स पर्वत के लगभग साथ ही हुआ। भूपर्पटी की उन गतियों का आरंभ, जिनसे अटलस पर्वत बना, महाशरट (जुरैसिक) युग के अंत में हुआ। ये गतियाँ उत्तरखटी (अपर क्रिटेशस) युग में पुन क्रियाशील हुई है और इनका क्रम मध्यनूतन (माइओसीन) युग तक चलता रहा। यहाँ पूर्वकाल में भी भंजनक्रिया के प्रमाण मिलते हैं। (रा. ना. मा.)

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