बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’

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(8 दिसंबर, 1897-29 अप्रैल, 1960)


शिक्षा :


उज्जैन से मैट्रिक 1917 में।

प्रमुख कृतियां :


‘कुमकुम’ (1939), ‘अपलक’ (1951), ‘रश्मिरेखा’ (1951), ‘क्वासि’ (1952), ‘विनोबारतदन’ (1954), ‘हम विषपायी जन्म के’ (1964) ‘प्रताप’ में विचारोत्तेजक संपादकीय लिखे। 1934 में ‘उर्मिल’ महाकाव्य 619 पृष्ठ का लिखा। 1916 में माखनलाल चतुर्वेदी, मैथिलीशरण गुप्त और गणेशशंकर विद्यार्थी के साथ लखनऊ में संपर्क। 1921-22, 1930, 1932 में जेल गए। नेहरू के घनिष्ठ सहयोगी। ‘सरस्वती’ में लिखा।

1950 में अंतरिम लोकसभा और 1952 से 1960 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। पद्मभूषण से सम्मानित।