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राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान
जल संसाधन बहुल भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र आर्थिक दृष्टि से अत्यंत पिछड़ा है। इसका मुख्य कारण जल संसाधन के ईष्टतम दोहन एवं उचित प्रबंधन का अभाव है। यह विडम्बना ही है कि देश में सर्वाधिक वर्षापात के बावजूद इस क्षेत्र में न तो हरित क्रांति हो पाई, न खेत क्रांति और न और असीम अवसर उपलब्ध होने के बावजूद नील क्रांति ने इस क्षेत्र का मुँह नहीं देखा और पील क्रांति भी गायब हो रही है। जल संसाधन की अनियंत्रित अधिकता ने भूमि कटाव की कठिन समस्या पैदा की है जिसने बाढ़ को उग्रतम बना दिया है। बाढ़ से कृषि की बर्बादी होती है तथा इस क्षेत्र की विलक्षता कृषि पद्धति बाढ़ को प्रभावित करती है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए यहाँ जल एवं भूमि का प्रबंधन एक इकाई के रूप में किया जाना चाहिए।
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