भारतेंदु हरिश्चंद्र

Submitted by admin on Mon, 12/09/2013 - 11:58

(1850-1885)


आधुनिक हिंदी साहित्य के युग प्रवर्तक रचनाकार। अल्पायु में सभी विधाओं में विपुल लेखन और संपादन। संस्कृतिकर्मी।

प्रमुख कृतियां : ‘भारत दुर्दशा’ (छह अंकों में), ‘प्रेम जोगिनी’, ‘नील देवी’, ‘सती प्रताप’, ‘भारत जननी’, ‘हरिशचंद्र चंद्रिका’, ‘मोहन चंद्रिका’, ‘सत्य हरिश्चंद्र’, ‘चंद्रावली’ इत्यादि। सभी रचनाएं ‘भारतेंदु समग्र’ में संकलित। संपादन : ‘हरिश्चंद्र चंद्रिका’, ‘कविवचन सुधा’ एवं ‘हरिश्चंद्र मैगजीन’ इत्यादि पत्र-पत्रिकाएं। खड़ीबोली को प्रतिष्ठित करने का श्रेय। कविता, नाटक, पत्रकारिता, अनुवाद, निबंध इत्यादि विधाओं को आधुनिक और सामयिक स्वरूप देने का युगांतकारी योगदान।