Bhedaghat in Hindi

Submitted by Hindi on Tue, 01/11/2011 - 15:25
जाबालि ऋषि के आश्रम के सुंदर सरोवर पर जबलपुर एक प्रमुख नगर है। यहां से 19 कि.मी. दूर भेड़ाघाट, भृगु की तपो भूमि, पर वामन गंगा नामक नदी, नर्मदा से मिलती है। यहां संगमरमर की चट्टानों में धुआंधार नामक जल प्रपात बड़ा मनमोहक है। हाथी का पांव स्थल भी दर्शनीय है।

दरअसल भेड़ाघाट में ऊंची-ऊची संगमरमरी चट्टानों की प्राकृतिक सुषमा के बीच बहती नर्मदा नदी झील में परिवर्तित सी लगती है। यहां नौकायन करना एक यादगार अनुभव जैसा है। चांदनी रात में तो इस नौकायन का आनंद कई गुना बढ़ जाता है। भेड़ाघाट की भूलभुलैयों में इस नीले आसमान के पहाड़ इतने आकर्षक लगते हैं कि पर्यटक आत्मविभोर हो जाते हैं।

Hindi Title

1- भेड़ा घाट


विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia)
भेड़ाघाट, भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के जबलपुर जिला में स्थित एक रमणीय पर्यटन स्थल है । भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित चौसठ योगिनी मंदिर इसके समीप स्थित है । धुआंधार जलप्रपात, भेड़ाघाट के निकट एक आकर्षक पर्यटन स्थल है ।

नर्मदा नदी के दोनों तटों पर संगमरमर की सौ फुट तक ऊँची चट्टानें भेड़ाघाट की खासियत हैं।

अन्य स्रोतों से

2 - सौंदर्य की मिसाल भेड़ाघाट, चौथी दुनिया से


रूप तेरा ऐसा दर्पण में न समाए, पलक बंद कर लूं कहीं छलक ही न जाए. ये पंक्तियां यदि प्रकृति की एक मनोहारी स्वप्न भूमि भेड़ाघाट के लिए कही जाएं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. जबलपुर से भोपाल की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर जबलपुर नगर से लगभग 21 किलोमीटर की दूरी पर भेड़ाघाट नाम का एक छोटा सा गांव है. संगमरमरी चट्टानों से सजा ये गांव नर्मदा नदी के तट पर बसा है. मानचित्र में इसकी स्थिति 23’8’’ उत्तर, 78’48’’ पूर्व, एमएसएल 408 मीटर है. पश्चिम मध्य रेल के इलाहाबाद तथा इटारसी को जोड़ने वाले मुख्य मार्ग से स्टेशन भेड़ाघाट की दूरी 5 किलोमीटर है. आंखों को सुकून देकर मन मोह लेने वाले झरने, संगमरमरी चट्टानें और अपने आकर्षक दृश्य के लिए यह विश्व प्रसिद्ध है.

नर्मदा नदी पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली भारत की सबसे लंबी नदी है, जिसे स़िर्फ नदी न मानकर देवी मां अमृतस्य का नाम माना गया है. यह देश के उत्तर तथा दक्षिण को सांस्कृतिक रूप से विभाजित करती हुई उत्तरी अंचल के विंध्य पर्वत श्रृंखला के अमरकंटक से निकलती है. अमरकंटक के उद्‌गम स्थल से 327 किलोमीटर के पश्चिम की ओर बहने के बाद नर्मदा भेड़ाघाट के संगमरमरी नगरी में प्रवेश करती है. यहां पर नदी अपनी चौड़ाई की तिहाई भाग तक सिकुड़ जाती है और नदी 32 मीटर की ऊंचाई वाली शक्तिशाली एवं अद्भुत संगमरमरी चट्टानों के मध्य से लगभग 3.22 किलोमीटर की दूरी तक प्रवाहित होकर निकलती है. यह भेड़ाघाट का ऐसा सौंदर्यमयी अद्भुत दृश्य है जो संभवत: विश्व में अद्वितीय है.भारत वर्ष की सभी नदियों में यह एक ऐसी नदी है जो भेड़ाघाट में पत्थरों का सीना चीरकर प्रवाहित होने वाली प्रसिद्ध नदियों में अतुलनीय है. स्वच्छ पारदर्शी चौंधियाने वाला शांत जल, कल-कल, क्षल-छल करता तट का निर्माण करने वाली संगमरमरी चट्टानों के विस्तृत नीले गगन के नीचे आश्चर्यजनक चकाचौंध छंटा उत्पन्न करती है. स़फेद बर्फीली चोटियों के नीचे परिवर्तित होने वाला सूर्य प्रकाश अपने तेज़ को खोकर सोने की गेंद की तरह परिवर्तित हो जाता है. सबसे खूबसूरत नज़ारा तो रात का होता है जब आसमान में फैले तारे और चांद, भेड़ाघाट के शांत जल में चमकते हैं. ऐसा लगता है मानो करोड़ों जुगनू जल में आईने की तरह अपनी खूबसुरती निहार रहे हों और चांद पानी में ज़रा सी हलचल से नृत्य शुरू करने लगता हो. चांदनी रात में जब जल विस्तार दूर-दूर तक आसमान से जुड़ा दुधिया रंग की चादर के समान परिवर्तित हो जाता है तब यह किसी सपने की दुनिया से कम नहीं होता. ऐसे में खड़ी नुकीली रंग-बिरंगी चट्टानों के बीच नौकायन निश्चय ही अद्भुत आनंद देने वाला होता है. इस अनंत सौंदर्य से आंखें नहीं थकतीं और कान निर्जन एकांत में पानी की लगातार होने वाली कल-कल, छल-छल की ध्वनि सुनते नहीं अघाते. इस पावन और ताकतवर नदी के एक संकरे स्थान पर जहां गहराई वाली विपरीत तटों की संगमरमरी चट्टानें एक दूसरे के नज़दीक आती हैं, उसे यहां रहने वाले लोगों ने बंदर कूदनी नाम दिया है.

यात्री विश्रामगृह के निकट विशाल जल राशि की गहराई 51.51 मीटर है. यहां की दरार पहले सबसे शक्तिशाली झरने का निर्माण करती है. विशाल जल राशि का पत्थरों से टकराकर तेज रफ्तार से नीचे गिरना और रफ्तार इतनी की पानी का 40 प्रतिशत भाग धुएं की तरह ऊपर वातावरण में फैल जाता है. इस तरह का परिवेश इतना अद्भुत और इंद्रधनुषीय होता है, जिसे देख पर्यटकों के अल्फाज़ों में धुंआधार की तारी़फ ही हो सकती है. नर्मदा पर भेड़ाघाट में वाण-कुंड तथा रूद्र कुंड अन्य चित्रण योग्य स्थान है जो धार्मिक एवं पौराणिक कथाओं से संबंधित है.

आजकल भेड़ाघाट विकास प्राधिकरण के प्रयासों से एक रोप वे का निर्माण किया गया है. सच मानों इसकी ट्राली में धुंआधार का अतुलनीय सौंदर्य जब निगाहों के एकदम सामने आता है तब मानों सांसे थम सी जाती है. सतरंगी पानी के फुहारों से सराबोर, धुंआधार के दूसरी ओर नया भेड़ाघाट है. भेड़ाघाट के नामकरण से संबंध में अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित है, जो उसके स्थलों की पवित्रता को प्रमाणित करती है. इनमें से एक कथा कुछ इस प्रकार है: पौराणिक भृगु ऋृषि के नाम पर इसका नाम पड़ा जो नर्मदा नदी के तट पर बने आधुनिक विश्राम गृह क्रमांक-2 के निकट रहते थे. एक अन्य सुझाव था कि भेड़ाघाट की उत्पत्ति भेड़ा शब्द से हुई है, इसका शाब्दिक अर्थ होता है मिलना. यह शब्द दो नदियों के मिलने की ओर संकेत करता है, अर्थात नर्मदा नदी एवं पावनगंगा का संगम स्थल जो यहां पर है. कुछ विद्वानों का यह भी मत है कि यह प्राचीन भैरवीघाट का परिवर्तित व आधुनिक नाम है, जो इस तथ्य पर आधारित है कि यह स्थान शक्ति पूजन का प्रसिद्ध केंद्र था. पुरातात्विक अवशेषों से प्रमाणित होता है कि प्राचीन काल से ही यह स्थान शक्ति पूजा का केंद्र था. आज भी चौसठ जोगनी के रूप में बहुसंख्यक गौंडवाना कालीन देवी प्रतिमाएं शोध का विषय है. बंदर कूदनी, पंचवटी घाट, सरस्वती घाट तथा अन्य स्थलों से संबंधित अनेक पौराणिक कथाएं उपलब्ध हैं, जो संगमरमरी चट्टानों के सौंदर्य को दिखाते नौका विहार के समय चालक द्वारा पर्यटकों को सुनाया जाता है. यह पर्यटकों को जानकारी एवं मनोरंजन देने में मदद करता है.

विश्व प्रसिद्ध सौंदर्य का प्रतीक मां नर्मदा के अद्भुत दर्शन का केंद्र होने के बावज़ूद भेड़ाघाट इतिहास के विभिन्न कालों से ही उपेक्षा का शिकार होता रहा है. यह प्राचीन काल त्रिपुरी और मध्यकाल के गढ़ा, मराठा और ब्रिटिश नियंत्रण के कार्यकाल के दौरान जबलपुर क्षेत्र में जोड़ा जाता था. यहां तक की संबंधित कालों में भेड़ाघाट का इतिहास क्षेत्रीय इतिहास में समाहित हो जाता है. ये तथ्य भेड़ाघाट से प्राप्त होने वाले अनेक पुराकृतियों से प्रमाणित होता है. इसी वज़ह से भेड़ाघाट को अपनी पहचान बनाने में इतना लंबे समय का स़फर तय करना पड़ा.

प्रदेश के पर्यटन विकास निगम के वरिष्ठ राज्य सरकार ने भेड़ाघाट को विश्व हेरिटेज का दर्ज़ा दिलाने के लिए यूनेस्को को प्रस्ताव भेजा है. कुछ विद्वानों का यह भी कहना है कि ये जबलपुर वासियों के लिए हर्ष और उल्लास का विषय है, क्योंकि भेड़ाघाट भी विश्व पर्यटन के नक्शे में नज़र आएगा और इस उपलब्धि से रोज़गार के अवसर भी खुलेंगे. यह शहर के ज़मीनी स्तर के विकास कार्य के लिए कारगर क़दम होगा.

शहर के अनेकानेक पर्यटन स्थलों में भेड़ाघाट प्रमुख पर्यटन स्थल है, लेकिन इस ओर उदासीनता की वज़ह से इसकी बेहतर मार्केटिंग नहीं हो पाती. नतीज़ा विदेशी पर्यटक इससे आकर्षित नहीं हो पाते, इसीलिए इसे विश्व धरोहर में शामिल कराने के लिए यूनेस्को को भेजे गए प्रस्ताव के अलावा वर्ल्ड फोरम स्तर पर भी बेहतर मार्केटिंग करने की योजना बनाई जा रही है. अब वह दिन दूर नहीं है जब संगमरमरी वादियों के बीच से बहती नर्मदा के लिए विश्व प्रसिद्ध और प्राकृतिक मनोहारी छंटा से आच्छादित भेड़ाघाट न स़िर्फ जबलपुर बल्कि विश्व का प्रमुख धरोहर बन जाएगा, और संगीत लहरी बिखेरता हुआ यह जलप्रपात विश्व में अपनी पहचान बनाएगा.

संदर्भ
1 - प्रकाशन विभाग की पुस्तक - हमारी झीलें और नदियां - लेखक - राजेन्द्र मिलन

2 - http://www.chauthiduniya.com