चौराहा (या सड़कसंगम)

Submitted by Hindi on Thu, 08/11/2011 - 16:34
चौराहा (या सड़कसंगम) जहाँ सड़कों के जाल बिछे होते हैं वहाँ वे एक दूसरे से मिलती या काटती ही हैं। जिस स्थान पर दो या दो से अधिक सड़कें मिलती हैं वह स्थान चौराहा या सड़कसंगम कहलाता है।

सड़कसंगम की रचना मार्ग इंजीनियर के लिए बड़ी समस्या होती है, क्योंकि वहाँ वाहनों के पथ एक दूसरे को काटते हैं। अंत संगम ऐसा होना चाहिए कि वाहनों की टक्कर न हो, उनके पहिए विशेष धिसें पिटें नहीं और यातायात निरापद तथा निर्बाध हो। लेकिन इंजीनियर के लिए कठिनाई यह है कि दो संगमस्थान कभी भी एक से नहीं होते। कहीं सड़कें भिन्न कोण पर मिलती हैं, कहीं उनको संख्या कम होती हैं, कहीं अधिक, कहीं सड़कें एक प्रकार की होती हैं और कहीं दूसरे प्रकार की। यातायात में भी भिन्नता देखी जाती है। अतएव संगम अनेक प्रकार के हो सकते हैं, कहीं बड़े सरल और कहीं बड़े पेचीदे।

सड़कसंगमों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है : (1) चौरस भूमिवाले संगम, (2) विभिन्न समतलों पर से आती हुई सड़कों के संगम। चौरस स्थान के संगम तीन उपवर्गों में बाँटे जा सकते हैं। (क) नियतपथ संगम (channelized junction), (ख) अनियतपथ संगम (nonchannelized junction) तथा (ग) चक्करदार संगम।

चौरस स्थान के संगम चौरस स्थान पर जब दो सड़कें मिलती हैं तब उस स्थान को चौराहा कहा जात है, क्योंकि संगम स्थान पर चार रास्ते निकल आते हैं। लेकिन कहीं कहीं तीन या इनसे अधिक सड़कों का भी मिलन होता है। तीन सड़कों के संगम को T या Y से प्रदर्शित करते हैं।

चौरस स्थान पर जब सड़कें मिलती हैं, तब सब मिलनेवाली सड़कों के लिये एक ही संगमक्षेत्र में गाड़ियों का आना जाना और मुड़ना हुआ करता है। अत: संगमस्थान का नक्शा बनाते समय गाड़ियों की गति, दृष्टिदूरी, ढाल और सीध आदि प्रत्येक बात का विचार कर पर्याप्त स्थान की व्यवस्था करनी पड़ती है।

क. पृथक्‌ पथरहित चौराहा; ख. पृथक्‌ पथवाला चौराहा, जिसमें एक पथनियतन द्वीप है; ग. चार भुजाओंवाला चौराहा; घ. तुरीय तिपतिया चौराहा; च. घूर्णक चौराहा, जिसमें पथनियतन दो द्विप हैं तथा छ: तिपतिया चौराहे।

अनियत पथसंगम वहाँ होते हैं जहाँ आना जाना कम होता है और गाड़ियों की भीड़ भाड़ भी कम होती है। अन्यथा पथनियतन द्वीप (channelizing island) के द्वारा आवागमन का नियंत्रण किया जाता है। ये द्वीप यातायात को ठीक दिशा में चलाने में सहायक होते हैं और पैदल यात्रियों की भी रक्षा करते हैं, क्योंकि वे गाड़ियों से बचकर उनपर शरण ले सकते हैं। इन द्वीपों के कारण संगम पर अधिकतम यातायात हो सकता है और दुर्घटनाओं की संभावना भी कम हो जाती है।

चक्करदार संगम गोलाकार होता है। यहाँ पर सारा यातायात एक केंद्रीय द्वीप के चारों ओर की सड़क में मिलकर एक ही दिशा में चलता है। ऐसे चक्कर उन्हीं स्थलों के लिये उपयुक्त होते हैं जहाँ उनके लिये आवश्यक पर्याप्त जगह मिल सके।

भिन्नतलीय संगम (Grade separated Junctions)  चौरस स्थान के संगम की सारी त्रुटियाँ, जैसे यातायात की क्षमता में कभी, घूमने आदि में विलंब के कारण गाड़ियों की गति में ह्रास, गाड़ियों की टक्कर तथा अन्यान्य प्रकार की दुर्घटनाओं की आशंका, भिन्नतलीय सगम में दूर हो जाती हैं, क्योंकि यहाँ विभिन्न तलों पर यातायात बिना बाधा के चलता रहता है। इससे समय की बचत होती है तथा यातायात भी निरापद हो जाता है। किंतु ऐसे संगम का निर्माण महँगा होता है, अत: ऐसा संगम उच्च कोटि मार्गों पर ही बनाए जाते हैं। इस वर्ग के संगम जलेबी संगम (clover leaf) तथा आंशिक जलेबी संगम (partial clover leaft) उल्लेखनीय हैं।

सं. ग्रं. - ह्यूइस तथा ऑग्लेसबी : हाई वे इंजीनियरिंग; रिटर तथा पैकेट : हाई वे इंजीनियरिंग; ह्यू ग जोन्स: ज्यॉमेट्रिकल ड़िजाइन ऑव मॉडर्न हाईवेज़; वुड्स हाई वे इंजीनियरिंग हैंडबुक (मैकग्रा हिल बुक कंपनी द्वारा प्रकाशित)। (जगदीश मित्र त्रेहन)

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चौराहा (या सड़कसंगम)


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