चेकोस्लोवाकिया

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चेकोस्लोवाकिया (Czechoslovakia) स्थिति : 49 0 उ.अ. तथा 17 0 पू.दे.। यूरोप महादेश के मध्यवर्ती देश चेकोस्लोवाकिया का निर्माण सन्‌ 1918 ई. में प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति पर, आस्ट्रिया हंगरी साम्राज्य के विघटन के परिणामस्वरूप हुआ था। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात्‌ इसका रूथेन (Ruthane) क्षेत्र, जो लगभग 13,000 वर्ग किमी. है, 1945 की संधि के अनुसार रूस के अधिकार में चला गया। इसके अतिरिक्त देश की सीमाओं में और कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ।

इसका क्षेत्रफल 1,27,860 वर्ग किमी. है। इसका विस्तार पश्चिम में बावेरिया से लेकर पूर्व में यूक्रेन तक उत्तर-दक्षिण की अपेक्षा बहुत ही अधिक है। सन्‌ 1949 में प्रशासन क्षेत्रों का पुनर्गठन किया गया। फलत: स्लोवाकिया, मोरेविया, साइलीज़ा और बोहीमिया के तत्कालीन प्रांतों के स्थान पर 19 प्रशासनिक क्षेत्रों का निर्माण हुआ।

प्राकृतिक दशा  चेकोस्लोवाकिया के तीन स्पष्ट भूभाग हैं :

1. पश्चिम में बोहीमिया का पठारी भाग है, जो चारों और पर्वतश्रेणियों से घिरा है। यद्यपि ये श्रेणियाँ कहीं कहीं 5,000 फुट से भी अधिक ऊँची हैं, तथापि अधिकांश भाग 1,500 फुट से नीचा है। दक्षिणपश्चिम में बोहीमियन फरिस्ट पर्वत है, जिसके शिखर 4,500 फुट से अधिक ऊँचे हैं। उत्तर-पश्चिम में और (Ore) पर्वत है, जिसे एट्सं गेबिर्गे (Erz Gebirge) भी कहते हें। यह मध्यवर्ती पठार की ओर अधिक ढालू है और जर्मनी की ओर कम। एल्बे नदी इस पर्वतावृत पठारीय बेसिन का संपूर्ण जल अपनी सहायक नदियों से लेकर उत्तर पश्चिम दिशा में जर्मनी में प्रवेश करती है। उत्तर-पूर्व में सूडीटीज (Sudetes) पर्वतश्रेणियाँ हैं, जो बोहीमिया को पोलैंड से अलग करती हैं। इनकी उच्चतम श्रृंखला जाएंट (Giant) पर्वत है, जिसे रीज़ेनगेबिर्गे (Riesengebirge) भी कहते हैं, कहीं कहीं 5,400 फुट से अधिक ऊँची हैं। मोरेवियन पर्वत, जो दक्षिण-पूर्व में स्थित है, कोई विशेष ऊँचा नहीं है। इसका उच्चतम शिखर केवल 2,739 फुट ऊँचा है।

2. बोहीमिया के पूर्व देश के मध्यवर्ती भाग में मोरेविया का मैदान है, जो विशेष रूप से डैन्यूब नदी की सहायक मारावा का प्रवाहक्षेत्र है। यह दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर फैला हुआ है। इसके मध्यवर्ती भाग से ऊँचाई पश्चिम में बोहीमिया के पर्वतों की ओर धीरे धीरे बढ़ती है, परंतु पूर्व के कार्पेथियन पर्वतों की ओर तीव्र बढ़ाव है। उत्तर में सूडीटिज़ एवं कार्पेथियन पर्वत के मध्य मोरेवियन द्वार है, जो कुछ ही मील चौड़ा है। इससे होकर दक्षिण के डैन्यूब के मैदान से उत्तरी साइलीज़ा मैदान में जाने का महत्वपूर्ण मार्ग है।

3. स्लोवाकिया पर्वतीय क्षेत्र  यह मुख्यत: कार्पेथियन श्रृंखलाओं का पश्चिमी भाग है। इसमें पश्चिमी बेस्किड्ज़ (Beskids) और टाट्रा पर्वत (Tatra mt.) की वनाच्छादित श्रेणियाँ संमिलित हैं। हाई टाट्रा अधिक ऊँचा है ओर उच्चतम शिखर 8,743 फुट है। इसके दक्षिण निम्न टाट्रा पर्वत हैं, तत्पश्चात्‌ स्लोवकियन पर्वत है। ये श्रेणियाँ विशेष रूप से पश्चिम से पूर्व को फैली हैं और उनके मध्य चौड़ी घाटियाँ हैं। दक्षिण क्षेत्र में ढाल विशेष रूप से दक्षिण की ओर है, जहाँ डैन्यूव नदी सुदूर तक देश की सीमा निर्धारित करती है।

आर्थिक अवस्था  चेकोस्लोवाकिया धनी राष्ट्र है और अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये अधिकांश वस्तुएँ देश में ही उत्पन्न करता है। इसके अतिरिक्त चीनी, छोटे मोटे कल पुर्जे, इंजन, विद्युत्‌ टरबाइन के सामान और अन्य विविध प्रकार की छोटी मोटी वस्तुएँ, जैसे पेंसिल आदि, निर्यात भी करता है।

देश का सबसे उन्नतिशील भाग बोहीमिया है, जो कृषि और उद्योग दोनों की दृष्टि से बढ़ा हुआ है। एल्बे नदी की घाटी, विशेषकर प्राग (Prague) के उत्तर-पूर्व का क्षेत्र, जो लटमिरजित्से (Litomerice) नगर के चारों ओर फैला हुआ है, अधिक उपजाऊ है। वलटावा (Vhava) नदी की घाटी दूसरा महत्वपूर्ण उपजाऊ क्षेत्र है। बोहीमिया के इस मध्यवर्ती भाग की जलवायु ग्रीष्मकाल में साधारण गरम और शीतकाल में अधिक ठंढी होती है। प्राग में लगभग 19  वर्षा होती है, जो गेहूँ, तंबाकू, चुकंदर आदि के अनुकूल है। चुकंदर बड़ी मात्रा में उपजाई जाती है।

पिल्जेन (Piljen) और प्राग के समीपवर्ती क्लैडनो (Kladno) कोयला क्षेत्र से लगभग 40 लाख टन कोयला प्रति वर्ष निकाला जाता है। प्राग के दक्षिण-पश्चिम की सिल्यूरियन चट्टानों में सोना, चाँदी और लोहे के खनिज मिलते हैं। यहाँ के खनिज पदार्थों और साइलीज़ा के कोयला, अथवा स्वेडन के लोहे के आयात पर आधारित धातु उद्योग, पिल्ज़ेन से प्राग तक उन्नत कर गए हैं। लोहे की भट्ठी और इस्पात के कारखाने, तामचीनी (enamel) की वस्तुएँ, लोहे की चादरें और विशेष रूप से स्कोडा (skode) के यंत्र रेल के इंजिन तथा पटरियाँ, बिजली के यंत्र, चीनी और काच के बरतन आदि उद्योग धंधों ने इस क्षेत्र को बृहत्‌ औद्योगिक केंद्र बना दिया है। पर्वतीय क्षेत्र के टेप्लित्से (Teplice) नगर में साधारण काच और मणिभ काच (crystal glass) बनाने के प्रमुख कारखाने हैं तथा कॉमटॉफ (Chomutov) नगर में लोहे और इस्पात के कारखाने हैं। उस्ती (Usti) में काच, कपड़ा और यंत्र बनाने के उद्योग हैं। सूडीटीज़ पर्वतीय क्षेत्र के लिबेरेट्स (Liberec) नगर में सूती कपड़ा उद्योग, ट्रूट्नेव (Trutnev) में लिनेन, और येब्लोनेक (Yablonec) में रंगीन काच और मणिभ काच बनाने के विश्वप्रसिद्ध कारखाने हैं। ब्यडेजोविस (Budejovice) में मृत्तिकाशिल्प (ceramic) और पेंसिल बनाने के उद्योग हैं।

मोरेविया का मैदान बहुत ही उपजाऊ है ओर कृषि के लिये प्रसिद्ध है। यहाँ की मुख्य उपज चुकंदर, जौ, अंगूर, गेहूँ, मक्का, राई तथा चारा है और मवेशी तथा सुअर भी पाले जाते हैं। यहाँ के उत्तरी सीमावर्ती कोयला क्षेत्र में मॉराफस्का ऑस्त्रावा (Moravska Ostrava) और विट्कोविस (Vitkovice) औद्योगिक नगर है, जहाँ इस्पात की भट्ठियाँ तथा कारखाने उन्नति कर गए हैं। यहाँ भारी उद्योग धंधे और रयासन उद्योग दोनों ही मुख्य हैं। इस मैदान का सबसे बड़ा नगर बर्नो (Brno) है, जो देश का कपड़ा बनाने का बृहत्तम केंद्र हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ लोहे की वस्तुएँ, आटा पीसने, शराब बनाने तथा अस्त्र शस्त्र तैयार कने के उद्योग-विकसित हो गए हैं।

स्लोवाकिया पर्वतीय भाग होने के अतिरिक्त बहुत समय तक हंगरी के अधीन रहा और यही कारण है कि यहाँ पर न तो कृषि ही उन्नति पर है और न उद्योगों का ही कोई विशेष महत्व है। यह देश का सबसे पिछड़ा हुआ भाग है। ब्रैटिस्लाव (Eratislava) अथवा प्रेस्बर्ग डैन्यूव नदी पर मुख्य बंदरगाह है।

चेकोस्लोवाकिया आर्थिक दृष्टि से संतुलित देश है। कार्यरत जनसंख्या का 38 कृषि में तथा 37 उद्योंगों में लगा है यहाँ की जनसंख्या 1,37,41,529 (1961) थी, जिनमें लगभग 96,28,092 चेक और 41,13,437 स्लाव थे। प्राग यहाँ की राजधानी है जिसकी जनसंख्या 9,98,493 (1961) थी। (आ.स्व.जौ.)

चेक और स्लोवाकी यहाँ की दो मुख्य भाषाएँ हैं। वैसे मगयार, पोलिश, (polish) रुथेनियाई (Ruthenian), यीदी (yiddish) और जर्मन अल्पस्ख्याओं की भाषाएँ हैं। लगभग तीन चौथाई निवासी रोमन कैथोलिक संप्रदाय के हैं। शेष प्रोटेस्टेंट, यहूदी और चेकोस्लोवाकिया चर्च के हैं।

इतिहास 


5वीं शताब्दी के आसपास स्लावी (Slavic) जातियाँ विस्चुला घाटी से चलकर चेकोस्लोवाकिया की धरती पर बसीं। 7वीं शताब्दी में वहाँ राजनीतिक चेतना का प्रादुर्भाव हुआ। 10वीं शताब्दी में मगयार और जर्मन जातियों के आक्रमणों ने चेकोस्लोवाकिया का इतिहास ही बदल दिया। इसी समय ये लोग स्लोवाक तथा बोहेमियामोराविया दो भागों में बँट गए। 14वीं शताब्दी में लक्समबर्ग में बोहेमियन राज्य स्थापित हुआ, और प्रेग राजधानी बना। 15वीं, 16वीं और 17वीं शताब्दियों में हुशाई आंदोलन चला जो राजनीतिक धार्मिक आंदोलन था।

1526 में बोहेमिया में हब्सबर्ग राज्य की स्थापना हुई। लेकिन फ्रांसीसी क्रांति ने इन नवनिर्मित प्रदेशों में जागरण उत्पन्न कर दिया था, यही जागरण आगे चलकर चेकोस्लोवाकिया के निर्माण में सहायक बना।

स्लावी (Slavic) लगभग हजार वर्ष तक हंगरी के शासन में रहे। 19वीं शताब्दी में उनके साहित्यिक, धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्रों में जागृति हुई। इस जागरण ने उनमें राष्ट्रीयता की प्रखर चेतना भर दी।

1918 में हब्सबर्ग राज्य की समाप्ति के साथ चेक, स्लावी, जर्मन रुथेनियाई, हंगेरियाई और पोली (poles) जातियों ने मिलकर चेकोस्लोवाकिय का निर्माण किया। गणराज्य का जो नया संविधान बना, उसमें नागरिकों के बीच जाति, धर्म, राजनीतिक संबंधों आदि के आधार पर कोई भेद नहीं रखा गया।

द्वितीय विश्वयुद्ध के समय विएना संमेलन के अनुसार चेकोस्लोवाकिया की बहुत सी भूमि हंगरी में मिल गई। 1939 में हिटलर ने बोहेमिया और मोराविया को अपने अधिकार में ले लिया। 1945 तक ये दोनों प्रदेश जर्मनी द्वारा शासित रहे। डा. जोसेफ तीसो नामक कैथोलिक नेता ने स्लोवाकिया प्रदेश को स्वतंत्र राज्य बनाने के लिये हिटलर से समझौता किया। 1945 तक स्लोवाक प्रदेश हिटलर द्वारा रक्षित रहा। चेकोस्लोवाकिया का पूर्वी भाग कापूथे रुथानिया 1939 से हंगरी के अधिकार में था। विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद यह रूस का भाग हो गया।

राष्ट्रपति एडुअर्ड बेने अक्टूबर, 1938 में पद से त्यागपत्र देकर ब्रिटेन चला गया जहौं उसने निर्वासित चेकोस्लोवाक सरकार (चेकोस्लोवाक गवर्नमेंट इन एक्जाइल) नामक संघ गठित किया। बेने ने 1943 में रूस से संधि की। मई, 1945 में जब चेकोस्लोवाकिया स्वतंत्र हुआ इंग्लैंड की सरकार ने वहाँ के साम्यवादी नेताओं के साथ कोसिक समझौता (Kosic Agreement) किया। फरवरी, 1948 में साम्यवादियों ने रक्तहीन क्रांति द्वारा शासन पर अधिकार कर लिया। उसी वर्ष गणराज्य का संविधान, चेकोस्लोवाकिया में लागू हुआ। वर्तमान समाजवादी संविधान 1960 में निर्मित हुआ।

1948 के पश्चात्‌ राष्ट्र ने उद्योगीकरण की दिशा में तीव्रता से प्रगति की है। व्यापार के राष्ट्रीकरण और सामूहिक कृषियोजना आदि में सरकार ने व्यक्तिगत उद्योगों को समाप्त कर दिया है।

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संदर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
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