चुनार

Submitted by Hindi on Thu, 08/11/2011 - 15:25
चुनार दक्षिण-पूर्व उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर जिले में मिर्जापुर नगर से 20 मील पूर्व और वाराणसी से लगभग 24 मील दक्षिण-पश्चिम प्रसिद्ध तहसील तथा उपनगर है। यहाँ की जनसंख्या 8,904 (1961) थी जो अब 10,000 से अधिक हो गई है। यह गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर बसा है। नदी के ठीक किनारे पर प्रसिद्ध ऐतिहासिक किला है (दे. दुर्ग) जो एक समय हिंदू शक्ति का केंद्र था। हिंदू काल के भवनों के अवशेष अभी तक इस किले में हैं, जिनमें महत्वपूर्ण चित्र अंकित हैं। किले में मुगलों के मकबरे भी हैं। मुगल बादशाह हुमायूँ और अफगान सरदार शेरशाह के बीच हुए युद्धों में इस किले का विशेष महत्व रहा है। 1539 ई. में शेरशाह ने इसपर अधिकार कर लिया, फिर अकबर के शासनकाल में 1575 ई. में इसपर पुन: मुगलों का अधिकार हो गया। 18वीं शताब्दी में यह किला अवध के नवाब के अधिकार में रहा, जिनसे तीव्र और दीर्घकालीन अवरोध के बाद 1763-64 में इस को अंग्रेजों ने जेनरल कार्नाक के सेनापतित्व में छीन लिया। इसके बाद सितंबर, 1781 में इसके संबध में एक संधिपत्र पर अवध के नवाब तथा हेंस्टिंग्ज ने हस्ताक्षर किए। कंपनी के शासनकाल में सीमा पर स्थित होने के कारण काफी समय तक इसका सैनिक महत्व बना रहा। वारेन हेस्टिंग्ज का यह अत्यंत प्रिय निवासस्थान था। कंपनी ने चुनार का उपयोग अपन सेनाओं के वृद्ध तथा रोगी सैनिकों को बसाने के लिये किया था। यूरोपीय लोगों का निवासस्थान होने के चिह्न अभी तक कब्रगाह और गिरजाघर के रूप में वर्तमान हैं।

विंध्याचल पर्वत की गोद में बसे होने के कारण चुनार में पत्थर, और पत्थर के इमारती सामान का प्रमुख उद्योग है। चुनार के मिट्टी के खिलौने, मूर्तियाँ और वरतन सस्ते, लाख की पालिश के कारण अत्यत चमकदार और सुंदर होते हैं। यहाँ चना, चावल, गेहूँ, तेलहन और जौ की मंडी है। वाराणसी से मिर्जापुर जानेवाली बसों के लिये यह अच्छा स्टेशन है। चुर्क सीमेंट फैक्टरी के लिये यहाँ से रेलवे लाइन जाती है। चुनार के पास अनेक रम्य और प्राकृतिक दृश्यों के स्थान हैं जहाँ सैर सपाटे के लिये लोग आते रहते हैं। (कृष्ण मोहन गुप्त)

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