चुंबक रसायन

Submitted by Hindi on Thu, 08/11/2011 - 15:22
चुंबक रसायन (Magneto-chemistry) तीव्र चुंबकीय क्षेत्र में स्थित काच के एक टुकड़े द्वारा प्रकाश की किरणावली के ध्रुवण (polarisation) का अध्ययन करते समय माइकेल फैराडे (Machael Faraday) ने सन्‌ 1845 में यह ज्ञात किया कि काच का चुंबकत्व लोहे के चुंबकत्व के बिल्कुल विपरीत था। फलस्वरूप उसने चुंबक रसायन की नींव डाली, जिसको उसने विषमचुंबकत्व (diamagnetism) कहा। उसने यह भी बतलाया कि प्रत्येक रासायनिक पदार्थ में चुंबकीय गुण होता है, चाहे वह विषम चुंबकत्व हो, समचुंबकत्व (paramagnetism) हो, या लोह चुंबकत्व (ferromagnetism) हो। इसके बाद इस क्षेत्र में क्यूरी (Curie), पैस्केल (Pascal) तथा होंडा (Honda) ने प्रायोगिक एवं लैंगेविन (Langevin) ने सैद्धांतिक विकास किए।

चुंबकीय प्रवृत्ति (Magnetic Susceptibility) 


यह रसायनज्ञों के लिये एक आवश्यक संख्या है, जिसका संबंध चुंबकशीलता (magnetic permeability) चुं ( ) से निम्नलिखित समीकरण द्वारा स्पष्ट है : चुं 1 4 घ सु (  1 4 p x)

जहाँ घ ( ) पदार्थ का घनत्व है और सु (x) उसकी भारचुंबकशीलता (mass susceptibility) है। समचुंबकीय तथा लोहचुंबकीय पदार्थो का चुं ( ) एक से अधिक होता है और विषमचुंबकीय पदार्थों के लिय एक से कम। भार-चुंबकशीलता की नाप ग्वाय (Gouy) विधि से की जा सकती है, जिसमें पदार्थ की बेलनाकार आकृति रासायनिक तुला की एक भुजा से इस प्रकार लटकाई जाती है कि बेलन का अक्ष (axis) चुंबकीय क्षेत्र से लंबवत्‌ रहे और उसका एक सिरा विद्युच्चुंबक के ध्रुवों के बीच में हो तथा दूसरा सिरा लगभग शून्य क्षेत्र में। चुंबकीय क्षेत्र में लिए गए पदार्थ के भार और उसके सधारण भार का जो अंतर होगा, वह चुंबकशीलता की नाप होगी। यह विधि ठोस तथा द्रव दोनों प्रकार के पदार्थों के लिये उपयुक्त और बड़ी सरल है। दूसरी विधि क्यूरी तथा शेन्व्यो (Curie and Chenveau) की है, जिसमें ऐंठन तुला (torsion balance) का उपयोग करते हैं।

तत्वों तथा यौगिकों की चुंबकशीलता 


अक्रिय गैसों (inertgases) तथा ऑक्सीजन को छोड़कर लगभग सभी अधातुएँ विषमचुंबकीय हैं। गंधक, सिलीनियम तथा टेल्यूरियम साधारण ताप पर तो विषमचुंबकीय हैं पर इनके वाष्प समचुंबकीय। उपसमूह अ (A) के तत्व अध्कितर समचुंबकीय तथा उपसमूह ब (B) के विषम चुंबकीय होते हैं। तत्वों के अपर रूपों के चुंबकीय गुणों में काफी विभिन्नता होती है। किसी पदार्थ की शुद्धता का यथार्थ मापन चुंबकीय प्रवृत्ति के आधार पर किया जा सकता है।

पैस्केल ने कार्बनिक यौगिकों के चुंबकत्व का अध्ययन करके उनकी रचना के संबंध में पर्याप्त अनुसंधान किया। उसने बताया कि यौगिकों की आणविक प्रवृत्ति (molecular susceptibility) संयोज्य गुण (additive property) है और उसने कई परमाणुओं तथा अणुओं की प्रवृत्ति की गणना की। भटनागर (Bhatnagar) ने चुंबक रसायन का प्रयोग अधिशोषण, उत्प्रेरण तथा बहुलीकरण (Polymerisation) के अध्ययन में किया। पोरफाइरिन (porphyrin) आदि जटिल यौगिकों का भी चुंबकीय अध्ययन किया गया है।

सं.ग्रं. : पी.डब्ल्यू. सैलवुड : मैगनेटो केमिस्ट्री, इंटर साइंस, न्यूयार्क; एस.एस.भटनागर तथा के.सन.माथुर : फिज़िकल प्रिंसिपल्स ऐंड ऐप्लिकेश्न ऑव मैग्नेनेटो कैमिस्ट्री; डब्ल्यू.क्लेम : मैगनेटोसेमी। (राम-दास तिवारी)

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