चूना

Submitted by Hindi on Thu, 08/11/2011 - 15:29
चूना कंक्रीट अच्छी तरह श्रेणीबद्ध किए हुए सूक्ष्म और स्थूल राशियों का समूह है, जिसमें जोड़नेवाला पदार्थ चूना रहता है। स्थूल राशि में तोड़े हुए पत्थर, तोड़ी हुई ईटें या रोड़े हाते हैं, जिनके विस्तार 3/16  से 1.5'' तक के होते हैं। सूक्ष्म राशि में ऐसे कण होते हैं जो 3/16  अक्षिवाली चलनी से छन जाएँ पर 100 अक्षि प्रति वर्ग इंच वाली चलनी में न छने। ये राशियाँ बालू, दले पत्थर या सुर्खी की होती हैं।

स्थूल राशि, सूक्ष्म राशि और चूने को क्षैतिज स्तर में रखकर सधरणतया चूना कंक्रीट बनाया जाता है। प्रत्येक स्तर की मोटाई आवश्यक अनुपात के अनुसार रखी जाती है। आवश्यक पानी डालकर थोड़ी थोड़ी मात्रा में उन्हें मिलाया जाता है।

चूना कंक्रीट का उपयोग नींव डालने, पुश्ता बाँधने और धन (mass) कंक्रीट बनाने में बहुत होता है।

भवनों की नींव डालने में चूना कंक्रीट व्यापकता से उपयोग में आता है, यद्यपि इसका स्थान पतला सीमेंट कंक्रीट ले रहा है, क्योंकि सीमेंट सुगमता से प्राप्य है। इसके सघन होने में कम समय लगता है और खर्च भी कम पड़ता है। लगभग 8  मोटाई की कंक्रीट रखी जाती है, जिसे 10-12 पाउंड वाली दुरमुस से पीटकर 6  तक सघन कर देते हैं। दरमुस का क्षेत्रफल लगभग 50 वर्ग इंच और आयताकार होना चाहिए, जिससे किनारों की पिटाई ठीक से हो सके। पिटाई समाप्त हाने पर गारा ऊपर आ जाना चाहिए। यदि गारा ऊपरी सतह पर नहीं आता, तो उससे पानी की कमी मालूम होती है और तब स्तर फिर से रखना चाहिए। दुरमुस से पीटते समय और पानी नहीं देना चाहिए, केवल ग्रीष्मकाल में उद्वाष्पण से पानी की क्षति की पूर्ति के लिये पानी दे सकते हैं। जब ईटं की गिट्टी का प्रयोग हो, तब पीटते समय पानी छिड़का जा सकता है।

पुश्ते के लिये कंक्रीट की मोटाई 5  -10  रहती है। 20 में 1 की ढाल पानी बह जाने के लिय रखी जाती है। हाथ की थापी से, पिटाई करते समय कुछ अनुपात में चूने के पानी में गुड़ और बेल (फल) का विलयन मिलाकर छिड़का जाता है। इससे छत में जलरोधकता आ जाती है। फिर अंत में कुछ स्वच्छ सीमेंट छिड़क देते हैं ताकि तल ऐसा कठोर हो जाय कि उसमें जल प्रविष्ट न हो सके। (जय कृन)

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चूना


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