1 - उड़ीसा की विशालतम नाशपाती के आकार की चिल्का झील पुरी के दक्षिण में स्थित है। अपने द्वीप खंडों तथा लगभग 158 जाति के प्रवासी पक्षियों के कारण इस झील का सौंदर्य द्विगुणित हो मन प्राण को बांध लेता है। ‘डोटेड’ में फैली इस छिछली झील की लंबाई 70 किलोमीटर तथा चौड़ाई 52 किलोमीटर है। कवियों द्वारा इसे स्वप्नों की नगरी का दर्जा दिया जाता है। झील में 153 तरह की मछलियां-घोंघे आदि हैं। सकरी सी बालू की ढेरी इसे समुद्र से पृथक कर देती है। झील के पास रेलवे लाइन तथा बलखाती-लहराती सड़क का अद्भुत दृश्य दर्शकों को सम्मोहित कर देता है। भुवनेश्वर से झील के दक्षिणी तट रम्भा तक की दूरी 130 कि.मी. है जगंधा पर स्थित अशोक चट्टान भी दर्शनीय है। औसतन तीन मीटर गहरी यह झील मौसम के अनुकूल 800 से लेकर 1,200 वर्ग कि.मी. तक घेराव रखती है। समुद्र की तरफ से एक संकरे मार्ग से लहरों का प्रवेश प्रायः इस झील में होता रहता है। चिल्का को देश की सबसे बड़ी झील कहा जाता है। मार्च में तार-तारिणी का मेला जो गर्मियों की ऋतु का उद्धोषक है इस झील के किनारे मनाया जाता है। कोलकाता-चेन्नई रेलमार्ग पर चिल्का, खल्लीकोट, रम्भा और बालुगांव नामक स्थानों से चिल्का झील देखी जा सकती है। बालुगांव इसका निकटतम रेलवे स्टेशन है। इस झील के पास जाड़े के दिनों में प्रवासी पक्षी आकर डेरा जमाते हैं।
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चिल्का झील
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2 - चिल्का झील
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सबसे बड़ी झीलएक ही जगह तरह-तरह के नजारे, कभी आंखों को खूबसूरत लगे, कभी मन को गुदगुदाएं तो कभी तन-मन को रोमांच से भर दें। दूर तलक नजर जाए और नजारों को समेटते हुए पास लाकर मन को तर कर दे, कुछ ऐसा ही दृश्य है यहां का। आखिर यह एशिया की सबसे बड़ी झील होने का तमगा जो पा चुकी है। उड़ीसा की इस ङील का नाम है चिलिका झील।हिमालय क्षेत्र की तरह प्राकृतिक सौंदर्य से भरे ऐसे नजारे उड़ीसा में भी कम नहीं। खासकर जब आप समुद्र से लगे उड़ीसा के तटों की खूबसूरती को निहारना चाहें और पहुंच जाएं चिलिका झील। यूं तो यह एक झील है, लेकिन क्षेत्रफल इतना बड़ा कि इसके दूसरे किनारे को ढूंढ़ने के लिए आपको झील में उतरना पड़े यानी बोटिंग से इसकी थाह ले सकते हैं। आखिर ऐसा क्यों न हो, जब क्षेत्रफल 11 सौ वर्ग किलोमीटर हो। कहीं समुद्र के नीले पानी की रंगत तो कहीं हरे-भरे टापुओं की हरियाली का असर। बीच में जहां-तहां मछुआरों की बड़ी-बड़ी नावें भी झील के सौंदर्य में चार चांद लगाती नजर आती हैं। लाखों मछुआरों को रोजगार से जोड़ने वाली यह झील पर्यटकों को भी खूब आकर्षित करती है। पर्यटकों के बीच डॉलफिन के करतब लोकप्रिय हैं, वहीं ङींगा व कई ऐसी मछलियां इन पर्यटकों के लंच और डिनर में प्रमुखता से शामिल होती हैं। चिलिका के आइसलैंड भी पर्यटकों में खासे लोकप्रिय हैं। आइसलैंड की अपनी-अपनी विशेषताओं के कारण झील शोधकर्ताओं को भी अपनी ओर खींचती रही है। बोटिंग आदि यहां के आकर्षणों में प्रमुखता से शामिल है। चार सीटों वाली बोट से लेकर 50 सीटों वाली बोट तक यहां उपलब्ध हैं। उड़ीसा टूरिज्म की ओर से यहां ठहरने की भी काफी अच्छी व्यवस्था की गई है। भुवनेश्वर से लगभग 104 किमी की दूरी पर स्थित चिलिका को एन्जॉय करने के लिए बेहतरीन समय अक्तूबर से जून के बीच होता है।
3 - चिल्का झील
उड़ीसा प्रदेश के समुद्री अप्रवाही जल में बनी एक झील है। यह भारत की सबसे बड़ी समुद्री झील है। इसको चिलिका झील के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अनूप है एवं उड़ीसा के तटीय भाग में नाशपाती की आकृति में पुरी जिले में स्थित है। यह 70 किलोमीटर लम्बी तथा 30 किलोमीटर चौड़ी है। यह समुद्र का ही एक भाग है जो महानदी द्वारा लायी गई मिट्टी के जमा हो जाने से समुद्र से अलग होकर एक छीछली झील के रूप में हो गया है। दिसम्बर से जून तक इस झील का जल खारा रहता है किन्तु वर्षा ऋतु में इसका जल मीठा हो जाता है। इसकी औसत गहराई 3 मीटर है।
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