सिंडर शंकुः
ज्वालामुखी द्वार के चारों और उसके बहिःक्षिप्त मलवे (भस्म तथा सिंडर) के संचयन से बनी एक शंकुवत् पहाड़ी।
वह शंकु जो उद्गार के समय बाहर निकले मलबे द्वारा किसी ज्वालामुखी-मुख के चारों ओर निर्मित होता है। यह मलबा (debris) उस छोटे-छोटे खंडित पदार्थ के रूप में होता है, जो व्यास में 3-5 मि.मी. होते हैं।
अंगार शंकु
किसी ज्वालामुखी के केंद्रीय ज्वालामुखी विवर (क्रेटर) से उछाला हुआ मलबा या राख एक पर्वत का निर्माण करते हैं।