देशभर में कोविड-19 महामारी तेजी से फैल रही है । अब कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही हैं । इस संक्रमण का असर देश के किसानों और फसलों पर हो रहा हैं इस वक्त ज्यादतर हिस्सों में फसल पककर तैयार हो चुकी हैं और कटने को तैयार हैं । हालांकि, संक्रमण के डर और लॉकडाउन के चलते किसानों को अपनी फसल काटने में अनेक समस्याएं उत्पन हो रही हैं ।
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किसानों की फसल पककर तैयार है, लेकिन 21 दिनों के लॉकडाउन की वजह से कृषि मजदूर नहीं मिल रहे हैं ।
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दरअसल थ्रेसिंग मशीने ज्यादतर गेंहू कटाई के सीजन में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे इलाको से बुंदेलखण्ड क्षेत्र में आती हैं और किराये पर फसल निकालने की काम करती हैं लेकिन लॉकडाउन के कारण थ्रेसिंग मशीने समय से नही पहुंच सका है।
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फसल बर्बाद होने से बचाने के लिए किसान खुद ही फसल काटने और ढुलाई करने की कोशिश कर रहे हैं ।
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फसल कटाई के बाद इसका भण्डारण करने और बेचने मे भी समस्या खड़ी हो रही हैं।
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इस वक्त किसानों को फसल मंडी तक ले जाने के लिए परिवहन के साधन भी नही मिल रहा है।
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ऐसे में किसान फसल को सीधे खेत से बेचने के विकल्प ढूंढ रहे है, ताकि उनके पास कुछ पैसा आ सके ।
ग्राम- पठारी, ब्लाक- बबीना, जिला- झांसी ( उत्तर प्रदेश ) मे गेहूं
यहां के प्रधान कौशल नायक व अन्य किसान कहते हैं की ये मौसम गेहूं और चना जैसी फसलों का हैं, जबकी सरसों के लिये फसलों काटने का मौसम अभी पूरा हुआ है। मजदूरों की अनुपस्थ्ति में किसान अपने परिवार और पडोसियों की मदद से फसल काटने की कोशिश कर रहे है। लेकिन परिवहन की सुविधा नही होने के चलते वे फसल को बेंच नहीं पा रहे हैं।
ग्राम- नया गांव, ब्लाक- बबीना, जिला- झांसी ( उत्तर प्रदेश ) मे पशुपालन
यहां के निवासी राजेश राय एव अन्य पशुपालकों कं कहना है की पशुचारे जैसे खली, चैकर आदि के दाम मे भी स्थानीय स्तर पर 200 से 300 रूपये प्रति बोरी का उछाल आया है खल की जो बोरी पहले 1400 रूपये की थी वह अब 1600 रूपये की हो गई हैं, जबकी जो चोकर 850 रूपये थी वह अब 1100 रूपये में मिल रही हैं। जबकी दूध की दामों में कमी हुयी हैं । जिससे किसानों को आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा हैं ।
जिला-झांसी ( उत्तर प्रदेश ) मे मण्डी की बन्द से किसानों पर कहर
इस बार किसानों की कमर टूट गई है। फूल गोभी, पत्ता गोभी, बैगन, भिण्डी, खिरा, कद्दू की फसले खेतों-2 में ही सूख रही है। सब्जी मंडियों तक जाने वाले रास्ते बंद होने के कारण किसानों ने सब्जियां खेतों में ही छोड़ दी हें। जिससे जहा कहीं वह सड़ गई हैं तो सूख रही हैं। झांसी से सब्जिया आगरा, बांदा, महोबा, ग्वालियर, और जबलपुर जाती थीं लेकिन वाहन न मिल पाने के कारण सब्जियों की सप्लाई दूसरे जिलों को नहीं हो पा रही है। व्यपारी भी तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। जिससे किसानों को आर्थिक समस्याएं झेलना पड़ रहा हैं।
बिक्री और किमतों में कमी आने से खराब हो रही हैं सब्जी की फसलें
डेयरी चलाने वाले किसान हुए बेहाल:
मिठाई की दुकानें और होटल बंद होने से दुध की मांग में बेतहाशा कमी आई हैं। पहले जो दूध 45 से 50 रूपये लीटर बिक जाता था अब उसके बमुश्किल 25 से 30 रूपये लीटर बिक पा रहे हैं । जिसके कारण डेयरी घाटे का सौदा बना हुआ हैं।
लॉकडाउन के बीच किसानों की समस्याओं पर सरकार का खास ध्यानः
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हालाकि, सरकार ने समाजिक दूरी बरतते हुए खेतों में कटाई-मंडाई के काम में मजदूरों को लगाने को छूट दी है, पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने 31 मार्च को एक मशविरा जारी किया, जिसमे कहा गया कि कटाई और मंडाई के काम में मशीनों और उपकरणों का ही अधिक इस्तेमाल करें और मुमकिन हो तो इस काम में परिचित लोगो को ही लगाएं यह सलाह एहतियात के लिए थी।
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किसान बिना किसी रुकावट के कृषि कार्य करे ।
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फसल कटाई से जुड़ी मशीने कंबाइन-हार्वेस्टर आदि एक राज्य से दूसरे राज्य में जा सकेगी ।
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सभी सरकारी मंडीयां, कृषि उत्पादन मंडी समितियां या फिर वे मंडियां जिन्हे राज्य सरकारों ने मान्यता दी हैं, खुलेगी ।
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खाद-बीज और रासायनिक कीटनाशकों की दूकान खुल सकेगी ।
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फार्म मशीनरी, कस्टम हायरींग सेंटर खुलेगे ।
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फसल कटाई और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीद में जुटे लोग एक-दूसरे स्थान पर जा सकेगे ।
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किसानों को पीएम किसान योजना (PM-Kisan Samman Yojna)के तहत दो हजार रुपये की किस्ते मिलने वाली, यह राशि कोरोना संकट के बीच वित्तीय राहत दे रही हैं ।
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प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत केन्द्र सरकार ने लाभार्थी महिलाओं को तीन माह तक गैस सिलिंडर मुफत देने का फैसला किया हैं। इससे कोरोना संकट के बीच वित्तीय राहत मिल रही हैं ।
उपरोक्त सुविधायें सरकार के द्धारा किसानों को दिये जाने से लॉकडाउन के बीच वित्तीय राहत राहत मिल रही हैं तथा अपना कृषि कार्य असानी से कर रहे हैं ।
बुंदेलखंड क्षेत्र में संचालित ICAR-IARI (DST-MRDP) परियोजना के माध्यम से किसानों को कोरोना वायरस से बचाव के लिए सुझावः
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गांव हो या खेत सोशल डिस्टेसिंग ;उचित दूरी- यानि एक दुसरे के बीच न्यूनतम 1 मीटर की दूरी बनाये रखे ।
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खेत में एक साथ ज्यादा मजदूरों को काम में न लगायें ।
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मजदुर, या आप स्वयं एक ही बोतल से पानी न पिए ।
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कार्यरत सभी व्यक्ति/श्रमिकों को सुनिश्चित करना हैं कि वे मास्क पहन कर ही काम करें तथा बीच-बीच में साबुन से हाथ धोते रहें ।
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फसल काटें तो सुखाकर रखें जल्द बेचने की कोशिश न करे, नही तो कम दाम मिलने की संभावना हो सकती हैं ।
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अपने जिले के इमरजेंसी नंबर अपने पास रखे ।
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सबसे जरुरी चीज अपनी सेहत का पूरा ख्याल रखें ।