देवगिरि

Submitted by Hindi on Tue, 08/16/2011 - 11:44
देवगिरि दक्षिण भारत का प्रसिद्ध ऐतिहासिक नगर जो आजकल दौलताबाद के नाम से पुकारा जाता है। आँध्र प्रदेश के औरंगाबाद जिले में 20रू उत्तर अक्षांश तथा 75रू पूर्व देशांतर में स्थित है। भीलम नामक राजा ने इसे 11वीं सदी में बसाया था और उसी काल से दो सौ वर्षों तक हिंदू शासकों ने देवगिरि पर शासन किया। 14वीं सदी से यह नगर मुसलमानों के अधिकार में चला आया। देवगिरि के समीप मुगल सम्राट् औरंगजेब के मरने पर यह जिला औरंगाबाद कहा जाने लगा। मथुरा के यादव कुल से देवगिरि के हिंदू शासक संबंध जोड़ते हैं जिस कारण यहाँ का राजवंश 'यादव' कहलाया। हेमाद्री रचित 'ब्रतखंड' में तथा अभिलेखों के आधार पर ''दृढ़प्रहार'' देवगिरि के यादव वंश का प्रथम ऐतिहासिक पुरुष माना जाता है। भीलम शक्तिशाली नरेश था जिसने होयसल, चोल तथा चालुक्य राज्यों पर सफल आक्रमण किया था। उसके उत्तराधिकारी सिंघण ने इसे साम्राज्य का रूप दे दिया। युद्ध के फलस्वरूप देवगिरि राज्य खानदेश से अनंतपुर (मैसूर) तक तथा पश्चिमी घाट से हैदराबाद तक विस्तृत हो गया।

1३वीं सदी के देवगिरि नरेश कृष्ण का नाम अनेक लेखों में मिलता है। इसने वंश की प्रतिष्ठा की अभिवृद्धि की। कृष्ण के पुत्र रामचंद्र के शासन में खिलजी वंश के सुल्तान अलाउद्दीन ने देवगिरि पर चढ़ाई की थी। अलाउद्दीन यहाँ से असंख्य धन लूटकर ले गया, और उसके सेनापति काफूर रामचंद्र को बंदी बना लिया। कुछ समय पश्चत्‌ रामचंद्र मुक्त कर दिया गया। यही कारण था कि देवगिरि के राज ने तैलंगाना के युद्ध में काफूर को हथियारों की मदद दी थी। शकंरदेव ने सिंहासन पर बैठने (1३12 ई.) के बाद मुसलमानों से शत्रुता बढ़ा ली जिसका फल यह हुआ कि शंकरदेव को हराकर काफूर ने देवगिरि पर अधिकार कर लिया।

देवगिरि का नाम मुहम्मद तुगलक के साथ भी संबधित है। उसने राजधानी दिल्ली से हटाकर देवगिरि (दौलताबाद) में स्थापित की और से फिर दिल्ली वापस किया था। देवगिरि का दुर्ग आज भी दक्षिण भारत में प्रसिद्ध है और स्थानीय क्षत्रिय दुर्ग में स्थापित देवीप्रतिमा की पूजा पुराने ही उत्साह से करते हैं। (बलदेव उपाध्याय)

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संदर्भ
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