डरें नहीं, आरटीआई का इस्तेमाल करें

Submitted by Hindi on Fri, 08/05/2011 - 17:35
कई बार ऐसी खबरें आती रही हैं कि अमुक आदमी को सूचना कानून का इस्तेमाल करने पर धमकी मिली या जेल में ठूंस दिया गया या फर्जी केस में फंसा दिया गया। जाहिर है, सालों से जंग लगी व्यवस्था और सामंती मानसिकता वाली नौकरशाही इस बात को हजम नहीं कर पाती कि कोई आम आदमी उनसे सवाल पूछे। आम आदमी उनकी सत्ता को चुनौती न दे सके या सवाल न पूछ सके, इसलिए ये लोग साम, दाम, दंड, भेद का भी सहारा लेने से भी नहीं चूकते लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं है। हां, थोड़ी समझदारी से काम लेना होगा। चौथी दुनिया ने जो अभियान शुरू किया है वह आपको बताएगा कि ऐसे अधिकारियों से कैसे निपटना है, इनसे क्या पूछना है और कैसे पूछना है। बस, आप सवाल करने से डरें नहीं।

सूचना मिलने के बाद क्या करें।


यह देखा गया है कि सवाल पूछने भर से ही कई बिगड़ी बातें रास्ते पर आने लगती हैं। उदाहरण के लिए, केवल अपनी अर्जी की स्थिति पूछने भर से आपको अपना पासपोर्ट या राशन कार्ड मिल जाता है। यदि आपने आरटीआई से किसी भ्रष्टाचार या गलत कार्य का पर्दाफाश किया है तो आप सतर्कता एजेंसियों या सीबीआई को इस बारे में शिकायत कर सकते हैं। इसके अलावा आप एफआईआर भी करा सकते हैं लेकिन देखा गया है कि सरकार दोषी के विरुद्ध, लगातार शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं करती। यद्यपि कोई चाहे तो सतर्कता एजेंसियों पर भी शिकायत की वर्तमान स्थिति के बारे में आरटीआई के तहत पूछकर दबाव अवश्य बना सकता है। इसके अलावा गलत कार्यों का पर्दाफाश मीडिया के जरिए भी किया जा सकता है। एक बात तय है कि इस प्रकार सूचनाएं मांगना और गलत कामों का पर्दाफाश होने से अधिकारियों में यह स्पष्ट संदेश जाता है कि अमुक क्षेत्र के लोग अधिक सावधान हो गए हैं और भविष्य में इस प्रकार की कोई गलती पूर्व की भांति छुपी नहीं रहेगी।

क्या ऐसे लोगों को निशाना बनाया गया है जिन्होंने आरटीआई का प्रयोग कर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया?
हां, ऐसे कुछ उदाहरण हैं जिनमें लोगों को शारीरिक हानि पहुँचाई गई जब उन्होंने भ्रष्टाचार का बड़े पैमाने पर पर्दाफाश किया लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि प्रार्थी को हमेशा ऐसा भय झेलना ही होगा अपनी शिकायत की स्थिति या मामलों की जानकारी लेने के लिए अर्जी लगाने का अर्थ आ बैल मुझे मार वाली नहीं है। ऐसा तब होता है जब कोई सूचना नौकरशाह- ठेकेदार की मिलीभगत या किसी माफिया का पर्दाफाश करती हो।

तो फिर, मैं आरटीआई का प्रयोग क्यों करूं?
पूरा तंत्र इतना सड़-गल चुका है कि यदि हम सभी अकेले या मिलकर अपना प्रयत्न नहीं करेंगे, तो यह कभी नहीं सुधरेगा। यदि हम ऐसा नहीं करेंगे, तो कौन करेगा? हमें करना है लेकिन हमें ऐसा एक रणनीति बना कर और जोखिम को कम करके करना होगा।

ये रणनीतियां क्या हैं?
आप आगे आएं और किसी भी मुद्दे पर आरटीआई आवेदन दाखिल करें। साधारणतया, कोई आपके ऊपर एकदम हमला नहीं करेगा। पहले वे आपकी खुशामद करेंगे ताकि आप अपना आवेदन वापस ले लें। आप जैसे ही कोई असुविधाजनक आवेदन डालते हैं कोई आपके पास बड़ी विनम्रता के साथ उस आवेदन को वापिस लेने की विनती करने आएगा। आपको उस व्यक्ति की गंभीरता और स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए। यदि आप इसे काफी गंभीर मानते हैं तो अपने 15 मित्रों को भी तुंरत उसी कार्यालय में वही सूचना मांगने के लिए आरटीआई आवेदन डालने को कहें।

बेहतर होगा यदि ये 15 मित्र भारत के विभिन्न भागों से हों। अब, आपके देश भर के 15 मित्रों को डराना किसी के लिए भी मुश्किल होगा। यदि वे 15 में से किसी एक को भी डराते हैं, तो और लोगों से भी अर्जियाँ दाखिल कराएं। आपके मित्र भारत के अन्य हिस्सों से अर्जियाँ डाक से भेज सकते हैं। इसे मीडिया में व्यापक प्रचार दिलाने की कोशिश करें। इसका एक मतलब यह भी है कि आपके पीछे अनेक लोग हैं। इससे यह सुनिश्चित होगा कि आपको वांछित जानकारी मिलेगी व आप जोखिमों को कम कर सकेंगे।

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