द्वारका गुजरात में बड़ौदा के निकट पौराणिक महत्व का एक स्थान और प्रसिद्ध तीर्थ। इसकी गणना भारत के प्रसिद्ध चार धामों (बदरीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम् और जगन्नाथपुरी) में की जाती है। इसके पश्चिम समुद्रजल से भरा रहनेवाला गोमती नामक तालाब है, जिससे इस स्थान का नाम गोमती द्वारका भी है।
यहाँ के मंदिरों में रणछोड़ जी का मंदिर शिल्प की दृष्टि से सर्वोत्कृष्ट है। कथा है कि भगवान् कृष्ण कालयवन के विरुद्ध युद्ध से भागकर द्वारका पहुँचे, इस प्रकार उनका नाम रणछोड़ जी पड़ा। 40 वर्ग फुट लंबा चौड़ा और 140 फुट ऊँचा यह मंदिर दोहरी दीवालों से निर्मित है, इनके बीच परिक्रमा के लिए स्थान छूटा हुआ है। अंदर के फर्श पर सफेद और नीले संगमरमर के टुकड़े कलात्मक ढंग से जुड़े हुए हैं। रणछोड़ जी की मूर्ति में, द्वार के चौखटों आदि में सोने और चाँदी का काम है। इस मंदिर के अतिरिक्त यहाँ त्रिविक्रम कुशेश्वर और शारदा मंदिर हैं।
यहाँ के मंदिरों में रणछोड़ जी का मंदिर शिल्प की दृष्टि से सर्वोत्कृष्ट है। कथा है कि भगवान् कृष्ण कालयवन के विरुद्ध युद्ध से भागकर द्वारका पहुँचे, इस प्रकार उनका नाम रणछोड़ जी पड़ा। 40 वर्ग फुट लंबा चौड़ा और 140 फुट ऊँचा यह मंदिर दोहरी दीवालों से निर्मित है, इनके बीच परिक्रमा के लिए स्थान छूटा हुआ है। अंदर के फर्श पर सफेद और नीले संगमरमर के टुकड़े कलात्मक ढंग से जुड़े हुए हैं। रणछोड़ जी की मूर्ति में, द्वार के चौखटों आदि में सोने और चाँदी का काम है। इस मंदिर के अतिरिक्त यहाँ त्रिविक्रम कुशेश्वर और शारदा मंदिर हैं।
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संदर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
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