'डे जीरो' क्या है (What is ‘Day Zero’)

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/03/2020 - 09:24

'डे जीरो' क्या है (What is ‘Day Zero’)

‘डे ज़ीरो’ का मतलब है कि वह दिन जब किसी शहर का सभी नलकों में पानी आना बंद हो जाता है। और लोगों को पानी का दैनिक कोटा लेने के लिए लाइन में खड़ा होना पड़ता है। शहर के सप्लाई के जितने भी स्टोरेज हैं, सभी खली हो चुके होते हैं। ‘ज़ीरो डे’ का अर्थ उस दिन से है जब शहर के सभी नलों से पानी आना बंद हो जाएगा और शहर में जल की किल्लत होगी। जल की इस कमी के कारण शहर के सभी लोग एक-एक बूंद के लिये संघर्ष करेंगे।

‘डे ज़ीरो’ से तात्पर्य है, वह दिन, जब नगर निगम की पानी की आपूर्ति बंद हो जाएगी। एक तरह से किसी भी शहर में पानी की आपूर्ति के समापन की घोषणा होती है। 

किसी शहर में लागू ‘डे जीरो’ से तात्पर्य ऐसी स्थिति से होता है जब भूमिगत जल का स्तर 13.5 फीसद से भी कम हो जाता है, तब स्थानीय प्रशासन शहर के सभी घरों में पाइप से पानी की सप्लाई बंद करवा देता है। ऐसी स्थिति में नल की टोंटी से एक बूंद भी पानी नहीं निकलता। वहीं, जल उपभोग को सीमित करने के लिए प्रशासन टैंकर के माध्यम से चुनिंदा स्थानों पर जल वितरण कराता है और प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन केवल पच्चीस लीटर पानी दिया जाता है। 

वैसे तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदंडों के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में रोजाना प्रतिव्यक्ति 135 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन ‘डे जीरो’ के दौरान लोगों को केवल पच्चीस लीटर पानी में शौच करना, मुंह धोना, नहाना, पीना और कपड़े धोने जैसे दैनिक कार्य करने पड़ते हैं। हालांकि ‘डे जीरो’ की स्थिति में स्कूलों और अस्पतालों में जरूरत भर की जलापूर्ति नहीं रोकी जाती है। विशेषज्ञों की मानें, तो ‘डे जीरो’ का पहला भुक्तभोगी शहर केपटाउन हुआ है।(1)


'डे जीरो' का मतलब

'डे जीरो' का मतलब है- वह दिन जब पानी की टोंटियों से जल आना बंद हो जाएगा। यदि ऐसा होता है कई शहरों में पानी की जबरदस्त किल्लत हो जाएगी और लोगों का जीना दूभर हो जाएगा। दुनियाभर के 200 शहर और 10 मेट्रो सिटी 'डे जीरो' की ओर बढ़ रहे हैं। इनमें भारत का बेंगलुरु भी शामिल है।(2)

‘डे जीरो’ पर्यावरणीय समस्या

‘डे जीरो’ परिघटना मानव जीवन व समाज के हर पहलू को प्रभावित करेगी और शायद मानव को यह अहसास भी दिलाएगी कि वह अपनी करतूतों का ही फल भोग रहा है! दरअसल, जलवायु परिवर्तन, नगरीकरण-औद्योगीकरण की तीव्र रफ्तार, तालाबों-झीलों का अतिक्रमण, बढ़ता प्रदूषण, बढ़ती आबादी, जल के अति दोहन तथा उसके संरक्षण के प्रति जागरूकता के अभाव ने पूरी दुनिया में प्रतिव्यक्ति जल उपलब्धता को गहरे तौर पर प्रभावित किया है। जल संपदा की घटती मात्रा और गुणवत्ता में निरंतर होते ह्रास की प्रक्रिया मौजूदा समय की प्रमुख पर्यावरणीय समस्या है।(3)

सेंटर फॉर साइंस ऐंड एनवायर्नमेंट द्वारा प्रकाशित पत्रिका ‘डाउन टु अर्थ’ के मुताबिक, इन दिनों दुनिया के दो सौ शहर भीषण जल संकट की चपेट में हैं। इनमें से दस शहर ऐसे हैं जहां ‘डे जीरो’ कभी भी लागू किया जा सकता है। आपको बता दें कि इस रिपोर्ट में बेंगलुरु के अलावा विश्व के अन्य १० शहरों में पानी की कमी के बारे में बताया है। जिसमें बिजींग (चीन), मेक्सिको सिटी (मेक्सिको), सन्ना (यमन), नैरोबी (कैन्या), इस्तांबुल (तुर्की), साव पाउलो (ब्राजील), कराची (पाकिस्तान), बुइनस आइरिस (आर्जेंटीना) और काबुल (अफगानिस्तान) शामिल हैं।

स्रोत : 
(1) जल संकट की वैश्विक चेतावनी, आलेख, सुधीर कुमार, March 29, 2018, जनसत्ता
(2) 'डे जीरो' की ओर बढ़ रहे बेंगलुरु सहित 200 शहर, समाचार, सुधीर कुमार, March 22, 2018, नवभारत टाइम्स
(3) जल संकट की वैश्विक चेतावनी, आलेख, सुधीर कुमार, March 29, 2018, जनसत्ता