धारवाड़

Submitted by Hindi on Wed, 08/17/2011 - 10:12
धारवाड़ 1. जिला, स्थिति : 140 17’ से 150 53’ उ. अ. तथा 740 43’ से 760 2’ पू. दे.। यह मैसूर राज्य में दक्षिणी पठार के पश्चिमी भाग में प्रमुख जिला है। इसका क्षेत्रफल 5,303 वर्ग मील तथा जनसंख्या 19,50,362 (1961) थी। मालप्रभा, तुंगभद्रा, बेनीहाला, वर्दा, धर्मा एवं कुमुद्वती नदियाँ इस जिले में बहती हैं। ये नदियाँ नौगम्य नहीं हैं। जिले के उत्तरी-पूर्वी किनारे पर बलुआ पत्थर, पश्चिम में लैटराइट तथा शेष भाग में नाइस और मणिभ शिस्ट हैं। यहाँ पाई जानेवाली स्फटिशिल स्वर्णमय होने के कारण प्रसिद्ध है। यहाँ कपाट (Kappat) पहाड़ियों में कुछ स्वर्ण मिलता है। कपास इस जिले की प्रमुख उपज है। इसके अतिरिक्त, धान, तिलहन, ज्वार, दाल, एवं बाजरा की भी खेती होती है। जंगलों में सागौन और बाँस मिलते हैं। हुबली तथा धारवाड़ में सूती वस्त्र के कारखाने हैं। बुनाई और धुनाई के कुटीर उद्योग धंधे हैं। रणेबेन्नूर तथा गडग में व्यापारिक मंडियाँ हैं।

यह जिला दक्षिण में राज्य करनेवाले विभिन्न राजवंशों के अधीन रहा है। चालुक्य के आधिपत्य के प्रमाण बहुत अधिक हैं। 14वीं शताब्दी में यह मुसलमानों के अधिकार में चला गया और इसके पश्चात्‌ विजयनगर के नवनिर्मित हिंदू राज्य शासक के अधिकार में आ गया। 1565 ई. में युद्ध में राजा के हारने के पश्चात्‌ 1573 ई. में बीजापुर के सुल्तान के अधिकार में आने से पूर्व तक यह स्वतंत्र रहा। पेशवा, हैदरअली तथा मराठों के अधिकार में रहने के बाद सन्‌ 1817 में पेशवा से ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकार में आया।

2. नगर, स्थिति : 15रू 27फ़ उ.अ. तथा 75रू 1फ़ पू.दे.। यह नगर अपने नाम की तहसील एवं जिले का मुख्यालय है। यहाँ की जनसंख्या 77,163 (1961) थी। यहाँ किला ऊँची नीची भमि पर स्थित है। कपास, इमारती लकड़ी और अनाज का व्यापार होता है। धान कूटने, तेल निकालने और वस्त्र बनाने के कारखाने हैं। बीड़ी, सुगंधित पदार्थ और चूड़ियों के कुटीर उद्योग हैं। कर्नाटक कालेज एवं वन-प्रशिक्षण-महाविद्यालय नामक शिक्षा सस्थाएँ उल्लेखनीय हैं।(कृष्णमोहन गुप्त)

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संदर्भ
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