धनबाद स्थिति : 230 470 उ. प्र. तथा 860 300 पू. दे.। यह बिहार राज्य में जिला एवं नगर है। पहले धनबाद प्रशासनिक उपविभाग (सब डिवीजन) था, जो अब जिला बन गया है। इसका क्षेत्रफल 1,114 वर्ग मील तथा जनसंख्या 11,58,610 (1961) थी। नगर की जनसंख्या 46,756 (1961) थी। यह नगर जिले का सबसे प्रमुख नगर एवं औद्योगिक केंद्र है। यातायात के साधनों का भी यहाँ केंद्र है। झरिया कोयला क्षेत्र का कोयला यहाँ से बाहर भेजा जाता है।
नगर के निकट सिंदरी में खाद तैयार करने के दो कारखाने हैं। एक में बहुत बड़ी मात्रा में नाइट्रोजनीय खाद तैयार होती है और दूसरे कारखाने में फास्फेट खाद तैयार होती है। पहला कारखाना भारत सरकार द्वारा और दूसरा कारखाना बिहार राज्य द्वारा संचालित होता है। फास्फेट खाद खनिज फास्फेट से बनती है। नाइट्रोजनीय खाद में ऐमोनियम सल्फेट और यूरिया बनते हैं। वायु के नाइट्रोजन और जल के हाइड्रोजन से ऐमोनिया का संश्लेषण होता है और जिप्सम से सल्फेट प्राप्त होता है। धनबाद के निकट जियालगोड़ा में ईधंन अनुसंधान की राष्ट्रीय ईधंन अनुसंधानशाला है जिसमें हजारों व्यक्ति लगे हुए हैं और ईधंन पर नई नई खोजें कर रहे हैं। यहाँ कोयले से पेट्रोलियम बनाने की विधि पर पर्याप्त अन्वेषण हुए हैं। इसके फलस्वरूप पेट्रोलियम निर्माण का एक छोटा संयंत्र भी बैठाने का प्रयास हो रहा है। धनबाद में ही खनिज विज्ञान और प्रयुक्त भौमिकी के अध्ययन का एक बड़ा संस्थान धनबाद स्कूल ऑव माइंस है जिसमें खनिज इंजीनियरों और भौमिकविदों को प्रशिक्षण दिया जाता है। पहले इसमें केवल डिप्लोमा दिया जाता था। अब यह विश्वविद्यालय से संबद्ध है तथा यहाँ उपाधियाँ दी जाती हैं। भारत की खानों के अधिकांश प्रबंधक और इंजीनियर इसी संस्था से प्रशिक्षित हुए हैं।
नगर के निकट सिंदरी में खाद तैयार करने के दो कारखाने हैं। एक में बहुत बड़ी मात्रा में नाइट्रोजनीय खाद तैयार होती है और दूसरे कारखाने में फास्फेट खाद तैयार होती है। पहला कारखाना भारत सरकार द्वारा और दूसरा कारखाना बिहार राज्य द्वारा संचालित होता है। फास्फेट खाद खनिज फास्फेट से बनती है। नाइट्रोजनीय खाद में ऐमोनियम सल्फेट और यूरिया बनते हैं। वायु के नाइट्रोजन और जल के हाइड्रोजन से ऐमोनिया का संश्लेषण होता है और जिप्सम से सल्फेट प्राप्त होता है। धनबाद के निकट जियालगोड़ा में ईधंन अनुसंधान की राष्ट्रीय ईधंन अनुसंधानशाला है जिसमें हजारों व्यक्ति लगे हुए हैं और ईधंन पर नई नई खोजें कर रहे हैं। यहाँ कोयले से पेट्रोलियम बनाने की विधि पर पर्याप्त अन्वेषण हुए हैं। इसके फलस्वरूप पेट्रोलियम निर्माण का एक छोटा संयंत्र भी बैठाने का प्रयास हो रहा है। धनबाद में ही खनिज विज्ञान और प्रयुक्त भौमिकी के अध्ययन का एक बड़ा संस्थान धनबाद स्कूल ऑव माइंस है जिसमें खनिज इंजीनियरों और भौमिकविदों को प्रशिक्षण दिया जाता है। पहले इसमें केवल डिप्लोमा दिया जाता था। अब यह विश्वविद्यालय से संबद्ध है तथा यहाँ उपाधियाँ दी जाती हैं। भारत की खानों के अधिकांश प्रबंधक और इंजीनियर इसी संस्था से प्रशिक्षित हुए हैं।
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विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia)
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संदर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
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