एक आदर्श गाँव- रालेगाँव सिद्धि

Submitted by admin on Wed, 12/08/2010 - 11:35
रालेगाँव सिद्धि का एक दृश्यरालेगाँव सिद्धि का एक दृश्यसन् 1975 में अन्ना हज़ारे जब सेना की नौकरी से सेवानिवृत्त होकर अपने गाँव अहमदनगर (महाराष्ट्र) पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि गाँव में सूखा पड़ा है तथा गरीबी, कर्ज़ और बेरोज़गारी से पूरा गाँव त्रस्त है। उन्होंने निश्चय किया कि वे लोगों को इस समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए उन्हें एकजुट करेंगे। बाद में उन्होंने गाँव वालों के सामूहिक सहयोग से धीरे-धीरे बदलाव लाना शुरू किया।

आज रालेगाँव अन्य गाँवों के लिए एक आदर्श गाँव माना जाता है। गाँव में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण कार्य प्रारम्भ किया गया तथा भू-क्षरण को रोकने के लिए पर्वतों को सीढ़ीनुमा बनाया गया। वर्षा जल के संरक्षण के लिए नहरों के दोनों ओर मेड़ खोदी गई। इसके फलस्वरूप, इस क्षेत्र में भूजल का स्तर क्रमिक रूप से बढ़ा है और अब वहाँ कुँआ एवं ट्यूब बेल नहीं सूखते हैं। इसका यह परिणाम हुआ कि किसान साल में तीन फसल उगाने लगे जबकि इससे पहले वे एक ही फसल उगा पाते थे।

नि:सन्देह गाँव की महत्वपूर्ण उपलब्धि गैर परंपरागत ऊर्जा के क्षेत्र में है। गाँव में सड़कों पर सौर लालटेन के माध्यम से प्रकाश की व्यवस्था की गयी है जिसे अलग-अलग तारों से जोड़ा गया है। यहाँ चार बड़े सामुदायिक बायो गैस संयंत्र स्थापित किये गये और उसमें से प्रत्येक को सामुदायिक शौचालय से जोड़ा गया है। यहाँ पानी निकालने के लिए एक बहुत बड़े पनचक्की का भी उपयोग किया जाता है। गाँव के अधिकांश परिवारों के पास बायो गैस संयंत्र है। आज यह गाँव आत्मनिर्भर है।

Hindi Title

A Model Village