एक मछुआरे ने बनाई जलकुम्भी निकालने की मशीन

Submitted by RuralWater on Sat, 07/16/2016 - 10:04

.जलकुम्भी एक ऐसा जलीय जंगल है जिसका फैलाव बहुत तेजी से होता है। अनुमानतः 10 दिन में जलकुम्भी की संख्या दोगुनी हो जाती है। चूँकि यह बहुत तेजी से बढ़ती और फैलती है इसलिये इन्हें हटाना आसान नहीं है।

जलकुम्भी के बारे में कहा जाता है कि अंग्रेजों ने इसे भारत में लाया था। जलकुम्भी में फूल भी आते हैं और यह सुन्दर दिखता है। अंग्रेज इसके फूल और जलकुम्भी को घर की सजावट में इस्तेमाल करते थे लेकिन यह जलकुम्भी तालाबों, झीलों और जलाशयों के लिये जहर है।

पेशे से मछुअारा गोदासु नरसिम्हा ने इस समस्या का गहन अध्ययन कर एक मशीन का इजाद किया है जो बहुत ही तेजी से नदी, तालाब और झीलों से जलकुम्भी निकालेगा।

इस मशीन के जरिए तेजी से और पानी को निचोड़ देने के बाद जलकुम्भी को निकाला जाता है। यहाँ यह भी बताते चलें कि जलकुम्भी के वजन का 80 प्रतिशत हिस्सा केवल पानी होता है इसलिये मशीन की तकनीक ऐसी होनी चाहिए थी जिससे पानी को जलकुम्भी से अलग किया जा सके।

इस मशीन में ऐसी तकनीक लगाई गई है जो जलकुम्भी को छोटे टुकड़ों में काट देती है ताकि उसका पानी बाहर निकल जाये और इसके बाद उन्हें पानी से बाहर निकाल देती है।

नरसिम्हा के अनुसार इस मशीन की मदद से एकदिन में 70 टन जलकुम्भी बाहर निकाला जा सकता है।

नरसिम्हा तेलंगाना के नलगोंडा जिलान्तर्गत पोचमपल्ली मण्डल के मुख्तापुर में रहते हैं। नरसिम्हा की इस इजाद की तरह ही उसकी भी कहानी रोचक है। उसके पिता वाचमैन थे और घर की माली हालत ठीक नहीं थी। इंजीनियरिंग में नरसिम्हा की बहुत रुचि थी और इसी के चलते उन्होंने नलगोंडा के गवर्नमेंट पोलिटेक्निक कॉलेज में एडमिशन ले लिया लेकिन आर्थिक मजबूरी के कारण उन्हें पढ़ाई अधूरी छोड़नी पड़ी।

कॉलेज तो उन्होंने छोड़ दिया लेकिन उनके भीतर बैठे इंजीनियर को वे छोड़ नहीं पाये। आधिकारिक डिग्री नहीं होने के बावजूद उन्होंने जलकुम्भी निकालने वाली अनोखी मशीन बना डाली।

सम्प्रति नदी, तालाब व जलाशयों से हाथों से ही जलकुम्भी निकाली जाती है। कर्मचारी आधी जलकुम्भी निकालते हैं और बाकी छोड़ देते हैं जिसका परिणाम यह निकलता है कि 10 दिनों में वह दोगुनी हो जाती है। नरसिम्हा के अनुसार इस मशीन से बहुत फायदा मिलेगा। मशीन की कीमत 15 लाख रुपए है।